भागवत कथा के अंतिम दिन मार्मिक पलों पर श्रद्धालुजन हुए भाव-विभोर, समापन पर कथा वाचक आचार्य श्री का समस्त राठौर परिवार के साथ विभिन्न संस्थाओं ने किया भावभरा अभिनंदन
पौथी यात्रा निकाली गई, राठौर परिवार ने कथा सा-आनंद पूर्ण होने पर सभी का माना आभार
झाबुआ। ईष्वर की खोज करने की आवष्यकता नहीं है, वह हर पल-प्रतिपल इंसान के साथ रहता है, बस उन्हें मन के पवित्र और अच्छे भाव से पुकारने और स्मरण करने की आवष्यकता है, ईष्वर जरूर मद्द करते है। अनन्य भक्तों को ईष्वर के दर्शन अक्सर होते रहते है एवं उन्हें हर मुसीबतों और तकलीफों के समय हमेशा यह आभास होता रहता है कि ईष्वर किसी ना किसी रूप में उनकी सहायता कर रहे है। हमे अपने मन के भावों को श्रेष्ठ और विचारों को उत्कृष्ट अर्थात नेक रखना चाहिए।
उक्त प्रेरणादायी उद्गार शहर के लक्ष्मीनगर स्थित अंबा पैलेस पर आयोजित सात दिवसीय समधुर,, संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन 21 दिसंबर, बुधवार को कथा का वाचन करते हुए भगवताचार्य एवं मानव मिशन ट्रस्ट के संस्थापक आचार्य श्री रामानुजजी महाराज ने व्यक्त किए। बुधवार को कथा अपने निर्धारित समय सुबह 9 बजे से आरंभ हुई। प्रारंभ में आचार्य श्री ने कथा एवं व्यास पीठ की पूजन की। बाद राठौर परिवार ने आचार्य श्री का अभिनंदन किया। कथा की समापन बेला में आचार्य श्री रामानुजजी ने कहा कि वर्तमान दौर काफी चुनौतियो भरा है एवं कलयुग होने से विनाषी शक्तियां, पाप, दुराचार आदि काफी तेजी से बढ़ रहे है। असत्यत सत्य पर हावी हो रहा है, लेकिन मनुष्य को यह ध्यान रखना चाहिए कि अत्सय कभी सत्य पर विजय हासिल नहीं कर सकता है। सत्य की देर ही सहीं, लेकिन जीत होती ही है। हमे अपने धर्म और कर्म श्रेष्ठ रखना चाहिए। अपने मन के आचार और विचार श्रेष्ठ रखना चाहिए। अपना आहार अच्छा रखना चाहिए और ईष्वर के फैसले पर भी भरोसा रखना चाहिए।
ईष्वर के प्रति अकूट आस्था एवं श्रद्धा से मनुष्य का कल्याण होता है
आचार्य श्री रामानुजजी ने बताया कि इस संसार में ईष्वर ही सर्वोपरि एवं परम् सत्ता है। हमे प्रतिदिन अपने घरों पर अपने ईष्ट देव की पूज-अर्चना के साथ प्रभु नाम का उच्चारण या मंत्र जाप का नियमित पालन करते रहना है, इससे हमारे दुखों और कष्टों का निवारण होने के साथ मन को असीम सुख-शाति की प्राप्ति होगी। ईष्वर का वास उसी घर में होता है, जहां करूणा, दया भाव के साथ सुख-षांति होती है, वहां समृद्धि भी होती है। पारिवारिक और सांसारिक तनावों से कुछ पल दूर होकर ईष्वर को भी समय देकर उनके नाम के उच्चारण से स्वतः ही समस्या का समाधान निकल आता है। ईष्वर के प्रति अपनी अकूट आस्था एवं श्रद्धा को बनाए रखने से मनुष्य का कल्याण होता है।
अंतिम दिन बाहर से भी अनेक भक्तजन पहुंचे
आपने सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शांति एवं आनंदपूर्वक श्रवण करने हेतु सभी भक्तजनों एवं आयोजक राठौर परिवार का आभार व्यक्त किया। वहीं अंतिम दिन कथा की विश्रांति पर भगवाताचार्यजी का सकल व्यापारी संघ, पिपलखुंटा हनुमान मंदिर समिति, श्री गीता जयंती समारोह समिति, हरि कथा आयोजन समिति, श्री श्वेतांबरजैन मालवा महासंघ, रोटरी क्लब, कन्हैयालाल राठौर मित्र मंडल एवं अन्य गुरूभक्तों ने आचार्य श्री का शाल-श्रीफल से भावभरा अभिनंदन किया। अंतिम दिन कथा में कुछ मार्मिक पलों पर भक्तन भावुक भी हुए और उन्होंन भगवान श्री कृष्ण एवं श्री रामजी के जयकारे भी लगाए। अंतिम दिन ना केवल झाबुआ जिले अपितु बाहर से भी अलग-अलग स्थानों से श्रद्धालुजन कथा श्रवण हेतु पहुंचे।
गुरू भक्त ने प्रतिदिन बनाई सुंदर रांगोली, इनका किया गया सम्मान
प्रतिदिन सेंधवा के गुरूदेव के एक युवा अनन्य भक्त ने कथा पांडल के प्रवेश पर सुंदर रांगोली का भी निर्माण किया, जिसकी सभी ने सराहना की। सात दिवसीय कथा में अंबा पैलेस के संचालक वरिष्ठ समाजसेवी एवं सेवाभावी नीरजसिंह राठौर के पिता जयंतीलाल राठौर द्वारा भी पूर्ण सहयोग प्रदान करने पर एवं 7 दिनों तक कथा का सफलापूर्वक संचालन करने पर वरिष्ठ नागरिक राधेष्याम परमार ‘दादुभाई’ का आचार्य श्री के सानिध्य में आयोजक राठौर परिवार ने सम्मान किया। अंतिम दिन भी कथा श्रवण हेतु पांडाल में हजारों भक्तजन मौजूद रहे।
पौथी यात्रा एवं भव्य भंडारे के साथ हुआ समापन
कथा की विश्रांति पर राठौर परिवार द्वारा कथाजी एवं आचार्य श्रीजी की आरती की गई। जिसमें सभी भक्तजन शामिल हुए। बाद कथा स्थल से ही समीपस्थ श्री विघ्नहर्ता गणेष मंदिर तक आचार्य श्री के सानिध्य में पौथी यात्रा निकाली गई। जिसमें पौथी लेकर लाभार्थी कन्हैयालाल राठौर एवं जगदीशचन्द्र राठौर परिवार द्वारा चलते हुए समस्त भक्तजन भी शामिल हुए। समापन बेला में कथा को सफल बनाने में विषेष सहयोग प्रदान करने वाले संगीत, माईक सिस्टम, टेंट, भोजन व्यवस्था से लेकर सभी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहयोगियों का भी राठौर परिवार एवं आयोजन समिति ने स्वागत-वंदन किया। समापन पर सभी के लिए भव्य भंडारा भी रखा गया। जिसका भी बड़ी संख्या में भक्तों ने आनंद लेते हुए पूरे सात दिवसीय आयोजन को सा-आनंद एवं सफलतापूर्वक संपन्न बनाया।