रक्षाबंधन पर मिठास में ज़हर? अमरोहा में मिलावटखोरी पर ताबड़तोड़ छापे – क्या आपकी मिठाई सुरक्षित है?”

Aanchalik Khabre
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Raksha bandhan

रक्षाबंधन की मिठास के बीच डर की दस्तक

त्योहारों का मौसम नज़दीक आते ही देशभर में बाज़ारों की रौनक बढ़ जाती है। खासकर रक्षाबंधन जैसे भाई-बहन के पवित्र रिश्ते पर आधारित त्योहार पर मिठाइयों की मांग चरम पर पहुंच जाती है। लेकिन इस मिठास में कहीं ज़हर तो नहीं घुला?

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जनपद से आई एक चौंकाने वाली खबर ने न सिर्फ स्थानीय प्रशासन को हिलाया, बल्कि पूरे प्रदेश के नागरिकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी में सामने आया है कि कई मिठाई और डेयरी इकाइयां त्योहारों के मौके पर मुनाफे के चक्कर में मिलावट का ज़हर परोस रही हैं

कैसे खुला मिलावट का खेल?

अमरोहा के जिलाधिकारी के निर्देश पर, सहायक आयुक्त (खाद्य) विनय कुमार और उनकी टीम ने विशेष अभियान चलाया। उनके साथ मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी अरविंद कुमार, राकेश कुमार, मनोज कुमार कलश्यान और विपिन कुमार की संयुक्त टीम ने शहर और ग्रामीण इलाकों में एक के बाद एक छापेमारी की।

  • गजरौला, नवादा रोड और सुल्ताननगर पूर्वी में स्थित फैक्ट्रियों और दुकानों पर छापे मारे गए।
  • गुड्डू खान की पनीर फैक्ट्री से दूध, अरारोट, छेना और रसगुल्ला के नमूने लिए गए।
  • टीटू सिंह की रसगुल्ला फैक्ट्री से मिश्रित दूध और मिल्क क्रीम के सैंपल लिए गए।
  • नासिर की फैक्ट्री से छेना रसगुल्ला और दूध के सैंपल उठाए गए।
  • हसनपुर तहसील के गंगवार गांव स्थित कलुआ स्वीट्स से चमचम, तनवीर स्वीट्स से रंगीन मिठाई के नमूने लिए गए।

सबसे हैरान करने वाली घटना तब हुई जब एक रसगुल्ला कारोबारी फैक्ट्री में ताला लगाकर फरार हो गया। इससे साफ है कि कुछ कारोबारी खुद जानते हैं कि वे गलत कर रहे हैं।

गांव से शहर तक फैला हुआ जाल

यह मामला केवल शहरों तक सीमित नहीं रहा।
छापेमारी का दायरा ग्रामीण इलाकों तक फैलाया गया:

  • अफजाल डेरी, उझारी से दूध का सैंपल।
  • रझोहा गांव के डी.के. जूस सेंटर से पनीर का सैंपल।
  • धनोरा उर्फ मुरादनगर में मतलूब की मिठाई दुकान से खोया के नमूने लिए गए।

सभी नमूनों को विश्लेषण प्रयोगशाला भेजा गया है और रिपोर्ट के बाद यदि मिलावट पाई जाती है, तो दोषियों पर मुकदमा दर्ज होगा

त्योहारों पर क्यों बढ़ती है मिलावट?

रक्षाबंधन, दीपावली, होली या ईद – ये वो अवसर हैं जब मिठाइयों की मांग सामान्य से कई गुना बढ़ जाती है। यह अवसर कुछ लोभियों के लिएकाली कमाईका मौसम बन जाता है

सबसे आम मिलावटों में शामिल हैं:

  • सिंथेटिक दूध और नकली छेना – इसमें डिटर्जेंट, यूरिया, वनस्पति तेल जैसे घटक मिलाए जाते हैं।
  • रंगीन मिठाइयों में सिंथेटिक रंग – जो पेट, लिवर और किडनी पर बुरा असर डालते हैं।
  • खोया में स्टार्च या साबुन का घोल – जिससे मिठाई का वजन और बनावट तो सही लगे, पर स्वाद और सेहत दोनों बिगड़ते हैं।

