मदद के नाम पर वोट बैंक की राजनीति
भामाशाह सूची जारी करे कब,क्या वितरण किया
झुंझुनू। लॉकडाउन के द्वितीय चरण में भी जरूरतमंदों को भोजन व राशन सामग्री पूर्ववत मिलती रहे।इस के लिए जिला प्रशासन द्वारा 19 अप्रैल को जिला कलेक्ट्रेट सभागार में शहर के भामाशाह,दानदाताओं,स्वयंसेवी,संस्थाओं व विभिन्न ट्रस्टों के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी।उक्त बैठक में झुंझुनू शहर के बहुत से भामाशाहों ने हिस्सा लिया था।उस बैठक में उपस्थित भामाशाहों ने शहर के कई वार्डो को गोद लेने की सहमति भी दी थी कि वहां के जरुरतमंदों को राशन सामग्री व भोजन पहुँचाने की जिम्मेदारी उनकी होगी। लेकिन एक सप्ताह गुजर जाने के बाद भी ना तो अधिकांश भामाशाहों के नंबर कहीं सार्वजनिक रूप से जारी हुए हैं ना ही उन भामाशाहों ने अपने गोद लिए गए वार्डो के लोगों की कोई सुध ली।जिला प्रशासन को भामाशाहों से सूची जारी करवानी चाहिए कब,क्या वितरण किया।
जरूरतमंदों को भोजन व राशन सामग्री पहुंचाने की जिम्मेदारी लेने वाले ऐसे तथाकथित भामाशाह अपने मूल कर्तव्य से दूर अपने गोद लिए वार्डों में जाकर यह चिन्हित कर रहे हैं कि यह वोट बैंक किसका है। भामाशाह गोद लिए वार्डो में यह तलाशने का काम करते हैं यह आदमी इस वार्ड का निवासी है,या किसी अन्य जिले या फिर दूसरे प्रदेश का।जबकि जिला कलेक्टर व राज्य सरकार के निर्देश है जो व्यक्ति जहां भी है राज्य का हो या राज्य से बाहर का उसे तुरंत प्रभाव से भोजन व रहने की व्यवस्था की जाना अत्यंत आवश्यक है।ताकि पलायन को रोका जा सके और लॉकडाउन की पालना सुनिश्चित हो।
उक्त बैठक में यह भी निर्णय लिया गया था कि भामाशाहों द्वारा गोद लिए गए वार्डो में समय पर भोजन व राशन सामग्री पहुँचाने के एक सप्ताह बाद फिर से रसद सामग्री पहुंचाने का कार्य किया जाये।लेकिन अफसोस सात दिवस बीत जाने के बाद भी प्रथम चरण की राशन सामग्री भी कई वार्डो में जिन्हें भामाशाहों ने गोद लिया था,बिना भेदभाव के वितरित नहीं कर पाए हैं।प्राप्त जानकारी के अनुसार भामाशाह इन वार्डों में गए तो हैं लेकिन यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं कि सिर्फ इस वार्ड के मूल बाशिंदों को ही राशन सामग्री सर्वे करवाकर वितरित की जाएगी। ऐसे लोगों को जिनके राशन उक्त वार्ड के नहीं है उन्हें राहत सामग्री से वंचित किया जा रहा है। इससे स्पष्ट मालूम चलता है कि तथाकथित भामाशाह केवल अपने वोट बैंक को मजबूती प्रदान करने की दिशा में ही अग्रसर है ना कि जरूरतमंदों के राशन सामग्री व भोजन की व्यवस्था के लिए।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि बैठक में उपस्थित अधिकांश भामाशाहों के मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ मिलते हैं तो फिर ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जरूरतमंद आदमी किस से करें फरियाद।वहीं प्रशासन के द्वारा बुलाई गई बैठक में उपस्थित कई भामाशाह असल में सिर्फ फोटो खिंचवाने व प्रशासन की नजर में भामाशाह लिस्ट में नाम अंकित करवाने तक ही उक्त बैठक में उपस्थित हुए थे।जिन्होंने कोई वार्ड भी गोद नहीं लिया ऐसे भी समाचार सुनने को मिल रहे हैं। वार्डो को गोद लेने वाले भामाशाह धरातल पर कहीं नजर नहीं आ रहे हैं पूरी तरह से नदारद माना जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय आपदा कोविड-19 में भी वोटों की राजनीति करने वालों को भामाशाह कैसे कहा जा सकता है।