झुंझुनू।शहरी सौंदर्यीकरण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रों में बनाए जाने वाले गौरव पथ की हालात ऐसी होगी किसी ने सोचा भी नहीं था।झुंझुनू के जिला जज आवास से जेके मोदी स्कूल तक बनने वाले गौरव पथ का शिलान्यास तत्कालीन सांसद संतोष अहलावत द्वारा 23 फरवरी 2017 को किया गया था।इस मार्ग पर बनने वाले गौरव पथ पर ढाई करोड रुपए खर्च किए जाने थे, उक्त गौरव पथ की चौड़ाई पांच मीटर से बढ़ाकर साढ़े 15 मीटर का मापदंड तय किया गया था।जिसके तहत दोनों तरफ साथ सात-सात मीटर सड़क और बीच में डेढ़ मीटर का डिवाइडर बनना तय हुआ था,लेकिन दुर्भाग्य झुंझुनू का तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद भी यह गौरव पथ की जगह कबाड़ी पथ ज्यादा नजर आता है।सरकार द्वारा नाम दिया गया गौरव पथ आज अपने तीन वर्ष की बदहाली पर आंसू बहा रहा है।जहां सड़क सात मीटर की चौड़ाई होनी चाहिए थी वहां पर अवैध रूप से अतिक्रमणकारियों द्वारा कब्जा जमाया हुआ है जिसके चलते सड़क की चौड़ाई दोनों तरफ सात मीटर की जगह सात फुट ही बची हुई है और प्रशासन का अमलीजामा यहीं से गुजरता है आंखें मूंदकर। गौरतलब है कि इस गौरव पथ के निर्माण के दौरान जिले के तीन रहनुमा जिला कलेक्टर दिनेश यादव उनके बाद रवि जैन जिन्हें जनता के चहेते कलेक्टर के साथ अतिसंवेदनशील कलेक्टर भी कहा गया उनके कार्यकाल के दौरान भी यह गौरव पथ के हालातों में कहीं कोई सुधार नजर नहीं आया।अब नवागत जिला कलेक्टर उमरदीन खान क्या इस गौरव पथ को सम्मानजनक स्थिति में रख पाएंगे,हो पायेगा निर्माण कार्य सम्पूर्ण यह गंभीर सवालिया निशान बना हुआ है।सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा बनाए जाने वाले गौरव पथ के दोनों और नालियां व फुटपाथ बनाया जाना प्रस्तावित था जो अभी तक अपनी ढुलमुल कार्यशैली के चलते परवान नहीं चढ़ पाया है,लेकिन गौरव पथ बनने से पहले ही कब्जा धारियों ने अपने रंग दिखाने अवश्य शुरू कर दिए हैं क्या जिला प्रशासन गौरव पथ को अतिक्रमण से मुक्त कर पायेगा गौरव पथ का भविष्य के गर्भ में है।ना जाने कब आएंगे गौरव पथ के अच्छे दिन।