सातवें दिन की कथा में बोले कथा व्यास
अहंकार से व्यक्ति का होता है पतन –भागवत भूषण राजेश राजौरिया
विकास खण्ड रामनगर के ग्राम पंचायत पियरियामाफी में ब्रम्हलीन संत बाबा रामेश्वरम गौ सेवा संस्थान वृन्दावन के द्वितीय वार्षिकोत्सव के तत्वावधान में आयोजित संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा में वृंदावन से पधारे कथा व्यास भागवत भूषण राजेश राजौरिया वैदिक द्वारा बद्री विशाल ओझा को स्रोता बनाकर सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सुनाई जा रही है
जिसमें सातवें एवं अंतिम दिवस की कथा में कथाव्यास भागवत भूषण राजेश राजौरिया वैदिक ने श्री मद्भागवत महापुराण की पावन कथा का निरूपण करने से पूर्व अपने हृदय के उदगार व्यक्त करते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी के पावन जन्मभूमि के समीप स्थित पियरियामाफी छीबों गाँव धन्य है क्योंकि यहाँ पर समय समय पर विद्वान वक्ताओं द्वारा अमृत मयी भगवदकथा का रसपान करने कराने का अवसर प्राप्त होता रहता है
यह बात बताने की विषयवस्तु तो नहीं है लेकिन यह चर्चा करने का विषय तो जरूर ही है
कथा व्यास ने अंतिम दिन की कथा का मनोहारी वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने बृन्दावन में अलौकिक लीलाएं की हैं जो साधकों की भी समझ से परे है कथाव्यास ने योगेश्वर श्री कृष्ण की मनोहारी लीलाओं का वर्णन सुनाने के उपरांत योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण के सोलह हजार एक सौ सात विवाह की कथा का बड़े विस्तार से निरूपण किया
कथा व्यास ने बताया कि शास्त्रों में यद्यपि आठ प्रकार के विवाह बताए गए हैं लेकिन चार प्रकार के विवाह को छोड़कर बाकी सभी विवाह कलिकाल में निषिद्ध बतलाए गए हैं लेकिन दुर्भाग्य से आधुनिक समाज में शास्त्रों द्वारा वही निषिद्ध विवाह अधिकाधिक होते हुए देखने में आ रहे हैं यह कलिकाल का भी प्रभाव हो सकता है
कथाव्यास ने बताया कि जरासंध की कैद में होने की वजह से भगवान श्री कृष्ण को सोलह हजार एक सौ विवाह करने पड़े थे
कथा व्यास ने अंतिम दिवस की कथा में आज विप्र सुदामा और श्री कृष्ण की अभिन्न मित्रता की कथा को भी विस्तार से सुनाया
कथा व्यास ने योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण और सुदामा के जीवन दर्शन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कथानक को बड़े मनोहारी ठंग से वर्णन किया
पियरिया माफी में चल रही श्री मद्भागवत कथा के स्रोता बद्री विशाल ओझा भक्ति भाव से कथा का श्रवण कर रहे हैं
इस संगीतमयी श्री मद्भागवतकथा में वृन्दावन से पधारे संगीतज्ञ अपने भजनों से भावविभोर कर रहे हैं
इस भक्ति रस की धारा में अखिलेश भाई ओझा सहयोगी के रूप में व्यापक स्तर पर जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं वहीं प0राममूरत द्विवेदी पूजन एवं आरती वैदिक पद्धति के अनुसार करा रहे हैं
इस कथा को श्रवण करने के लिए विभिन्न गाँव के सैकड़ों लोग महिलाओं एवं पुरुषों की संख्या में मौजूद रहे
वहीं कथा परिसर में सुव्यवस्थित व्यवस्था करने के लिए सनत कुमार ओझा अश्विनी कुमार ओझा शिवबालकराम ओझा राजेन्द्र ओझा बृज नन्दन ओझा जगनन्दन ओझा अभिमन्यु ओझा राजीव नयन ओझा रघुवंश कुमार ओझा प्रकाश ओझा डॉ सन्तोष पाण्डेय सहित अन्य तमाम लोग उपस्थित रहे. .