यूपी सरकार का बड़ा फैसला: बच्चों की सुरक्षा के लिए ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ का विस्तार, जर्जर स्कूलों का होगा पुनर्निर्माण और ध्वस्तीकरण
राजस्थान के झालावाड़ में सरकारी स्कूल की जर्जर इमारत गिरने से सात मासूम बच्चों की मौत हो गई। इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया और एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या हमारे बच्चे सुरक्षित हैं?
उत्तर प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला: जर्जर भवनों में नहीं होगी पढ़ाई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक उच्च स्तरीय बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि अब किसी भी परिषदीय स्कूल के जर्जर भवन में बच्चों की पढ़ाई नहीं होगी। यह फैसला एक मजबूत और सुरक्षित भविष्य की दिशा में निर्णायक कदम है।
सघन जांच और वैकल्पिक व्यवस्था का निर्देश
सरकार ने सभी जिलों में स्कूल भवनों की भौतिक स्थिति की गहन जांच कराने के आदेश दिए हैं। जिन भवनों को असुरक्षित पाया जाएगा, उनके पुनर्निर्माण तक वैकल्पिक स्थानों पर कक्षाएं चलाई जाएंगी ताकि बच्चों की शिक्षा बाधित न हो और उनकी सुरक्षा बनी रहे।
CSR और जनभागीदारी से बनेगा जन आंदोलन
मुख्यमंत्री ने सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) फंड के उपयोग और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी का आह्वान किया है। इससे यह अभियान केवल सरकारी स्तर का न रहकर एक जन आंदोलन का रूप लेगा।
“प्राथमिक विद्यालय केवल इमारतें नहीं हैं, ये समाज के भविष्य की नींव हैं।” — योगी आदित्यनाथ
‘ऑपरेशन कायाकल्प’ से पहले ही दिखने लगे हैं असर
उत्तर प्रदेश सरकार पहले से ही ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ के तहत विद्यालयों में बदलाव ला रही है:
96% सुधार कार्य पूरे
1.32 लाख से अधिक स्कूलों में पुस्तकालय
बालिकाओं के लिए लगभग सभी स्कूलों में शौचालय की सुविधा
वर्ष 2017 से पहले जहां केवल 36% स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं थीं, आज वह आंकड़ा कई गुना बेहतर हो चुका है।
झालावाड़ की घटना और शिक्षकों का गुस्सा
झालावाड़ हादसे के बाद शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन कर अपनी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि तकनीकी विफलताओं के लिए उन्हें बलि का बकरा बनाया गया, जबकि भवनों का रखरखाव इंजीनियरों की जिम्मेदारी है। यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों की शिक्षा की सुरक्षा को नए सिरे से सोचने को मजबूर करता है।
उत्तर प्रदेश में पुनर्निर्माण और मरम्मत के ठोस कदम
2 वर्षों में 1835 स्कूलों का पुनर्निर्माण (283 करोड़ रुपये)
वर्तमान में 557 स्कूलों का निर्माण कार्य जारी (106 करोड़ रुपये)
1033 विद्यालयों में मरम्मत (45 करोड़ रुपये)
ये आंकड़े दिखाते हैं कि सरकार केवल घोषणा नहीं कर रही, जमीन पर कार्य कर रही है।
पारदर्शिता और निगरानी को मिला महत्व
हर कार्य का फोटोग्राफिक दस्तावेज़ीकरण अनिवार्य किया गया है। सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से सरकार अपनी योजनाओं की जानकारी जनता तक पहुंचा रही है।
नामांकन में ऐतिहासिक वृद्धि: सुरक्षा से जुड़ा विश्वास
वर्ष 2016-17 में नामांकन: 10,784 बच्चे
वर्ष 2024-25 में नामांकन: 4.58 लाख बच्चे
यह दिखाता है कि जब शिक्षा और सुरक्षा का भरोसा एक साथ मिलता है, तब समाज खुलकर आगे आता है।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए आधुनिक पहल
2024-25 में 15.37 करोड़ मुफ्त किताबों का वितरण
4.53 लाख शिक्षकों को डिजिटल शिक्षा का प्रशिक्षण
इससे शिक्षा प्रणाली को आधुनिक और प्रभावशाली बनाने की दिशा में तेज़ी से काम हो रहा है।
जर्जर भवनों की पहचान और ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया जारी
जिन भवनों का पुनर्निर्माण संभव नहीं, उनकी मरम्मत कराई जा रही है
“निष्प्रयोज्य (Abandoned)” लिखकर ऐसे भवनों को चिन्हित किया जा रहा है ताकि कोई अनजाने में उपयोग न कर सके
निष्कर्ष: एक राज्य की पहल, देश के लिए प्रेरणा
झालावाड़ की त्रासदी ने हमें हिला कर रख दिया, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने इससे सबक लेते हुए एक सशक्त और मानवीय अभियान शुरू किया है। यह पहल केवल स्कूल भवनों की मरम्मत नहीं, बल्कि एक समग्र शिक्षा सुधार आंदोलन है।
अगर इसी तरह इच्छाशक्ति और जनभागीदारी से अन्य राज्य भी कार्य करें, तो भारत में कोई भी बच्चा असुरक्षित स्कूल में पढ़ने को मजबूर नहीं होगा।
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