Weather Update: लखनऊ और सीतापुर में बारिश-तूफान का कहर, गेहूं फसल को भारी नुकसान

News Desk
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Weather Update : उत्तर प्रदेश में मौसम ने एक बार फिर से अपना रौद्र रूप दिखाया है। बीते बृहस्पतिवार को आई तेज आंधी, बारिश और ओलावृष्टि ने पूरे राज्य में तबाही मचा दी। कई जिलों में जन-धन का भारी नुकसान हुआ है, तो वहीं खेतों में खड़ी गेहूं की फसल भी तेज हवा और ओलावृष्टि से बर्बाद हो गई।

Wheat crop damage UP storm: किसानों की मेहनत पर फिरा पानी

खेतों में खड़ी गेहूं की तैयार फसल पर प्रकृति की मार पड़ी है। सीतापुर, बाराबंकी, रायबरेली, उन्नाव, और लखनऊ समेत कई जिलों से Wheat crop damage UP storm की खबरें सामने आई हैं। किसान महीनों की मेहनत के बाद फसल काटने ही वाले थे कि आंधी, बारिश और ओले ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। खेतों में गिरे हुए गेहूं के बिखरे दानों और टूटे हुए पौधों को देखकर किसान निराश हैं।

किसानों ने बताया कि हवा इतनी तेज थी कि पककर तैयार खड़ी फसल जड़ से उखड़ गई और जमीन पर चिपक गई। कई जगहों पर ओलों ने भी नुकसान पहुंचाया है, जिससे फसल का दाना भी खराब हो गया। ये नुकसान अब सीधे तौर पर उनके आर्थिक जीवन को प्रभावित करेगा।

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Uttar Pradesh Lightning Deaths: दो दर्दनाक मौतें

मौसम की इस तबाही में सबसे ज्यादा दुखद घटनाएं सीतापुर जिले से सामने आई हैं। यहां दो लोगों की जान चली गई।

पहली घटना बिसवां तहसील के ग्राम पंचायत जनुवा के मजरा मोचखुर्द में हुई, जहां खेत में काम कर रहे किसान हरिश्चंद्र भार्गव (23) की आकाशीय बिजली गिरने से मौत हो गई। हरिश्चंद्र अपने खेत में गन्ना छील रहे थे, तभी अचानक आकाशीय बिजली गिरी और उन्होंने वहीं दम तोड़ दिया।

दूसरी घटना जिले के सकरन क्षेत्र की है, जहां 55 वर्षीय कुसुमा देवी खेत से गेहूं की कटाई कर घर लौट रही थीं। रास्ते में एक पक्की दीवार उनके ऊपर गिर गई और वह उसके नीचे दब गईं। ग्रामीणों ने उन्हें मलबे से बाहर निकाला, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।

इन घटनाओं ने साफ कर दिया कि Uttar Pradesh lightning deaths केवल आंकड़े नहीं हैं, बल्कि हर मौत के पीछे एक परिवार का उजड़ना छुपा है।

Yogi Adityanath Storm Relief: सीएम ने दिए राहत कार्यों के निर्देश

मुख्यमंत्री Yogi Adityanath storm relief को लेकर सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने संबंधित जनपदों के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे तत्काल क्षेत्र का भ्रमण करें और राहत कार्यों में तेजी लाएं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों की मौत हुई है, उनके परिजनों को जल्द से जल्द मुआवजा राशि दी जाए और घायलों का समुचित उपचार कराया जाए।

सीएम ने यह भी कहा कि आकाशीय बिजली, वज्रपात, तूफान और बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित व्यक्तियों के लिए तत्काल राहत कार्य शुरू किए जाएं। खेतों में फसल नुकसान का सर्वे कराया जाए और रिपोर्ट शासन को भेजी जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि फसल नुकसान के मुआवजे के लिए राजस्व टीम तत्काल प्रभाव से सर्वे करें।

मंडियों में सुरक्षित भंडारण का निर्देश

मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी गेहूं खरीद के चलते मंडियों और खरीद केंद्रों पर विशेष सतर्कता बरती जाए। बारिश के कारण खरीदे गए गेहूं के खराब होने की आशंका बढ़ गई है, इसलिए सुरक्षित भंडारण के लिए सभी उपाय किए जाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि बारिश के चलते जलजमाव की स्थिति उत्पन्न होने पर त्वरित जल निकासी की व्यवस्था हो।

लखनऊ में अंधेरा छा गया दिन में ही

राजधानी लखनऊ में बृहस्पतिवार सुबह से ही घने बादल और तेज हवाएं छा गईं। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के कारण पूर्वा और पछुआ हवाओं के टकराव से यह स्थिति बनी है। लखनऊ में सुबह 8:30 बजे तक 7 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई जबकि एयरपोर्ट इलाके में 2 मिमी बारिश दर्ज की गई। बारिश और हवाओं की वजह से तापमान में गिरावट आई और मौसम ठंडा हो गया।

Weather Update: राहत भी, चिंता भी

हालांकि गर्मी से बेहाल लोगों को इस बारिश से कुछ राहत जरूर मिली है, लेकिन किसानों के लिए यह मौसम चिंता का कारण बन गया है। खासकर weather news को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत का माहौल है क्योंकि अब तक का अनुमान यही है कि आने वाले दो-तीन दिनों तक मौसम का यह मिजाज बना रह सकता है।

प्रभावित परिवारों की पीड़ा: उजड़ते सपनों की कहानी

हरिश्चंद्र भार्गव की मां ने रोते हुए कहा, “अभी उसकी शादी भी नहीं हुई थी। सुबह खेत में गन्ना छीलने गया था, शाम को लाश आई। अब हमारा क्या होगा?” वहीं, कुसुमा देवी की बहू ने बताया कि वे घर लौट ही रही थीं कि दीवार गिर गई। दोनों परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल है।

इन घटनाओं ने सरकार की आपदा प्रबंधन व्यवस्था को भी सवालों के घेरे में ला दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय पर दीवार की मरम्मत होती, तो शायद जान बच जाती।

प्रशासन की तैयारियां और जिम्मेदारी

प्रशासन की ओर से बताया गया है कि मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। राजस्व और पुलिस विभाग मौके पर पहुंच चुका है और पंचनामा भरकर रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजी जा चुकी है।

वहीं, जिलाधिकारी ने खुद फसल नुकसान का जायजा लिया और अधिकारियों को निर्देश दिए कि जल्द से जल्द सर्वे पूरा कर शासन को रिपोर्ट भेजी जाए।

फसलों की बर्बादी से किसान बेहाल

तेज हवाओं और बारिश से गेहूं ही नहीं बल्कि आम, लीची, केला जैसी फलों की फसलें भी प्रभावित हुई हैं। ओलों ने आम के बौर को गिरा दिया और कई फलों के पेड़ भी उखड़ गए हैं।

किसानों की चिंता अब इस बात को लेकर है कि अगर जल्द ही राहत और मुआवजा नहीं मिला, तो वे कर्ज में डूब सकते हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि वे केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेज रहे हैं और जल्द ही सहायता पैकेज की घोषणा होगी।

इस आपदा ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित मौसमी घटनाएं अब सामान्य जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं।
ऐसे में जरूरी है कि सरकार सिर्फ राहत कार्यों तक सीमित न रहे, बल्कि दीर्घकालिक योजनाओं के साथ मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन और किसानों के लिए बीमा योजनाओं को और मजबूत करे। तभी भविष्य में ऐसी घटनाओं से नुकसान को कम किया जा सकेगा।

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