ये शौक है या मजबूरी ? नाचने व गाने का धन्धा कर पाल रहीं हैं पूरा परिवार-आँचलिक ख़बरें-अख़लाक़ अंसारी

Aanchalik Khabre
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महिला दिवस पर विशेष
नवाबगंज । इन्हें नहीं पता कि सरकार महिलाओं के कल्याण के लिए कौन कौन सी योजनाएं चला रही है या फिर महिलाओं का भी कोई दिवस होता है। बीते कई दशकों से ये महिलाएं न चाहते हुए भी नाचने गाने का धन्धा करने पर विवश हैं।
नगर से मात्र 5 किमी के फासले पर हाईवे पर स्थित विशनपुर ग्राम इसके लिए विख्यात है कि जब कभी भी डान्सरों की जरूरत हो तो यहां पहुंचे आपको हर स्तर की डान्सर उपलब्ध हो जाएंगी । वैसे तो ये सभी नर्तकियां दूर दराज के इलाकों की रहने वाली हैं मगर सहालग आते ही यहां आकर रहने लगती हैं और सहालग में सीजन पीट कर फिर वापस हो जाती हैं लेकिन इनकी कुछ ठेकेदार महिलाएं यहीं अड्डा जमा कर रहती हैं। इनमे से अधिकांश इस घृणित धन्धे से मुक्ति चाहती हैं लेकिन इस धन्धे में आने के बाद उन्हें कोई स्थाई ठिकाना मिलना सम्भव नहीं है यही कारण है कि इसमें घुसने के बाद निकल नहीं पा रही हैं। सड़क किनारे बनी दूकानों के सामने एक स्टूल पर रखा बडा तबला इनके अड्डे की पहचान कराता है पीछे की इन्हीं दड़वानुमा दुकानों में इन नर्तकियों ने अपना ठिकाना बना रखा है। इनमें से अधिकतर तो अपने पुश्तैनी पेशे के चलते इस धन्धे में फंस कर रह गई हैं और अब इससे छुटकारा पाकर घर बसाना भी चाहती हैं। अब चाहे वह बरेली के सुन्दरपुर की शन्नो हो या फिर शाहजहांपुर के मिरगापुर की ममता, सबका यही हाल है कहती हैं आधी तो गुजर गई अब जो बाकी रह गई है वह भी ऐसे ही कट ही जाएगी । इन्हें मर्द तो मिले हैं लेकिन मात्र कुछ वर्षों में ही छोड जाते हैं तो फिर उम्र रहते दूसरा मिल जाता है वरना यूं ही!
सुन्दरपुर की शन्नो पिछले15, वर्षों से सीजनल तौर पर यहां रह रही है, उसके तीन पुत्र है जो अपना परिवार बसाकर रह रहे हैं पति तीसरी औलाद होने के बाद छोड़कर चला गया । ममता36 की 4 पुत्रियां व एक पुत्र है पति बब्लू भी बच्चों के साथ यहीं पर है । जब कोई आर्डर मिलता है तो बतौर डान्सर चली जाती है और रात भर नाचने गाने के बाद कुछ कमा कर ले आती है इस दौरान उसका पति भी रखवाले की तरह ही उसके साथ ही रहता है । रत्ना रिछोला की रेखा के पति ने भी उसे छोड़ रखा है और18 वर्षीय बेटे को भी अपने पास ही रख लिया है उसकी माता कमला60 भी उसी के साथ रहती है वह भी पहले नाच गाने का ही धन्धा करती है अब उम्र हो गई सो पति के निधन के बाद बेटी का ही सहारा है । एक है सुन्दरपुर की प्रियंका, जा स्वयं को अविवाहित बता रही है लेकिन मांग में सिन्दूर भरा होने के सवाल पर कहती है कि प्रेमी के नाम पर सिंदूर भर रखा है शादी नही की है। इनके अलावा पीलीभीत की सुमन, सुभाषनगर की रानी, मुरादाबाद के हरतला की हिना व सुन्दरपुर की पूजा सहित कई नर्तकियों ने विशनपुर में ही अपने सीजनल आवास बना रखे हैं। इनमें से ज्यादातर को नृत्य व गायन के दौरान ही इनके चाहने वालों ने अपना लिया तो इक्का दुक्का का बाकायदा विवाह भी हुआ है । उत्तराखण्ड के काशीपुर की रानी का चार वर्ष पूर्व बरेली के सुभाषनगर वासी विशाल के साथ विवाह हुआ और पति के संरक्षण में ही नाचने गाने जाती है।
इन सभी के मन में इस धन्धे से मुक्ति पाने की चाहत तो है लेकिन विवश हैं कि कोई भला आदमी उन्हें अपनाएगा नहीं | काशीपुर की रानी कहती है कि करोना ने उन्हें बर्बाद कर दिया है करोना के दौर के बाद से अब ग्रामों में नाच गाने के प्रोग्राम बन्द हो गए हैं जिसके चलते उनके सामने रोजी रोटी का सवाल खडा हो गया है अब कहीं प्रोग्राम में जाती भी हैं तो पुलिस का डर सताता है । किसी ने शिकायत कर दी और पुलिस ने पहुंच कर प्रोग्राम बन्द करा दिया तो तय रकम मिलना भी मुश्किल हो जाता है, जेल भेजने की धमकी अलग, सो चोरी छुपे ही ये प्रोग्राम चल पाते हैं। इन्हें नही पता है कि कोई अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस भी होता है इन्हें तो बस अपने इसी धन्धे से मतलब है । विशनपुर ग्राम में हाईवे पर इन ठिकानों पर कुछ शौकिए जरूर मंडराते दिख जाएंगे और सामने ही चारपाई पर मस्ताती खूबसूरत नर्तकियां भी जरूर दिखेंगी ।

 

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