नागपुर में हिंसा का तांडव: औरंगजेब की कब्र से उठी चिंगारी ने शहर को जलाया
नागपुर में कर्फ्यू: हिंसा के बाद सन्नाटा और डर का माहौल
अफवाहों ने भड़काई आग: पवित्र पुस्तक जलाने की अफवाह से मचा हड़कंप
दंगाइयों का तांडव: पत्थरबाजी, आगजनी और चीख-पुकार का मंजर
नागपुर में भारी पुलिस बल की तैनाती: क्यूआरटी और एसआरपीएफ सक्रिय
राजनीतिक बयानबाजियों का दौर: भाजपा ने बताया साजिश, विपक्ष ने उठाए सवाल
नागपुर में शांति की अपील: धार्मिक नेताओं ने संयम बरतने का किया आग्रह
महाराष्ट्र के नागपुर शहर में उस वक्त हाहाकार मच गया जब औरंगजेब की कब्र को लेकर शुरू हुआ विवाद हिंसा का रूप ले बैठा।
सोमवार की शाम को नागपुर के मध्य क्षेत्र में पवित्र पुस्तक जलाने की अफवाह ने शहर को ज्वालामुखी बना दिया।
देखते ही देखते पत्थरबाजी शुरू हो गई और दंगाई भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया।
सड़कें रणभूमि बन गईं और चार गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया।
दो दर्जन से अधिक गाड़ियों में तोड़फोड़ मचाई गई और दंगाइयों ने दो पोकलेन मशीनों को भी आग के हवाले कर दिया।
कर्फ्यू का ऐलान: शहर में सन्नाटा और डर का माहौल
तनावपूर्ण हालात को काबू में करने के लिए पुलिस ने कई इलाकों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया।
कोतवाली, गणेशपेठ, तहसील, लकड़गंज, पचपावली, शांतिनगर, सक्करदरा, नंदनवन, इमामवाड़ा, यशोधरानगर और कपिलनगर जैसे संवेदनशील इलाकों में धारा 163 लागू कर दी गई।
प्रशासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कर्फ्यू के दौरान कोई भी व्यक्ति चिकित्सा कारणों को छोड़कर घर से बाहर नहीं निकल सकेगा।
इलाकों में सन्नाटा पसरा हुआ है, मगर तनाव की लहरें अब भी महसूस हो रही हैं।
अफवाह की आग में घी: कैसे शुरू हुई हिंसा
रविवार शाम को एक छोटे से विवाद ने विकराल रूप ले लिया।
जानकारी के मुताबिक, हमार इनपुई के महासचिव रिचर्ड हमार पर वीके मोंटेसरी परिसर के अंदर हमला हुआ।
दावा किया जा रहा है कि रिचर्ड हमार की गाड़ी एक दोपहिया वाहन से टकराते-बचते बची।
इसके बाद दोनों के बीच कहासुनी हुई और विवाद बढ़ते-बढ़ते हिंसक झड़प में बदल गया।
भीड़ ने देखते ही देखते हमला कर दिया और स्थिति को नियंत्रण से बाहर होते देख पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
पर हालात तब और बिगड़ गए जब पवित्र पुस्तक जलाने की अफवाह जंगल में आग की तरह फैल गई।
दंगाइयों का तांडव: पत्थर, आग और चीख-पुकार
दंगाई भीड़ ने पुलिस और स्थानीय निवासियों पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए।
बड़े-बड़े पत्थर हवा में उछल रहे थे और हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल था।
कुछ उपद्रवियों ने हथियार लेकर उत्पात मचाया।
डीसीपी निकेतन कदम खुद दंगाइयों के हमले में घायल हो गए।
अफवाह की आग में जलते नागपुर में कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए।
पुलिस ने दंगाइयों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और कई बार लाठीचार्ज किया।
लेकिन भीड़ के आक्रोश के सामने पुलिस भी लाचार नजर आई।
भारी पुलिस बल की तैनाती: स्थिति नियंत्रण में
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए क्विक रिस्पॉन्स टीम (क्यूआरटी), दंगा नियंत्रण पुलिस और एसआरपीएफ की तैनाती की गई।
अतिरिक्त पुलिस बल को संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात कर दिया गया है।
दंगा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च निकाला गया और पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है।
अब तक दो दर्जन से अधिक उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया है।
स्थानीय विधायक का बयान: साजिश या दुर्घटना?
