राजेश सिंगला Poem: बेटी ये कोख से बोल रही, माँ कर दे मुझ पे ये उपकार

Aanchalik khabre
By Aanchalik khabre
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Poem: बेटी ये कोख से बोल रही, माँ कर दे मुझ पे ये उपकार

साइकिल पर अखबार बेचने के साथ नशा,भ्रूण हत्या आदि सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लोगों को कर रहे हैं जागरूक

निसिंग क्षेत्र के गांव बस्तली,बरास,अमुपुर,गुनीयाना और निसिंग शहर में सुबह चार बजे से दोपहर तक अखबार बेचने वाला निसिंग निवासी राजेश सिंगला अपनी साइकिल पर अखबार बेच कर अपना घर चला रहा है।
राजेश सिंगला Poem: बेटी ये कोख से बोल रही, माँ कर दे मुझ पे ये उपकार
राजेश सिंगला ने बताया कि पिछले लगभग दस सालों से साइकिल पर अखबार बेचने के साथ-साथ नशा, भ्रूण हत्या आदि सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लोगों को जागृत करने की अलख जगाई है।साइकिल की टोकरी पर लिखे स्लोगन के साथ जागरूक कर रहे हैं।
बेटी ये कोख से बोल रही, माँ कर दे मुझ पे ये उपकार
मत मार मुझे जीवन देदे, मुझकों भी देखन दे संसार
बिन मेरे माँ तुम भैया को, राखी किससे बन्धवावोगी
मरती रही कोख की हर, बेटी तो बहु कहाँ से लवोगी
बेटी है बहन बेटी दुल्हन, बेटी बिन सुना है परिवार
मत मार मुझे जीवन देदे, मुझकों भी देखन दे संसार
नहीं जानती मै इस दुनिया को, मैंने तो जाना है तुझको
मुझे पता तुझे है फिकर मेरी, तू मार नहीं सकती मुझकों
फिर क्यूँ इतनी मजबूर है तु, माँ क्यूँ है तूं इतनी लाचार
मत मार मुझे जीवन देदे, मुझकों भी देखन दे संसार
मै बेटी हूँ मै बेटा नहीं, क्या मेरा है माँ दोष यही
मै तो कुदरत की रचना हूँ, तेरा मान बनूँगी बोझ नहीं
तेरी ममता को मै तरस रही, मत छीन तू मेरा ये अधिकार
मत मार मुझे जीवन देदे, मुझकों भी देखन दे संसार
गर मै ना रहे तो माँ फिर तूं, किसे दिल की बात बताओगी
मतलब की इस दुनियाँ में माँ, तू घुट घुट के रह जाओगी
बेटी हीं समझे माँ का दिल, करले बेटी से प्यार
मत मार मुझे जीवन देदे, मुझकों भी देखन दे संसार
राजेश सिंगला
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