एस. ज़ेड. मलिक (पत्रकार)
नई दिल्ली – इस वर्ष 2021 में बिहार, पश्चिम बंगाल और चार अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों से चुनाव आयोग को कोरोना वायरस महामारी के बीच काफी अनुभव प्राप्त हैं।
इस महामारी को देखते हुए अब मुख्य चुनाव आयुक्त ने अगले साल होने वाले यूपी समेत पांच विधानसभा चुनाव को लेकर फजीहत झेलना नहीं चाहते। इसलिये मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा ने कहा है कि चुनाव आयोग को उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव अगले साल समय पर कराने की उम्मीद जताई है।
निर्वाचन आयुक्त श्री चंद्रा ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा की गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड विधानसभाओं का कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त होगा। वहीं, उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल अगले साल मई तक चलेगा। ‘निर्वाचन आयोग की यह पहली जिम्मेदारी है कि विधानसभाओं का कार्यकाल समाप्त होने से पहले हम चुनाव कराएं और विजयी उम्मीदवारों की सूची (राज्यपाल को) सौंप दें।
निर्वाचन आयुक्त ने बिहार विधान सभा चुनाव का ज़िक्र करते हुए कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर कमजोर हो रही है और संख्या (संक्रमण के मामलों की) काफी कम है। हमने महामारी के दौरान बिहार सहिंत चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव कराए हैं, इसलिये हमने महामारी में भी चुनाव कराने का काफी अनुभव हासिल किया है। इसलिये “मुझे पूरा भरोसा है कि अब महामारी के कमजोर होने और जल्द ही इसके समाप्त होने की उम्मीदों के बीच हम अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव बिल्कुल तय कार्यक्रम के अनुसार समय पर कराने की स्थिति में होंगे।
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में जहां भाजपा की सरकारें हैं, वहीं पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। निर्वाचन आयोग के एक जनवरी, 2021 के आंकड़ों के अनुसार देश में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में लगभग 14.66 करोड़ मतदाता हैं। वहीं, पंजाब में दो करोड़ से अधिक मतदाता हैं। उत्तराखंड में 78.15 लाख मतदाता पंजीकृत हैं। वहीं, मणिपुर में 19.58 लाख और गोवा में 11.45 लाख मतदाता हैं। पांचों राज्यों में कुल लगभग 17.84 करोड़ मतदाता हैं।
अब सवाल उठता है कि आगामी पांच राज्यों में महामारी के दौरान इतनी भारी मात्रा में मतदाताओं के बीच ऐसी स्थिति में निवार्चन आयुक्त सुरक्षा के दृष्टिकोण से कौन सा क़दम उठाने जा रहे हैं ?इस पर उनका मानना है कि आयोग ने पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ‘कोविड मुक्त चुनाव’ कराने के लिए अनेक कदम उठाए थे। इनमें 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और कोविड-19 पीड़ितों के लिए डाक मतपत्र की इजाजत दी गई थी। इसी तरह के कदम बाद में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में भी उठाए गए। इसी प्रकार आगामी चुनाव में पहले वेक्सीन तब मतदान का नियम बनाने जा रहे हैं।