यह सब केवल स्वाद के साथ धोखा नहीं है, बल्कि सीधी सेहत से खिलवाड़ है।

जनता की भूमिका: सतर्क रहें, सजग बनें

त्योहारों पर खरीदारी करते समय आम जनता को भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है:

  • बिना एफएसएसएआई लाइसेंस वाले दुकानदार से मिठाई न खरीदें।
  • ढकी हुई, लेबल युक्त और पैकिंग में सील मिठाइयां ही खरीदें।
  • अगर कोई मिठाई देखने या सूंघने में अजीब लगे, तो तुरंत शिकायत दर्ज करें
  • बाजारू खोया और छेना की जगह, अगर संभव हो तो घर में ही मिठाइयां तैयार करें।

प्रशासन सख्त, लेकिन क्या पर्याप्त?

सहायक आयुक्त विनय कुमार ने बयान देते हुए कहा:

“रक्षाबंधन को देखते हुए हम लगातार छापेमारी कर रहे हैं। मिलावट की कोई भी शिकायत मिली, तो कठोर कार्रवाई की जाएगी। सभी दुकानदारों को गुणवत्ता बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।”

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या केवल त्योहारों पर ही ऐसे अभियान चलाए जाएंगे? या यह एक स्थायी नीति का हिस्सा बननी चाहिए?

ज़रूरी हैं कड़े कानून और नियमित जांचें

खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 (FSSAI Act) के तहत मिलावट साबित होने पर:

  • पहली बार पकड़े जाने पर ₹5 लाख तक का जुर्माना या 6 माह तक की जेल।
  • यदि मिलावट से जान को खतरा हो, तो 10 साल तक की जेल या ₹10 लाख जुर्माना।
  • यदि मौत हो जाए तो आजन्म कारावास तक का प्रावधान है।

मगर जमीनी हकीकत में मिलावटखोर आसानी से छूट जाते हैं, क्योंकि:

  • जांच में देरी।
  • रिपोर्ट में हेरफेर।
  • स्थानीय प्रभाव या राजनीतिक संरक्षण।

इसलिए ज़रूरत है कि सरकार:

  1. मासिक जांच अभियान चलाए।
  2. ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से शिकायत को तुरंत एक्शन में लाया जाए।
  3. मिलावट पकड़े जाने पर लाइसेंस रद्द करना अनिवार्य किया जाए।
  4. स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों में खाद्य सुरक्षा पर जागरूकता अभियान चलाए।

मिलावटखोरी: एक सामाजिक अपराध

मिलावट सिर्फ कानून तोड़ना नहीं, एक सामाजिक अपराध है। त्योहारों की पवित्रता, पारिवारिक प्रेम और स्वास्थ्य – तीनों को इससे सीधा खतरा है। भाई-बहन के रिश्ते की मिठास कृत्रिम मिठाईयों के ज़हर से फीकी पड़े, इसके लिए ज़रूरी है कि हम सब सजग नागरिक बनें।

आपकी आवाज़ भी ज़रूरी है

अगर आपने कभी मिलावटी मिठाई, खट्टा दूध, या बासी खोया के बारे में अनुभव किया हो — तो चुप रहें। आप FSSAI की वेबसाइट या हेल्पलाइन 1800-112-100 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

आपके एक कदम से कई ज़िंदगियाँ बच सकती हैं।

अंत मेंरक्षाबंधन की मिठाई में मिलावट नहीं, स्नेह घुला हो

हर बहन चाहती है कि उसका भाई स्वस्थ रहे, और हर भाई चाहता है कि उसकी बहन मुस्कुराती रहे। रक्षाबंधन की मिठाइयाँ सिर्फ स्वाद की नहीं, भावनाओं की डोरी होती हैं। इन्हें दूषित करने वालों के लिए समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए

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