समस्याग्रस्त भारत की कमजोर राजनीति के लिए जिम्मेदार कौन ??

Aanchalik Khabre
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समस्याग्रस्त भारत की कमजोर राजनीति के लिए जिम्मेदार कौन ??

लेखिका सुनीता कुमारी पूर्णियां बिहार

भारत की राजनीति में एक कहावत सटीक बैठती है ,”घर का भेदी लंका ढाए”।भारत की राजनीति भी कुछ ऐसी ही है, हमेशा से भारत की राजनीति से जुड़े कुछ भ्रष्टाचारी , देशद्रोही ,अनैतिक एवं स्वार्थी लोगो के कारण भारत लूटपाट और गुलामी का शिकार रहा है।जो परिस्थिति 15वी शदी में थी, वही स्थिति आज भी है।फर्क सिर्फ इतना है कि उस वक्त भारत का धन विदेशी लुटेरे लुट कर ले जाया करते थे ,अभी देश की राजनीति से जुड़े भ्रष्टाचारी अनैतिक एवं स्वार्थी नेतागण भारत के धन को स्वीस बैंक में जमा करते हैं। जिसे काला धन के नाम से जाना जाता है।

भारत आजादी के बाद आर्थिक स्थिति से कमजोर पड़ता गया और भारत के भ्रष्टाचारी स्वार्थी नेताओं ने अपने लिए 7 पुश्तो तक का धन जमा कर लिया ।इन नेताओं को भारत की समृद्धि एवं विकास से कोई लेना देना नहीं है ।आखिर इन सब चीजों के लिए कौन जिम्मेदार है?
निश्चय ही हम आम जनता ही, इन सब चीजों के लिए जिम्मेदार हैं ,क्योंकि हमारी कमजोर मानसिकता का फायदा नेतागण आसानी से उठा लेते हैं ,उनकी बातों में फस कर हम बार-बार उन्हें वोट देकर भारत की राजनीति में जगह दे देते हैं ।इस कारण आज भारत की राजनीति में दागी और दल बदलू नेताओं की भरमार है।

भारत की राजनीति में यदि हम पिछले 600 वर्ष के शासन को पलट कर देखते हैं तो, भारत 1526 से 1947 तक विदेशियों का गुलाम रहा है और इसमें कहीं ना कहीं हमारी कमजोर मानसिकता ने विदेशियों की मदद की है ।एक किवदंती के अनुसार बाबर भारत घूमने आया था , घूमते घूमते वह किसी गांव के खेत में पहुंचा उसने देखा की एक किसान खेत में फसल की निगरानी कर रहा था ,चिड़ियों का झुंड आकर फसलों पर बैठता और वह किसान उसे उड़ाता, बाबर बड़े ध्यान से इस दृश्य को देख रहा था ,उसने देखा कि किसान के खेत में जब चिड़ियों का झुंड बैठता तो उसे वह उड़ा देता था और जैसे ही वह बगल वाले खेत में बैठता तो किसान किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में आ जाता था। किसान चिड़ियों को भगाने का कोई प्रयास नहीं कर रहा था ।बाबर को यही बात भारत पर आक्रमण करने के लिए उकसा गई ।
बाबर ने देखा कि भारत के लोग स्वार्थी है और आपसी रंजीस को हर जगह लागू कर देते है।बाबर ने अनुभव किया कि भारत पर आसानी से शासन किया जा सकता है ।
हद तो तब हो गई जब भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण पंजाब के शासक दौलत खान लोधी ने बाबर दी । बाबर ने भारत पर 1526 में आक्रमण किया और लोदी वंश को समाप्त कर मुगल शासन की शुरुआत की ,मुगलों ने भारत में लूटपाट तो मचाई ही साथ ही, भारत से बहुत सारा धन लूट कर वे अपने देश ले गए और बहुत सारे हिंदुओं को उसने मुस्लिम बना डाला को मंदिरों को तोड़ कर मस्जिद बना डाला।

अंग्रेज भी भारत व्यापार करने आए थे जब उन्होंने देखा कि,भारत की राजनीतिक स्थिति कमजोर है । तो धीरे-धीरे उसने राजनीति में भी दखल देना शुरू कर दिया। जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने भारत के राजा का राजनीतिक दृष्टि से कमजोर और आर्थिक दृष्टि से संपन्न अत्यंत वैभव और ऐश्वर्य संपन्न भारत को पाया, एवं अंग्रेजों ने धोखाधड़ी अनैतिक भ्रष्टाचार के माध्यम से राज्य हड़पना शुरू किया अमानवीय टैक्स लगाए ,करोड़ों लोगों को गरीबी और भुखमरी की गर्त में धकेल दिया ।भारत की संपदा और धन वैभव लूट कर ले गए अपने आप को अमीर राष्ट्र बना लिया ।एक नवाब को दूसरे नवाब से लड़ा कर राज्य हड़पने लगे। सिर्फ 1 साल में क्लाइव ने 11 लाख70,000डॉलर रिश्वत ली थी ।प्रत्येक रियासत 1लाख 40000 डालर सालाना हर्जाना लिया जाता था। बिल डियूरा ने लिखा है कि, भारत से 20 लाख का समान ब्रिटेन ले जाया जाता था और उसे एक करोड़ में बेचा जाता था।

एक वक्त ऐसा भी था जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था ,क्योंकि भारत में धन संपदा परिपूर्ण था। अंग्रेजों से पहले भारत में गरीबी और बेरोजगारी जैसी समस्या नहीं थी ।भारत आर्थिक स्थिति से मजबूत था किंतु जितना भारत आर्थिक दृष्टि से संपन्न था उतनी ही राजनीतिक दृष्टि से कमजोर था ।भारत के राजा साम्राज्य विस्तार के लिए आपस में ही लड़ा करते थे।
जिसका परिणाम अब भी भारत की जनता भुगत रही है।

अंग्रेज तो चले गए पर वह भारत के लोगों को भ्रष्टाचार लूटपाट कूटनीति सिखा गए ।इस कारण आज भारत में बेरोजगारी गरीबी भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है । भारत आर्थिक दृष्टि से पिछड़ता जा रहा है ।कमजोर राजनीतिक परिदृश्य में भारत को हमेशा से मुश्किल में डाल रखा है जब तक हमारी मानसिकता नहीं बदलेगी तब तक इस स्थिति से भारत उबर नहीं पाएगा ।भारत के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना जागृत करनी होगी ।देशभक्ति के प्रति उदासीन भावना मन से समाप्त कर ,देश के प्रति समर्पित होना होगा।देशभक्ती की भावना को जगाना पड़ेगा ।तब जाकर भारत का धन स्विस बैंक में नहीं जाएगा और भारत का विकास हो पाएगा। भारत की सारी समस्याओ का समाधान हो पाऐगा।।

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