इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे शुभांशु शुक्ला,बने 634 वें अंतरिक्ष यात्री

Anchal Sharma
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अंतरिक्ष

भारत का यह कदम कैसे बदल सकता है अंतरिक्ष की दुनिया

लखनऊ के लाल शुभांशु शुक्ला समेत अन्य तीन अंतरिक्ष यात्रियों ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का सफर तय कर लिया है। इन सभी ने सिर्फ 28 घंटे में यह सफर तय किया। यह उपलब्धि हासिल करने वाले शुभांशु पहले भारतीय हैं।

Axiom -4 shubhanshu Shukla: भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक और कदम बढ़ाकर इतिहास रच दिया है। पिछले दो प्रयासों की कोशिश के चलते भारत के शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा अधूरी रह गई थी। लेकिन बीते गुरुवार को लखनऊ के लाल शुभांशु शुक्ला के साहस ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ( आईएसएस) पर कदम रखकर इतिहास रच दिया। ISS पहुंचने वाले शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय बने। साथ ही वो दुनिया के 634वें अंतरिक्ष यात्री भी बने। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाते वक्त शुभांशु शुक्ला अपने साथ साथ तिरंगा लिए हुए थे। इस यात्रा के समय शुभांशु के साथ तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री भी मौजूद थे।

भारत के लाल शुभांशु का गर्मजोशी से हुआ स्वागत

गुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनकी Axiom -4 टीम 28 घंटे का सफर तय करके इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ( ISS) में कदम रख लिया है। जहां इन चारों लोगों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से अपने निर्धारित समय से ठीक 20 मिनट पहले डॉक हुआ। इस दौरान ISS की एक से दो घंटे की जांच की गई। जिसमें हवा के दबाव और रिसाव की पुष्टि की गई। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जब अपने तीन साथियों के साथ आईएसएस पहुंचे तो पेय ने उनका स्वागत किया। इस बीच सभी अंतरिक्ष यात्रियों ने गले लगकर एक दूसरे का स्वागत किया। आईएसएस क्रू ने शुभांशु को पानी के पाउच फ्लेवर्ड ड्रिंक पीने को दिया। जो माइक्रोग्रैविटी में स्ट्रो से पिए गए। बता दें कि शुभांशु शुक्ला का ड्रैगन यान जैसे ही डॉकिंग किया। इसके बाद पूरी जांच के बाद डैच खोला गया।

आईएसएस में पहुंचने के बाद क्या बोले शुभांशु

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले भारत के शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय बनकर इतिहास रच दिया है। वे विश्व के 634 वें अंतरिक्ष यात्री है। उन्होंने आईएसएस जाते समय 634 वें नंबर का बैच लगाया हुआ था। ISS पहुंचने के बाद मिशन कमांडर पैगी व्हिवस्टन ने शुभांशु को एक पिन दी। जो पहली बार अंतरिक्ष यात्रा कर रहे यात्री को दी जाती है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने के बाद ग्रूप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने भारत के लोगों को संदेश भेजा। उन्होंने अपने संदेश में कहा मैं आप सभी के प्यार और आशीर्वाद से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच गया हूं। यह भारत की अंतरिक्ष की यात्रा का एक चरण है। मैं अपने साथ भारत का तिरंगा लाया हूं। और आप लोगो से समय समय पर बात करता रहूंगा। मैं यहां अकेला नहीं हूं। आप सभी को साथ लेकर चल रहा हूं। आईएसएस में पहुंचने के बाद खड़ा होना आसान है। लेकिन मेरा सिर थोड़ा भारी है। इसलिए कठिनाई हो रही है। लेकिन समय रहते आदत हो जायेगी।

