शिक्षा से ही राष्ट्र निर्माण संभव: विदिशा के विद्यालयों में संस्कार, अनुशासन और नैतिकता पर जोर

Aanchalik Khabre
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शिक्षा

विदिशा।

शिक्षा सिर्फ ज्ञान अर्जित करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण का मूल आधार भी है। विदिशा जिले के शैक्षणिक संस्थान इस बात पर जोर दे रहे हैं कि छात्रों का सर्वांगीण विकास केवल किताबी शिक्षा से नहीं, बल्कि संस्कार, अनुशासन और नैतिक मूल्यों के समन्वय से संभव है।

जिले के शिक्षाविदों और विद्यालय प्रमुखों का मानना है कि एक जिम्मेदार नागरिक का निर्माण तभी हो सकता है जब शिक्षा के साथ जीवन मूल्यों का भी विकास किया जाए। आज के तेजी से बदलते ज्ञान, विज्ञान और तकनीक के दौर में नैतिक मूल्यों और संस्कार का महत्व और भी बढ़ गया है।


विद्यालयों में शिक्षा के साथ संस्कार

विदिशा के विद्यालयों में शिक्षा को केवल रोजगार या साक्षरता का माध्यम नहीं माना जा रहा है। यहां शिक्षा के साथ-साथ छात्रों में संस्कार और अनुशासन विकसित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पाठ्येत्तर गतिविधियों जैसे खेल, कला, संगीत, पर्यावरण संरक्षण और नैतिक शिक्षा को भी प्राथमिकता दी जा रही है।

शिक्षक न केवल ज्ञान का संचार करते हैं, बल्कि बच्चों में जिम्मेदारी, कर्तव्यनिष्ठा और सामाजिक चेतना का भी विकास करते हैं। यही कारण है कि शिक्षकों के प्रशिक्षण और विकास पर शिक्षा विभाग विशेष ध्यान दे रहा है।


शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण और संगोष्ठियां

शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जिले में समय-समय पर शिक्षकों के लिए संगोष्ठियों, संवाद और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। अधिकारियों का कहना है कि “किसी भी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता का केंद्र शिक्षक होता है। यदि शिक्षक अकादमिक रूप से सशक्त होगा, तो वही कक्षा में बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को समृद्ध बनाएगा।”

इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शिक्षकों को न केवल शैक्षणिक कौशल बढ़ाने का अवसर मिलता है, बल्कि वे छात्रों में नैतिकता, संस्कार और सामाजिक जिम्मेदारी विकसित करने के तरीके भी सीखते हैं।


शिक्षा को जीवन मूल्यों का केंद्र बनाना

विदिशा जिले में शिक्षा को केवल रोजगार या परीक्षा पास करने का माध्यम न मानकर जीवन मूल्यों का केंद्र बनाने पर जोर दिया जा रहा है। बच्चों को केवल साक्षर नहीं, बल्कि संस्कारवान, निष्ठावान और संवेदनशील नागरिक बनाना ही मुख्य उद्देश्य है।

विद्यालयों में समानता, न्याय और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास लगातार जारी हैं। छात्रों को नैतिक मूल्यों, संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूक बनाना प्राथमिकता में रखा गया है।


पर्यावरण और संस्कृति के प्रति जागरूकता

आज का युवा केवल आधुनिक तकनीक से ही नहीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरण के प्रति जागरूक होना भी जरूरी है। विदिशा के विद्यालय बच्चों में पर्यावरण संरक्षण, संस्कृति और परंपरा के प्रति गर्व की भावना विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं।

इससे छात्र अपनी आधुनिक जीवन शैली में भी अपनी संस्कृति और धरोहर के प्रति संवेदनशील रहते हैं और समाज में जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।


स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरणा

विद्यालयों और शिक्षकों के मार्गदर्शन में स्वामी विवेकानंद के विचारों को प्राथमिकता दी जा रही है। उनके विचार:

“उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो।”

इस प्रेरणा से विदिशा के विद्यालय छात्रों को आत्मनिर्भर, साहसी, नैतिक और सशक्त नागरिक बनाने के संकल्प के साथ शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।


शिक्षा और राष्ट्र निर्माण

शिक्षा ही वह आधार है जिस पर राष्ट्र का भविष्य खड़ा होता है। विदिशा जिले के विद्यालय और शिक्षक यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि बच्चों में न केवल ज्ञान का विकास हो बल्कि उनमें नैतिकता, अनुशासन और संस्कार भी समान रूप से विकसित हों।

विद्यालयों में खेल, कला, संगीत, विज्ञान और पर्यावरण संरक्षण जैसी गतिविधियों को जोड़कर छात्रों में रचनात्मकता और सामाजिक जिम्मेदारी का विकास किया जा रहा है। ऐसे विद्यार्थी भविष्य में न केवल अपने करियर में सफल होंगे, बल्कि देश और समाज के प्रति अपने दायित्वों को समझने वाले जिम्मेदार नागरिक भी बनेंगे।

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