हरियाणा और पंजाब के बीच स्थित शंभू बॉर्डर पर किसानों का 13 महीने लंबा चला आंदोलन आखिरकार समाप्त हो गया है। इसके बाद प्रशासन ने तेजी से हाईवे को साफ कर एक तरफ से यातायात बहाल कर दिया है। वीरवार को शंभू-अंबाला हाईवे को एक लेन में खोल दिया गया, जिससे राजपुरा से अंबाला जाने वाले वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। किसानों का यह आंदोलन फरवरी 2024 में अपनी मांगों को लेकर शुरू हुआ था, लेकिन हरियाणा सरकार ने उन्हें दिल्ली कूच करने से पहले ही रोक दिया था। तब से यह मार्ग पूरी तरह से बाधित था, जिससे यात्रियों को 20 किमी का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ रहा था।
बुधवार शाम को पंजाब पुलिस ने धरना स्थल को खाली कराने की कार्रवाई शुरू की थी। पुलिस ने किसानों से बातचीत कर शांति से हटने का आग्रह किया, जिसके बाद आंदोलनकारियों ने किसी भी टकराव से बचते हुए धरना स्थल खाली कर दिया। इसके तुरंत बाद हरियाणा सरकार ने भी युद्धस्तर पर हाईवे से अवरोध हटाने का काम शुरू कर दिया।
वीरवार तड़के हरियाणा की ओर से बुलडोजर मंगवाए गए, जिन्होंने कंक्रीट के बैरिकेड्स हटाने का कार्य किया। इससे पहले पंजाब पुलिस ने किसानों द्वारा बनाए गए अस्थायी ढांचों को हटा दिया था। इसके बाद शाम करीब साढ़े चार बजे से वाहनों की आवाजाही बहाल कर दी गई।
धरना समाप्त होने के पीछे की रणनीति
धरने को शांतिपूर्वक समाप्त करने के लिए प्रशासन ने किसानों के साथ बातचीत का रास्ता अपनाया। सरकार और किसान नेताओं के बीच कई दौर की वार्ता हुई, जिसमें किसानों को समझाने का प्रयास किया गया कि अब इस आंदोलन को खत्म करने का समय आ गया है।
इसके अलावा, पंजाब और हरियाणा पुलिस ने आपसी समन्वय के तहत काम किया ताकि किसी भी प्रकार की हिंसा या टकराव से बचा जा सके। आंदोलनकारियों को धीरे-धीरे हटाने की प्रक्रिया अपनाई गई, जिसमें बल प्रयोग नहीं किया गया। पटियाला के एसएसपी नानक सिंह ने भी कहा कि किसानों ने सहयोग किया और धरना स्थल को शांतिपूर्ण तरीके से खाली कर दिया गया।
बैरिकेड्स हटाने का काम जोरों पर
शंभू बॉर्डर पर हाईवे के दूसरी लेन से भी बैरिकेडिंग हटाने का काम जोरों पर चल रहा है। प्रशासन ने बताया कि जल्द ही पूरा हाईवे खुल जाएगा और यातायात पूरी तरह से सामान्य हो जाएगा।
हरियाणा पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि हाईवे के दूसरी लेन से भी बैरिकेड्स हटाने का काम अंतिम चरण में है और जल्द ही यह पूरी तरह से खुल जाएगा। हाईवे के सुचारू रूप से चलने से व्यापारियों और दैनिक यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी, जो लंबे समय से इस समस्या का सामना कर रहे थे।
फरवरी 2024 में किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू बॉर्डर पर इकट्ठा हुए थे। उनकी मुख्य मांगों में निम्नलिखित शामिल थीं—
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी – किसानों की सबसे बड़ी मांग थी कि सरकार उनकी फसलों को निश्चित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे और इसे कानूनी रूप से लागू किया जाए।
कर्ज माफी – किसानों ने सरकार से कृषि ऋण माफ करने की मांग की, जिससे वे आर्थिक रूप से राहत पा सकें।
कृषि कानूनों से जुड़ी कुछ अन्य शर्तें – किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों में संशोधन की भी मांग की थी, जिससे उन्हें अधिक सुरक्षा मिल सके।
किसानों की दिल्ली कूच की योजना को देखते हुए हरियाणा सरकार ने बॉर्डर सील कर दिया था और पुलिस बल की भारी तैनाती कर दी थी। इसके बाद से ही यह मार्ग पूरी तरह से बंद था, जिससे आम यात्रियों और ट्रांसपोर्टरों को भारी परेशानी उठानी पड़ी।
