दो दिवसीय हड़ताल में भारी भागीदारी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि किसानों और श्रमिकों की एकता कॉर्पोरेट लूट को बढ़ावा देने वाली नीतियों का विरोध करेगी और देश के हितों की रक्षा करेगी। एसकेएम श्रम संहिताओं को लागू करने के खिलाफ मजदूरों के संघर्ष को अपना समर्थन दोहराता है और सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखने का संकल्प लेता है।
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी की गई एक प्रेस वार्ता के जरिए कहा गया है,एसकेएम उन करोड़ों श्रमिकों, किसानों और समाज के सभी वर्गों को बधाई देता है, जो केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत दो-दिवसीय आम हड़ताल के साथ-साथ संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाए गए ग्रामीण हड़ताल या ग्रामीण भारत बंद के भारी समर्थन में आगे आए। हड़ताल की तैयारी के लिए व्यापक अभियान चलाया गया। अब तक की जानकारी केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, असम, झारखंड, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा राज्यों में हड़ताल के व्यापक प्रभाव का संकेत देती है।
तमिलनाडु में भारी भागीदारी के साथ 500 से अधिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए। धरना में 1.2 लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया और बस सेवाएं ठप्प रहीं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बड़े पैमाने पर संयुक्त विरोध प्रदर्शन हुए। झारखंड में एसकेएम के घटकों ने 28 मार्च को 12 घंटे रोड रोको/चक्का जाम का आयोजन किया और 29 मार्च को भी वाहन सड़कों से नदारद रहे। असम में, दोनों दिन हड़ताल को शहरों के साथ-साथ गांवों में भी समर्थन मिला। सड़कों से बसें नदारद रहीं। उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर में भी विरोध प्रदर्शनों में लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। बिहार में भी शहरी और ग्रामीण इलाकों में हड़ताल की कार्रवाई में जनता की भारी भागीदारी की सूचना मिली है।
स.कि. मोर्चा की ओर से डॉ:दर्शन पाल,हन्नान मोल्ला
, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव प्रमुख ने उपरोक्त बयान प्रेस वार्ता में यह बातें कही है।

