प्ली बारगेनिंग के तहत आरोप स्वीकार कर कठोर सजा से बच सकते है आरोपी- विदुषी-आंचलिक ख़बरें-अश्विनी कुमार श्रीवास्तव

Aanchalik Khabre
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*जिला कारागार में शिविर लगाकर दी जानकारी

चित्रकूट।उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष/जनपद न्यायाधीश राधेश्याम यादव के निर्देशानुसार शनिवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पूर्णकालिक सचिव विदषी मेहा द्वारा जिला कारागार में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें पूर्णकालिक सचिव ने सभी बंदियों को उनके मूल अधिकारों के बारे में जानकारी दी गई। शिविर में पर्णूकालिक सचिव ने बताया कि यदि किसी जेल में निरूद्ध बंदी का कोई अधिवक्ता नहीं है, तो वह विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से निःशुल्क अधिवक्ता व विधिक सहायता प्राप्त करने का हकदार है। प्ली बारगेनिंग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसके तहत आरोपी द्वारा अपराध स्वीकृति करने पर उसे हल्के दंड से दंडित किया जाता है, जो अन्यथा कठोर हो सकता है। प्ली बारगेनिंग अपराधिक मामलों में समझौते का एक तरीका है। इसके तहत आरोपी अपने द्वारा किए गए अपराध को स्वीकार करके और पीडि़त व्यक्ति को हुए नुकसान और मुकदमे के दौरान हुए खर्चे की क्षतिपूर्ति करके कठोर सजा से बच सकता है। कहा कि प्ली बारगेनिंग केवल उन अपराधों पर लागू होता है, जिनके लिए कानून में 7 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।इस अवसर पर जेल अधीक्षक अशोक कुमार सागर, उपकारापाल पीयूष पांडेय व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से अंबुज श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

 

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