मुंबई। राष्ट्रीय शिक्षक दिवस (5 सितंबर) के अवसर पर मुलुंड स्थित केशव पाड़ा में वरिष्ठ एवं सम्मानित शिक्षकों का एक गरिमामय समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन महानगरी को. ऑप. क्रेडिट सोसाइटी लि. और युवा ब्रिगेड एसोसिएशन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया, जिसने शिक्षण पेशे के प्रति गहरे आदर और सामुदायिक सरोकार को दर्शाया।
शिक्षकों के योगदान को समर्पित एक सार्थक पहल
इस विशेष समारोह में उन शिक्षकों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया, जिन्होंने अपने दीर्घकालिक और प्रभावशाली योगदान से शिक्षा जगत को समृद्ध किया है। सम्मानित होने वाले शिक्षकों में डॉ. शशिकला पटेल (प्राध्यापक, आर. आर. बी. एड. कॉलेज), डॉ. आर. एम. पाल (सेवानिवृत्त प्राध्यापक), राष्ट्रपति शिक्षक पदक से सम्मानित श्रीमती रेखा चौबे और महापौर पुरस्कार से अलंकृत राजकुमार यादव जैसे गणमान्य व्यक्ति शामिल थे। अन्य सम्मानित शिक्षकों में श्रीमती जयबाला सिंह, श्रीमती रीना मोजेस, अजय पटेल, हेरम्ब तिवारी, संतोष मिश्रा, रंजीत गुप्ता, राकेश मिश्रा, हेमलता सिंह, विभा पाठक और उषा सिंह का नाम उल्लेखनीय है। सम्मान स्वरूप सभी को शाल, पुष्प गुच्छ और स्मृति चिन्ह भेंट कर उनके अमूल्य योगदान की सराहना की गई।
समाजसेवियों और सामुदायिक नेताओं ने की उपस्थिति
इस अवसर पर कई वरिष्ठ समाजसेवी और सामुदायिक नेता उपस्थित रहे, जिन्होंने शिक्षकों के सम्मान में अपना योगदान दिया। इनमें डॉ. बाबूलाल सिंह, के. एन. सिंह (अध्यक्ष, उत्तर भारतीय मित्र मंडल), किलाचंद यादव (अध्यक्ष, अखिल भारतीय यादव महासभा, मुंबई), बीरेंद्र पाठक (अध्यक्ष, महानगरी मित्र मंडल), डॉ. सचिन सिंह (अध्यक्ष, युवा ब्रिगेड एसोसिएशन) और जाने-माने फिल्म निर्माता योगेंद्र श्रीवास्तव शामिल थे।
शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया
कार्यक्रम के दौरान, किलाचंद यादव, डॉ. बाबूलाल सिंह और बीरेंद्र पाठक ने अपने संबोधन में शिक्षकों की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “शिक्षक ही वे कुशल शिल्पी हैं जो राष्ट्र की विविध प्रतिभाओं को गढ़ने और उन्हें राष्ट्र-निर्माण की मुख्यधारा में लगाने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।” यह बात शिक्षकों के सामाजिक और राष्ट्रीय योगदान के प्रति गहरी appreciation को दर्शाती है।
सामुदायिक भागीदारी और सामाजिक दायित्वबोध का संदेश
यह आयोजन न केवल एक सम्मान समारोह था, बल्कि इसने सामुदायिक संगठनों की सामाजिक जिम्मेदारी और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को भी उजागर किया। ऐसे कार्यक्रम शिक्षकों का मनोबल बढ़ाने और समाज में उनके गौरवपूर्ण स्थान को पुनः स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सम्मान और प्रोत्साहन की संस्कृति का विकास
मुलुंड में आयोजित यह कार्यक्रम शिक्षक दिवस की सही भावना को चरितार्थ करता है। यह हमें याद दिलाता है कि शिक्षकों का सम्मान केवल एक दिन की बात नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया होनी चाहिए। ऐसे आयोजनों से न केवल शिक्षक प्रोत्साहित होते हैं, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए भी ये एक प्रेरणास्रोत बनते हैं।
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