हाईवे बंद होने से यात्रियों को हुई परेशानी
हाईवे के बंद होने से दोनों राज्यों के लोगों को लंबा सफर तय करना पड़ रहा था। यह सड़क पंजाब, हरियाणा और दिल्ली को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग है, और इसके बाधित होने से व्यापारिक गतिविधियां भी प्रभावित हो रही थीं।
पंजाब से हरियाणा और दिल्ली जाने वाले यात्रियों को वैकल्पिक मार्ग अपनाने पड़ रहे थे, जिससे उनका सफर 20-30 किलोमीटर तक लंबा हो जाता था।
ट्रांसपोर्टरों को अतिरिक्त ईंधन खर्च करना पड़ रहा था, जिससे परिवहन लागत बढ़ गई थी।
व्यवसायों को नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि माल की आवाजाही बाधित हो रही थी।
स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों को वैकल्पिक मार्गों से यात्रा करनी पड़ रही थी, जिससे उनकी दिनचर्या प्रभावित हो रही थी।
रास्ता खुलने से लोगों को राहत
अब जब 13 महीने बाद यह हाईवे खुलने की स्थिति में आ गया है, तो स्थानीय लोग और यात्री राहत महसूस कर रहे हैं। प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए तेजी से काम किया है कि सड़क को जल्द से जल्द यातायात के लिए खोल दिया जाए।
हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने किसानों से बातचीत कर धरना समाप्त कराया, और अब हाईवे को पूरी तरह से बहाल करने का कार्य जारी है। अगले कुछ घंटों में पूरा मार्ग यातायात के लिए खोल दिया जाएगा।
पटियाला के एसएसपी नानक सिंह ने कहा—
“हमने धरना स्थल को शांतिपूर्वक खाली कराया और किसी भी तरह की हिंसा नहीं हुई। किसान भी सहयोग कर रहे थे। अब हाईवे को पूरी तरह से साफ किया जा रहा है और जल्द ही यातायात सामान्य हो जाएगा।”
हरियाणा पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि—
“प्रशासन ने किसानों से बातचीत कर धरना समाप्त कराया, और अब हाईवे को पूरी तरह से बहाल करने का कार्य जारी है। अगले कुछ घंटों में पूरा मार्ग यातायात के लिए खोल दिया जाएगा।”
क्या यह अंतिम समाधान है?
हालांकि शंभू बॉर्डर से किसानों का धरना समाप्त हो गया है और हाईवे खुलने की प्रक्रिया तेज हो गई है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या उनकी मांगें पूरी तरह से मानी गई हैं? किसान संगठनों का कहना है कि वे अभी भी अपनी मांगों को लेकर सरकार से बातचीत करेंगे और जरूरत पड़ी तो आगे भी आंदोलन किया जा सकता है।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार और किसानों के बीच अब एक स्थायी समाधान निकालने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस तरह के विरोध प्रदर्शनों के कारण आम जनता को परेशानी न उठानी पड़े।
शंभू बॉर्डर पर 13 महीने से जारी किसान आंदोलन का अंत हो गया है, और प्रशासन ने तेजी से हाईवे खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह फैसला आम जनता और यात्रियों के लिए राहतभरा है, जो लंबे समय से इस बाधा के कारण परेशान हो रहे थे। अब देखना यह होगा कि भविष्य में किसानों और सरकार के बीच बातचीत कैसे आगे बढ़ती है और क्या स्थायी समाधान निकलता है।
यह धरना किसानों के लिए एक बड़ी लड़ाई का हिस्सा था, लेकिन इसके कारण आम लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। अब जब रास्ता खुल गया है, तो लोगों को उम्मीद है कि भविष्य में सरकार और किसानों के बीच बातचीत से कोई स्थायी समाधान निकलेगा ताकि दोबारा इस तरह की स्थिति उत्पन्न न हो।