क्या है अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी ISS पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है। जो एक घर के तौर पर काम करता है। यहां अंतरिक्ष यात्रियों की एक पूरी टीम उपस्थित होती है। इस अंतरिक्ष में रहने वाले यात्री सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में प्रयोग करते हैं। यह 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूमता है। आईएसएस हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का निमार्ण पांच आंतरिक्ष एजेंसियों ने मिलकर बनाया है। नासा की तरफ़ से अंतरिक्ष स्टेशन का अंतरिक्ष में रहने और काम करने के बारे में अधिकारी जानकारी के लिए इस्तेमाल करता है। आपको बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहली बार टीम 2 नवम्बर 2000 को पहुंची थी। इसके बाद से ही यात्री आईएसएस पर जा रहे हैं। समय के साथ इसमें कई बदलाव भी किए गए हैं। नासा समेत अन्य चार स्पेस एजेंसियों ने साल 2011 में इसका निर्माण पूरा कर लिया था। आईएसएस का आकार पांच बेडरूम वाले घर जितना बड़ा होता है। जहां 6 चालक और कई अंतरिक्ष यात्री आसानी से रह सकते हैं। अंतरिक्ष में कई प्रयोगशालाएं हैं। जहां अंतरिक्ष यात्री शोध करते हैं। जो कहीं और नहीं किया जा सकता।

शुभांशु के ISS में पहुंचने पर क्या बोले राकेश शर्मा

भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है। राकेश शर्मा ने बुधवार को एक पॉडकास्ट में अपने विचार साझा करते हुए बोले कि अंतरिक्ष यात्रा इंसान की सोच बदल देती है। उसे दुनिया को इस नजर से देखने पर मजबूर करती है कि यह ग्रह सबका है किसी एक का नहीं है। मुझे गर्व हो रहा है कि 41 साल बाद किसी भारतीय ने अंतरिक्ष यात्रा पर कदम बढ़ाए हैं। अंतरिक्ष की दुनिया में भारत का झंडा देखकर गर्व महसूस हो रहा है। शुभांशु ने देश के लिए एक नया इतिहास रचा है। राकेश शर्मा ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि हमारे भारत में हमें सबकुछ मिला है। धरती पर हमें हिमालय से लेकर पहाड़ और कई खुबसूरत नजरें मिले हैं। जबकि अंतरिक्ष में दिन और रात बहुत ही असामान्य होते हैं। क्योंकि सूर्योदय और सूर्यास्त केवल 45 मिनट के अंतराल पर होते हैं।

शुभांशु के माता – पिता और सीएम योगी ने जताई खुशी

लखनऊ के लाल शुभांशु शुक्ला के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पहुंचने की खुश देशभर में नजर आ रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को एक्स-4 मिशन के पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को उनकी उपलब्धि पर बधाई दी। सीएम योगी आदित्यनाथ पीएम मोदी की दूरदर्शी नेतृत्व के लिए भी सराहना की। उन्होंने पोस्ट में कहा भारत के लिए गौरव का क्षण। इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर एक्सिओम मिशन 4 के मिशन पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को हार्दिक बधाई। वहीं शुभांशु शुक्ला के माता पिता ने भी बेटे की उपलब्धि पर खुशी जताई है।

शुभांशु के पिता शंभू दयाल शुक्ला ने बताया कि बेटा की अंतरिक्ष यात्रा का लाइव प्रसारण लगातार देख रहा था। घबराइट थी, लेकिन भगवान पर. पूरा भरोसा था। अन्तरिक्ष यान की डॉकिंग होने पर बड़ा सुकून हुआ। यह सब भगवान की कृपा से संभव हुआ है। बेटे पर गर्व है। पूरे देशवासियों की बेटे के साथ दुआएं हैं। उन्होंने बेटे के मिशन की सफलता और सुरक्षित वापसी की दुआ भी की। सीएमएसम सभागार में शुभांशु के पिता-माता और बहन से हर कोई सवाल पूछ रहा था। माता-पिता सवालों के जवाब दे रहे थे, लेकिन कुछ परेशान और घबराए हुए थे। इसी बीच अंतरिक्ष यान से बेटे शुभांशु का लाइव प्रसारण देख उत्साहित हो उठे। हाथों में तिरंगा लेकर खड़े हुए, बेटे की बात सुनी तो डर व घबराहट दूर हो गई। इसके अलावा शुभांशु की मां एक पल के लिए तो रोने भी लगी। बेटे के दूर जानें का गम मां के आंसू नहीं रोक सका। मैं चाहती हूं बेटा अब मिशन पूरा करके ही लौटे।

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