रौनक द्विवेदी की कविता ट्रेनवा में भीड़ भइल बा

Aanchalik khabre
By Aanchalik khabre
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रौनक द्विवेदी की कविता
रौनक द्विवेदी की कविता

रौनक द्विवेदी द्वारा छठ पर्व पर लिखी गई कविता ट्रेनवा में भीड़ भइल बा

शीर्षक – ट्रेनवा में भीड़ भइल बा।
विधा- कविता
लेखक – रौनक द्विवेदी

रौनक द्विवेदी की कविता
रौनक द्विवेदी की कविता

सोचले रहनी एह बार हम गांवे जाइब।
धूमधाम से सबके साथे छठ मनाइब।
बाकी टूट गइल देखल सब सपनवा।
ट्रेनवा में भीड़ भइल बा।
ए छठी मइया,
कइसे आईं करे राउर पूजनवा।
ट्रेनवा में भीड़ भइल बा।

ढेर दिना भइल रहे गांवे गइल।
कमाए-खाए में लाइफ़ बिजी अइसन भइल।
एगो रउरे रहीं आवे के बहनवा।
ट्रेनवा में भीड़ भइल बा।
ए छठी मइया,
कइसे आईं करे राउर पूजनवा।
ट्रेनवा में भीड़ भइल बा।

तीन माह पहिले से टिकट बनवनी।
एढ़ा-डेढ़ा रुपया लगवनी।
तबो लागे पड़ल लमहर लाइनवा।
ट्रेनवा में भीड़ भइल बा।
ए छठी मइया,
कइसे आईं करे राउर पूजनवा।
ट्रेनवा में भीड़ भइल बा।

 

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