नेपाल की राजधानी काठमांडू में राजनीतिक अस्थिरता और जनविरोध के बीच एक गंभीर घटना सामने आई है। देश के विदेश मंत्री अरजू राणा देउबा को प्रदर्शनकारियों ने जबरदस्ती घेर लिया और उन पर हमला किया। इस हिंसक घटना ने नेपाल की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर सवाल खड़ा कर दिया है।
विदेश मंत्री पर हमला
घटना उस समय हुई जब राजधानी में विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गए थे। वीडियो फुटेज में दिखा कि मंत्री अरजू राणा देउबा को भीड़ ने धक्का दिया, उनके चेहरे पर मुक्के मारे गए और उन्हें गिरा दिया गया। यह हमला उनके निवास के पास हुआ, जहां प्रदर्शनकारी जमकर हंगामा कर रहे थे।
इस दौरान पुलिस और सुरक्षा बल मौके पर पहुंचे, लेकिन भीड़ की हिंसक गतिविधियों को तुरंत नियंत्रित नहीं किया जा सका।
प्रदर्शन की पृष्ठभूमि
प्रदर्शनकारियों ने सरकार की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी नाराज़गी जताई। युवाओं का गुस्सा तेज़ हो गया, जिसके कारण राजधानी में व्यापक हिंसा फैल गई।
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अब तक रिपोर्ट के अनुसार कम से कम 21 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए हैं।
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प्रदर्शनकारी संसद, राष्ट्रपति भवन और अन्य सरकारी इमारतों के बाहर इकट्ठा हुए और कई जगह तोड़फोड़ की।
प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस राजनीतिक संकट के बीच इस्तीफा दे दिया, लेकिन हिंसा अभी भी जारी है।
सुरक्षा की प्रतिक्रिया
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राजधानी में सेना तैनात की गई।
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हवाईअड्डों और प्रमुख सड़कों पर सुरक्षा बढ़ाई गई।
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सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त उपाय किए।
नेपाल के लिए संदेश
यह घटना नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता और युवा वर्ग की नाराज़गी को उजागर करती है। जब देश की उच्चतम अधिकारी भी हिंसा का शिकार बन रही हैं, तो यह संकेत है कि राजनीतिक और सामाजिक सुधार की आवश्यकता अत्यंत गंभीर है।
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