भैयालाल धाकड़
विदिशा // प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मंशापूर्ण हनुमान मंदिर के स्थित सेवा केंद्र गंजबासौदा द्वारा अभिभाषकों को स्वर्णिम भारत की स्थापना में न्यायविदों की भूमिका विषय पर समस्त न्यायाधीशों के समक्ष कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में ब्रह्माकुमारी के सभी सदस्यों का अभिभाषकों की ओर से स्वागत किया गया। ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने न्यायविदों की भूमिका विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन में मनुष्य को कई बार गहरी भावनात्मक उथल-पुथल को पार करना पड़ता है। इच्छाशक्ति वाले लोग इन हालात में और भी मजबूत और अनुभवी हो जाते हैं, जबकि कमजोर और संवेदनशील लोग इन परिस्थितियों में निराशा से घिर जाते हैं। दृढ़ता या निराशा के इस खेल में मनुष्य आत्मा की कड़ी परीक्षा का एक बड़ा कारण है अन्याय। कई बार अच्छी भावना बालों को अन्याय को झेलना पड़ जाता है जिससे उनका विश्वास डगमगा जाता है कि क्या मैं सही रास्ते पर हूं या नहीं, क्या अच्छाई का सिला यही मिलता है, क्या ईश्वर का न्याय यही है। यह ऐसी परीक्षा है जो लौकिक कार्य क्षेत्र में, यहां तक कि अध्यात्म के मार्ग पर चलने वालों के सामने भी आ जाती है। लेकिन आप लोगों के पास दुआएं कमाने का समय है। आप व्यक्ति की परिस्थिति को जानकर सही रास्ता दिखा सकते हैं, भारत की एकता, अखंडता में गरिमा को बढ़ाने के लिए आप सहयोगी बन सकते हैं। न्यायालय से हर व्यक्ति जुड़ा है जिसमे लाॅ और लव का बैलेंस रखना अति आवश्यक है। आज दुनिया भारत की तरफ देख रही है भारत और विश्व को बेहतर बनाने में स्वयं को परिवर्तन कर अपना योगदान दे सकते हैं। न्यायधीश विनोद शर्मा ने कहां की हमें अपने जीवन में तीन बातें जानना जरूरी है। मैं कौन हूं, मेरा क्या है, मेरा कर्तव्य क्या है, जब हम इन पहेलियों को गहनता से जान जाएंगे तो जरूर हम स्वर्णिम भारत की स्थापना में सहयोगी बन जाएंगे। ब्रह्माकुमारी रुकमणी दीदी ने कहा कि न्यायविद वह हैं जो व्यक्ति की स्थिति को देखकर उसको सही न्याय दिलाए, औरों की उलझनों को दूर करें। गांधी जी का उदाहरण देते हुए कहा कि गांधीजी ने तीन मूल्य अपने जीवन में धारण किए थे सत्य अहिंसा और ब्रह्मचर्य। गांधी जी भी पेशे से वकील थे आज लोगों में मूल्यों की कमी होने के कारण गलत मार्ग की और जा रहा है। आप देखेंगे काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार पांच अवगुणों के कारण ही सारे केस आप लोगों के पास आते हैं हमें इन अवगुणों को छोड़ कर स्वर्णिम भारत की स्थापना में सहयोगी बनना है। सभी को तीन मिनिट मेडिटेशन कराया। कार्यक्रम में न्यायाधीश नीलम मिश्रा, न्यायधीश धनेंद्र सिंह परमार, न्यायाधीश संदीप कुमार जैन, न्यायधीश पार्थ शंकर मिश्रा, न्यायाधीश शशांक सिंह, न्यायाधीश कृष्ण बरार, न्यायधीश राहुल निरंकारी एवं अधिक संख्या में अभिभाषक संघ के सदस्य उपस्थित रहे।