व्यक्तिगत दुख को बनाया सामाजिक योगदान
दिल्ली में रहने वाले एक दंपति ने अपनी जिंदगी के सबसे कठिन समय को समाज और चिकित्सा जगत के लिए योगदान में बदल दिया। गर्भावस्था के पाँचवें महीने में हुई गर्भपात की घटना के बाद महिला ने भ्रूण को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली को शोध और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए दान कर दिया।
यह कदम न केवल परिवार के साहस को दर्शाता है, बल्कि चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान भी है।
दान की प्रक्रिया
महिला और उनके परिवार ने भ्रूण दान का निर्णय लेते ही AIIMS के एनाटॉमी विभाग से संपर्क किया। अस्पताल प्रशासन ने तुरंत प्रक्रिया शुरू की और भ्रूण को सम्मानपूर्वक स्वीकार किया। इसके लिए विभाग ने दंपति को आधिकारिक प्रमाणपत्र भी प्रदान किया।
परिवार के करीबी लोगों का कहना है कि यह कदम भविष्य में चिकित्सकों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी साबित होगा, क्योंकि ऐसे दान चिकित्सा अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
क्यों महत्वपूर्ण है भ्रूण दान?
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भ्रूण का अध्ययन मेडिकल छात्रों को मानव शरीर की विकास प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है।
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चिकित्सा शोध में यह जानकारी जन्मजात बीमारियों और विकृतियों की पहचान के लिए उपयोगी होती है।
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भ्रूण संबंधी अध्ययन से भविष्य में बेहतर उपचार पद्धतियाँ और चिकित्सा तकनीकें विकसित की जा सकती हैं।
AIIMS का बयान
AIIMS प्रशासन ने इस पहल को सराहनीय बताया है। उनका कहना है कि ऐसे दुर्लभ और साहसिक निर्णय चिकित्सा जगत में शिक्षा और शोध को नई दिशा देते हैं।
समाज के लिए संदेश
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि व्यक्तिगत त्रासदी को भी समाज के हित में बदला जा सकता है। परिवार ने दिखाया कि मानवता और विज्ञान के प्रति संवेदनशीलता हमें मुश्किल घड़ी में भी सकारात्मक राह चुनने की प्रेरणा देती है।
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