प्राइमरी स्कूल बंद करना सरकार की सोची-समझी साजिश: शांति सिंह

Aanchalik Khabre
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समाजवादी पार्टी का विरोध मार्च

 समाजवादी पार्टी का विरोध मार्च, बच्चों की शिक्षा और रसोइयों की सुरक्षा को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचा प्रदर्शन

प्रमोद श्रीवास्तव, प्रतापगढ़।
समाजवादी पार्टी महिला सभा की जिलाध्यक्ष शान्ति सिंह एवं मजदूर सभा के जिलाध्यक्ष शिवबहादुर यादव ‘गुड्डू’ के नेतृत्व में पैदल मार्च करते हुए जिला कलेक्ट्रेट में सरकारी विद्यालयों के मर्ज, रसोईयों की छंटनी, बच्चों के शिक्षा अधिकार को प्रभावित करने तथा उत्तर प्रदेश सरकार के तानाशाही रवैये एवं गलत नीतियों के विरोध में विभिन्न मांगों को लेकर महामहिम राज्यपाल महोदया जी के नाम से जिलाधिकारी महोदय को ज्ञापन सौंपा गया।


 प्रमुख मांगे जो रखी गईं

  • सभी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के मर्ज की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रोका जाए।

  • सभी रसोइयों को पुनः बहाल किया जाए, उन्हें सम्मानजनक मानदेय, नियमित नियुक्ति तथा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ा जाए।

  • प्रत्येक बस्ती में 1 कि.मी. की परिधि में प्राथमिक विद्यालय और 3 किमी के दायरे में उच्च प्राथमिक विद्यालय की व्यवस्था पुनः सुनिश्चित की जाए।

  • सभी मूलभूत सुविधाएं गरीब पिछड़े नौनिहालों को दी जाएं।

  • मनरेगा मजदूरों को वर्ष में 300 दिनों का कार्य दिवस व ₹600 प्रतिदिन मजदूरी मिले।

  • श्रम पोर्टल को तत्काल खोला जाए तथा लाभार्थी को उसका लाभ दिया जाए।

  • पुराने श्रम कानूनों को बहाल किया जाए तथा नए श्रम संहिता को समाप्त किया जाए।

  • पुलिस द्वारा दलितों एवं अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न बंद हो।


 सरकार की नीतियों पर तीखा हमला

इस अवसर पर जिला महासचिव अब्दुल कादिर जिलानी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार किसान, मजदूर, नौजवान, छात्र एवं महिला विरोधी है। किसान-मजदूर भूखमरी के कगार पर पहुँच गया है। प्रदेश का किसान, मजदूर, रोजगार के लिए अन्य प्रदेशों में पलायन को मजबूर है, वहीं पढ़ा लिखा नौजवान रोजगार न मिलने पर अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त हो रहा है।


 प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने का विरोध

प्रदेश का दुर्भाग्य है कि प्रदेश के लगभग 5 हजार प्राथमिक विद्यालय बंद करना व मंदिरों व धार्मिक मेलों पर सरकारी वजह को बढ़ावा देना सरकार की अदूरदर्शिता को दर्शाता है। दूसरी तरफ पुलिस की निरंकुशता ने प्रदेश के थानों में हो रही बंदियों की मौत के आंकड़ों ने आज़ादी के बाद के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।


 शिक्षा और महिला सशक्तीकरण पर संकट

उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा गरीब, पिछड़े एवं दलित समाज के बच्चों की शिक्षा छीनने की सोची-समझी साजिश के तहत हजारों प्राथमिक विद्यालयों को बंद किया जा रहा है। यह कदम न केवल संविधान की आत्मा के विरुद्ध है, बल्कि सामाजिक न्याय और समान अवसर के मूल सिद्धांतों का भी उल्लंघन है। साथ ही साथ इन विद्यालयों में कार्यरत हजारों रसोइयां जो अधिकांशतः गरीब, विधवा एवं निराश्रित महिलाओं का रोजगार थीं, वह भी संकट में आ गया है।


 महिला अधिकारों पर प्रहार

सरकार द्वारा किया गया यह कृत्य महिला सशक्तीकरण की मूल भावना को भी ठेस पहुँचा रहा है।


 प्रदर्शन में शामिल प्रमुख लोग

इस अवसर पर अश्वनी सोनी, गुलफाम खान, निसार अहमद, डा. रामबहादुर पटेल, राजकुमारी सरोज, मंजू सिंह, उर्मिला यादव, मनराजी पटेल, आशा कोरी, तहजीब फातमा, संतोष यादव, रमाशंकर यादव, संदीप यादव, विनोद यादव, विपिन सरोज, सुरेश यादव, महेंद्र यादव, सावित खान, मानवेन्द्र पटेल, अहमद अली, अब्दुल हई, देवी लाल, पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष मनीष पाल सहित अन्य नेतागण उपस्थित रहे।

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