Waqf Board Bill In Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने वक्फ बोर्ड को लेकर अपना फैसला सुना दिया है। उनके इस फैसले से विपक्ष में खलबली मच गई है।
Supreme court Big Decision on waqf board: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड केस की सुनवाई की अगली तारीख तय कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि Waqf Board Case की सुनवाई अब 20 मई को होगी। गुरुवार को सुप्रीम कौन ने साफ किया कि वो वक्फ अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता के खिलाफ सुनवाई फिर करेगा। मामले की सुनवाई 20 मई को चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस आंगस्टीन जॉर्ज मसीह करेंगे। इससे पहले पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने वक्फ बोर्ड केस पर सुनवाई करते हुए कहा था कि हम आमतौर पर चुनौती के इस चरण में किसी कानून पर रोक नहीं लगाते। हमारा मानना ये है कि अगर बिल में वक्फ बाय यूजर को गैरअधिसूचित किया जाता है तो इसमें बहुत बड़े नतीजे सामने आ सकते हैं। बता दें कि पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त हो गए थे।
सरकार की तरफ से तुषार मेहता ने क्या दी थी दलील Waqf Board Bill पर
सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस आंगस्टीन जॉर्ज मसीह ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से पक्ष रखने वाले तुषार मेहता और याचिकाकर्ता सोमवार यानी 19 मई को कोर्ट में अपना हलफनामा पेश करें। इससे पहले सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा था कि केंद्र पहले ही कोर्ट में यह बता चुका है कि वक्फ एक्ट के कुछ विवादित प्रावधान अभी लागू नहीं होंगे। कोर्ट ने फिर पूछा कि क्या अभी अंतरिम राहत की सुनवाई हो रही है। इस पर तुषार मेहता ने जवाब दिया कि अगर कोर्ट अंतरिम आदेश जारी करने पर विचार करता है तो इसमें ज्यादा समय लगेगा। हम भी याचिकाकर्ताओं की तरह शॉर्ट नोटिस जारी करेंगे। जिससे सुनवाई को आसान बनाया जा सके।
कपिल सिब्बल ने कोर्ट में क्या कहा
वक्फ बिल के खिलाफ कपिल सिब्बल ने बिल पास होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में बिल को खत्म करने की याचिका लगाई थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि वक्फ बोर्ड की निजी संपत्तियों को वक्फ घोषित करने का असीम अधिकार दिया गया है। जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। लेकिन गुरुवार को नई बेंच के सामने कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ता की तरफ से अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनका संक्षिप्त तर्क तैयार कर लिया गया है। वो उसे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से शेयर करने के लिए तैयार है। तभी तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ बिल मामले में बड़ी संख्या में हस्तक्षेप के आवेदन प्राप्त हुए है। ये कोर्ट तय करेगा कि उसे सुनना है कि नही। मेरी राय में सिर्फ मुख्य याचिकाओं की ही सुनवाई हो।
क्या है वक्फ – बाय – यूजर
पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जब वक्फ बिल पर सुनवाई की थी तो उन्हे भी वक्फ- बाय – यूजर पर आपत्ति थी। तब उन्होंने कहा था कि अगर वक्फ- बाय – यूजर को गैर अधिसूचित किया जाता है तो इसमें बड़े नतीजे देख सकते है। उस समय उनकी बेंच में जस्टिस पीवी संजय कुमार और के वी विश्वनाथन शामिल थे। अब ये समझ लीजिए कि आखिर वक्फ – बाय – यूजर क्या है। दरअसल इसका मतलब उस संपत्ति से होता है।जिसके कोई औपचारिक दस्तावेज नहीं है। लेकिन फिर भी इन संपत्तियों का इस्तेमाल लंबे समय से धार्मिक कार्यों के लिए किया जाता है। इस तरह इन संपत्ति को वक्फ – बाय- यूजर के तहत वक्फ की संपत्ति मान ली जाती है। इसी बात को लेकर कपिल सिब्बल और मनु सिंघवी ने सवाल उठाते हुए कहा था कि आखिर सरकार ने क्लॉज के साथ छेड़छाड़ क्यों की।
कौन है नए मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई
जस्टिस बीआर गवई देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश है। इनका जन्म महाराष्ट्र के अमरावती में 24 नवंबर 1960 को हुआ था। जस्टिस बीआर गवई ने मार्च 1985 में वकालत की। और 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की। वे कुछ समय तक नागपुर खंडपीठ में कार्यरत रहे। साल 2003 में बीआर गवई को बॉम्बे हाईकोर्ट का अतरिक्त न्यायाधीश बनाया गया। फिर दो साल बाद 2005 में उन्हे स्थाई न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद साल 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया। अगर जस्टिस बीआर गवई के पूर्व मुख्य फैसलों की बात करें तो बुलडोजर सिस्टम, जस्टिस के खिलाफ तोड़फोड़, आर्टिकल 370 को निरस्त करने को बरकरार रखना, डीमोनेटाइजेशन को बरकरार रखना, अनुसूचित जाति में उप वर्गीकरण को बरकरार रखना जैसे बड़े फैसले शामिल हैं। साल 2022 में उनकी पीठ ने 30 साल पुराने केस राजीव गांधी हत्याकांड ( Rajiv Gandhi Murder case ) के 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया
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