नागपुर सेंट्रल के बीजेपी विधायक प्रवीण दटके ने हिंसा को सुनियोजित साजिश बताया।
उनका कहना है कि भीड़ का बड़ा हिस्सा बाहर से आया था और इस घटना की पहले से योजना बनाई गई थी।
उन्होंने पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि पीआई संजय सिंह जैसे अधिकारी जनता की सुनवाई नहीं करते।
विधायक ने पुलिस की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई और कहा कि हिंदू नागरिकों को सुरक्षा देने में प्रशासन नाकाम रहा।
उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले में दखल देने की अपील की और पुलिस के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
मौके पर मिले हथियार: कौन है साजिश के पीछे?
हिंसा के दौरान सुरक्षा बलों ने तलाशी अभियान चलाया और बड़ी मात्रा में हथियार बरामद किए।
उयोक जंगल के आसपास से पुलिस ने 5.56 एमएम इंसास राइफल, नौ एमएम कार्बाइन मशीन गन, .303 मॉडिफाइड स्नाइपर, एक एसबीबीएल बंदूक, पिस्तौल, चार हथगोले और कई कारतूस बरामद किए।
हथियारों का इतनी बड़ी मात्रा में मिलना इस बात का संकेत है कि हिंसा अचानक नहीं हुई बल्कि इसके पीछे किसी बड़ी साजिश का हाथ है।
सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश?
प्रशासन का कहना है कि हिंसा फैलाने के पीछे कुछ कट्टरपंथी तत्व हैं जो नागपुर की शांति भंग करना चाहते थे।
सोशल मीडिया पर अफवाहों को फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
पुलिस प्रशासन ने धार्मिक नेताओं से शांति और संयम बनाए रखने की अपील की है।
सभी धार्मिक संगठनों को मिलकर इस कठिन समय में समाज को एकजुट रखने का संदेश दिया गया है।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएँ: कौन किसके साथ?
हिंसा के बाद राजनीतिक गलियारों में भी उथल-पुथल मच गई है।
एक ओर भाजपा ने इसे सुनियोजित साजिश करार दिया, वहीं विपक्ष ने सरकार की विफलता पर सवाल उठाए।
कांग्रेस ने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि दंगाइयों को रोकने में प्रशासन पूरी तरह विफल रहा।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भी राज्य सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए।
वहीं, शिवसेना ने भी हिंसा की निंदा की और शांति बहाली की अपील की।
धार्मिक नेताओं की अपील: शांति और संयम बनाए रखें
धार्मिक नेताओं ने नागपुर की जनता से संयम बरतने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की उकसावे वाली बातों से दूर रहें और कानून का पालन करें।
सभी धर्मगुरुओं ने एक स्वर में कहा कि दंगाई तत्वों को पहचान कर प्रशासन को सूचना दें ताकि हालात सामान्य हो सकें।
नागपुर के जख्म और शांति की आस
नागपुर में औरंगजेब की कब्र विवाद ने शहर को हिंसा की आग में झोंक दिया।
पवित्र पुस्तक जलाने की अफवाह ने हजारों जिंदगियों को खतरे में डाल दिया।
पुलिस की लाचारी और राजनीतिक बयानबाजियों ने आग में घी डालने का काम किया।
अब जब हिंसा पर काबू पा लिया गया है, तो सवाल उठता है कि आखिर किसकी साजिश थी यह?
क्या नागपुर की शांति को जानबूझकर भंग किया गया या प्रशासनिक चूक के कारण हालात बिगड़े?
नागपुर की जमीनी हकीकत पर सवाल उठे हैं और अब प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है—शांति और विश्वास की पुनः स्थापना।
इस त्रासदी ने एक बार फिर याद दिला दिया कि अफवाहें कितनी घातक हो सकती हैं और उनसे निपटने के लिए कितनी सतर्कता और समझदारी की जरूरत है।