दीपक विश्वकर्मा
खबर उमरिया से है इसीलिए कहते हैं कि एमपी अजब से गजब है उमरिया जिला आदिवासी होने के साथ पाली आदिवासी ब्लॉक कहलाता है. और यहां की विधायक मध्यप्रदेश शासन की कैबिनेट की मंत्री हैं तो लाजमी है कि विकास के लिए अंतिम छोर के गांव को पहले चुना जाएगा और विकास भी हो रहा है गांव के विकास के लिए सड़क पानी बिजली प्रमुख होता है तो यहीं से भ्रष्टाचार भी शुरू हो जाता है आइए देखते हैं ग्राउंड रिपोर्ट.
मामला उमरिया जिले के पाली ब्लॉक के अंतिम छोर में बसा गांव हंथपुरा का है जहां पर 14 लाख रुपए में सड़क एवं पुल निर्माण के लिए पैसा आया था तो निर्माण एजेंसी के द्वारा पुल तो बना दिया गया मगर सड़क अभी तक नहीं बनी और पैसा निकल गया ऐसा कहना है ग्राम के निवासियों का.
अब हम आपको इस ग्राम के सरपंच कैलाश सिंह के दबंगई का सच बताएं कि सरपंच साहब के विकास कार्यों पर ध्यान ना दे कर सरकारी जमीनों पर कब्जा करने में व्यस्त हैं जब उनसे पूछा गया तो उनका कहना है कि यह भवन मेरी स्वेच्छा से बनवाया जा रहा है.
अब इस गांव के निवासी कमलेश सिंह को सुनिए कि इनके परिवार के लोगों ने स्कूल भवन के लिए इस जमीन को सरकार को सौंप दिया था और स्कूल के साथ इसी जमीन पर अगर समुदायिक भवन बन जाता तो गांव के निवासियों के काम आता लेकिन यहां पर सरकारी जमीन को सरपंच ने हथिया लिया.
अब जब यह शिकायत जिले के जिला पंचायत सीईओ इला तिवारी के पास पहुंची तोशिकायतों पर जांच कराने का आश्वासन दिया है. सरपंच की इस हरकत को देख कर तो ऐसा लगता है कि इस सरपंच को कानून नाम का कोई खौफ नहीं है अब देखना यह होगा कि इस भवन को गिराने वा सड़क निर्माण कराने के लिए जिला प्रशासन क्या कार्रवाई करता है और कब तक करेगा यह तो आने वाला समय ही तय करेगा.