बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर बनी फिल्म की रिलीज को लेकर दायर याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि जब तक कोई ठोस आधार न हो कि फिल्म से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है, तब तक इसे रोका नहीं जा सकता।
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि फिल्म में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि सेंसर बोर्ड पहले ही फिल्म की जांच कर चुका है और उसे प्रमाणपत्र दे चुका है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोर्ट की टिप्पणी
फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और क्रिएटिव स्वतंत्रता को लोकतंत्र का मूल हिस्सा बताया। कोर्ट ने कहा कि फिल्म, वेब सीरीज या कला के अन्य माध्यम समाज का आईना होते हैं और उन्हें रोकना तभी उचित है, जब इससे सीधे तौर पर हिंसा या कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो।
अदालत ने स्पष्ट कहा कि –
“जब सेंसर बोर्ड ने फिल्म को प्रमाणित कर दिया है, तब अदालत के पास इसे रोकने का कोई औचित्य नहीं है।”

याचिकाकर्ता की आपत्ति
याचिकाकर्ता का कहना था कि फिल्म में योगी आदित्यनाथ के जीवन से जुड़े तथ्यों को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इससे समाज के कुछ वर्गों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।
लेकिन अदालत ने दो टूक कहा कि केवल “भावनाएं आहत होने की आशंका” के आधार पर फिल्म पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
सेंसर बोर्ड की भूमिका
सेंसर बोर्ड (CBFC) ने पहले ही इस फिल्म की जांच की थी और इसे रिलीज का प्रमाणपत्र दे दिया था। बोर्ड ने साफ किया कि फिल्म किसी भी तरह से नफरत फैलाने वाली या आपत्तिजनक नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि जब एक वैधानिक संस्था फिल्म को पास कर चुकी है, तो अदालत का काम केवल तभी शुरू होता है, जब कोई ठोस सबूत सामने आए कि फिल्म से शांति भंग हो सकती है।
योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता और फिल्म पर चर्चा
योगी आदित्यनाथ भारत के सबसे चर्चित और लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। उनके जीवन पर आधारित फिल्म लंबे समय से सुर्खियों में है। समर्थक इस फिल्म को लेकर उत्साहित हैं, वहीं कुछ समूहों ने आपत्ति जताई है।
फिल्म निर्माताओं का कहना है कि यह मूवी प्रेरणादायक और तथ्यात्मक प्रस्तुति है, जो योगी आदित्यनाथ के संघर्ष, राजनीतिक सफर और उनकी उपलब्धियों को दिखाती है।
फिल्म रिलीज पर असर
बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब फिल्म की रिलीज का रास्ता साफ हो गया है। कानूनी अड़चनें दूर होने के बाद यह मूवी सिनेमाघरों में समय पर प्रदर्शित होगी।
इस फैसले ने फिल्म इंडस्ट्री को भी राहत दी है, क्योंकि अक्सर राजनीतिक और धार्मिक विषयों पर बनी फिल्मों को लेकर विवाद खड़े होते हैं।