दिल्ली को पहली वैश्य समाज की महिला मुख्यमंत्री मिली – रेखा गुप्ता ने संभाली कमान!

News Desk
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दिल्ली की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बड़ा दांव खेलते हुए रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना है। शालीमार बाग सीट से पहली बार विधायक बनीं रेखा गुप्ता गुरुवार को रामलीला मैदान में दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगी। इस फैसले ने जहां दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी है, वहीं महिला सशक्तिकरण को भी नया आयाम दिया है। बीजेपी ने वैश्य समाज से आने वाली रेखा गुप्ता पर भरोसा जताते हुए तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है। इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 27 साल बाद ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 70 में से 48 सीटों पर कब्जा जमाया। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी (AAP) महज 22 सीटों पर सिमट गई।

रेखा गुप्ता का राजनीतिक सफर कॉलेज के दिनों से शुरू हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज में पढ़ाई करते हुए उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गईं।

1994-95: दौलत राम कॉलेज की सेक्रेटरी बनीं, जहां उन्होंने छात्रों के हित में कई काम किए।

1995-96: दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ (DUSU) की सेक्रेटरी चुनी गईं।

1996-97: DUSU की अध्यक्ष बनीं, जो उनकी नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है।

2003-04: दिल्ली प्रदेश महिला मोर्चा की सेक्रेटरी बनीं।

2004-06: बीजेपी युवा मोर्चा की नेशनल सेक्रेटरी के तौर पर काम किया।

2007: पीतमपुरा नॉर्थ से पार्षद बनीं, जहां उन्होंने स्थानीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2009: दिल्ली प्रदेश महिला मोर्चा की महासचिव बनीं।

2010: बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य चुनी गईं।रेखा गुप्ता ने तीन बार दिल्ली नगर निगम (MCD) में पार्षद पद पर जीत हासिल की और साउथ दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (SDMC) की मेयर भी बनीं। संगठन के स्तर पर भी उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व का परिचय दिया। बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहते हुए उन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए कई पहल कीं।

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चुनावी संघर्ष और जीत की कहानी

रेखा गुप्ता का चुनावी सफर आसान नहीं था। 2013 में उन्होंने पहली बार शालीमार बाग से विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार वंदना कुमारी से करीब 11 हजार वोटों से हार गईं। इस हार के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और पार्टी में सक्रिय रहकर संगठन में अपनी पकड़ मजबूत की। 2025 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने वही सीट फिर से जीती और वंदना कुमारी को इस बार 30 हजार वोटों से हराया। यह जीत उनके मजबूत जज्बे और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता का परिणाम है।

पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा

रेखा गुप्ता का जन्म 1974 में हरियाणा के जींद जिले के जुलाना में हुआ। उनके पिता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में कार्यरत थे, जिसके चलते परिवार दिल्ली आ गया। हालांकि उनका परिवार अब भी जुलाना में कारोबार करता है। रेखा गुप्ता ने दौलत राम कॉलेज से स्नातक किया, फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने एम.बी.ए और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की, जो उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को दर्शाती है।

निजी जीवन और संघ से जुड़ाव

रेखा गुप्ता की शादी दिल्ली के व्यवसायी मनीष गुप्ता से हुई है। वह लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सक्रिय सदस्य हैं और संघ के कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेती रही हैं। उनका संघ से जुड़ाव ही उनकी संगठनात्मक क्षमता और विचारधारा की स्पष्टता को दर्शाता है।

बीजेपी ने रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर महिला सशक्तिकरण का संदेश दिया है। विधायक दल की बैठक में प्रवेश वर्मा और विजेंद्र गुप्ता ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। बैठक में बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद और ओपी धनखड़ पर्यवेक्षक के तौर पर मौजूद थे। पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मिला और सरकार बनाने का दावा पेश किया।

बीजेपी की ऐतिहासिक जीत

इस बार बीजेपी ने दिल्ली में बड़ा उलटफेर करते हुए आम आदमी पार्टी को मात दी। बीते एक दशक से सत्ता पर काबिज AAP को इस चुनाव में करारी शिकस्त मिली। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया जैसे दिग्गज नेताओं को अपनी सीटें गंवानी पड़ीं। दिल्ली की जनता ने बदलाव के लिए मतदान करते हुए बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिया।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में नया अध्याय

रेखा गुप्ता की नियुक्ति महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर है। इससे पहले शीला दीक्षित ने भी महिला मुख्यमंत्री के तौर पर दिल्ली का नेतृत्व किया था। जनता को रेखा गुप्ता से विकास और पारदर्शी शासन की उम्मीदें हैं। विशेषकर महिलाओं और युवाओं के लिए उनकी योजनाओं पर सभी की निगाहें टिकी हैं।

मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता के सामने कई बड़ी चुनौतियां होंगी:

स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: सरकारी अस्पतालों की स्थिति बेहतर करना उनकी प्राथमिकता होगी।

शिक्षा में सुधार: स्कूलों में आधारभूत सुविधाएं बढ़ाने और कॉलेजों में सीटें बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।

महिलाओं की सुरक्षा: महिला सुरक्षा के लिए पुलिस गश्त और सीसीटीवी कैमरे बढ़ाने के कदम उठाए जाएंगे।

प्रदूषण नियंत्रण: दिल्ली के वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाना जरूरी होगा।

यातायात और परिवहन: जाम और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को सुधारना भी प्राथमिक एजेंडे में शामिल है।

रोजगार के अवसर: युवाओं के लिए नई नौकरियां सृजित करना एक अहम चुनौती होगी।

पानी और बिजली समस्या का समाधान: लोगों को 24 घंटे बिजली और स्वच्छ पानी मुहैया कराना जरूरी होगा।

विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद रेखा गुप्ता ने कहा, “यह मेरे लिए सम्मान और जिम्मेदारी का क्षण है। मैं दिल्ली के हर नागरिक के लिए काम करूंगी और सभी को साथ लेकर चलूंगी। महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और सुरक्षा मेरी प्राथमिकता रहेगी। दिल्ली को स्वच्छ, सुरक्षित और विकसित शहर बनाना मेरा सपना है।”

रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने के बाद दिल्ली की जनता को उनसे कई उम्मीदें हैं। महिलाओं के लिए रोजगार सृजन, युवाओं के लिए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना और बुजुर्गों के लिए पेंशन योजनाओं को मजबूत करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहेगा।

रेखा गुप्ता की ताजपोशी केवल एक राजनीतिक फैसला नहीं, बल्कि दिल्ली की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत है। उनका संघर्ष, मेहनत और संगठनात्मक क्षमता उन्हें इस मुकाम तक लेकर आई है। अब देखना होगा कि वह जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतरती हैं। रामलीला मैदान में गुरुवार को उनके शपथ ग्रहण समारोह में बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे, जहां दिल्ली एक नए नेतृत्व के साथ नई उम्मीदों की उड़ान भरेगी।

 

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