परिचय
भारतीय IT सेक्टर में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। जहां पहले अमेरिका में काम के लिए H-1B वीज़ा पर भारी निर्भरता थी, अब वही कंपनियाँ इस वीज़ा के इस्तेमाल को धीरे-धीरे कम कर रही हैं। पिछले 8 वर्षों में, भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा H-1B वीज़ा के उपयोग में 56% की गिरावट दर्ज की गई है। दूसरी ओर, अमेरिकी टेक कंपनियाँ जैसे Amazon, Google और Microsoft अब इन वीज़ा की शीर्ष प्रायोजक बनकर उभरी हैं।
क्या है H-1B वीज़ा?
H-1B एक गैर-आप्रवासी वीज़ा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विशेष कौशल वाले विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। भारतीय टेक टैलेंट की वैश्विक मांग को देखते हुए, दशकों तक यह वीज़ा भारतीय IT कंपनियों के लिए सबसे अहम माध्यम रहा है।
8 वर्षों में 56% गिरावट क्यों?
- स्थानीय भर्ती में बढ़ोतरी
भारतीय कंपनियाँ अब अमेरिका में ही स्थानीय नागरिकों को भर्ती कर रही हैं। इससे उन्हें वीज़ा नियमों की जटिलता से बचाव भी होता है और स्थानीय सरकारों की नीतियों का समर्थन भी मिलता है।
- ऑटोमेशन और नई टेक्नोलॉजी
AI, क्लाउड और ऑटोमेशन जैसी तकनीकों के आने से काम के स्वरूप में बदलाव आया है। अब बहुत से काम रिमोटली या कम संसाधनों के साथ किए जा सकते हैं।
- अमेरिकी नीति बदलाव
हाल के वर्षों में अमेरिका ने वीज़ा नियमों को कड़ा किया है। इससे कंपनियों को वैकल्पिक रणनीतियाँ अपनाने की ज़रूरत पड़ी है।
- ग्लोबल डिलीवरी मॉडल
अब भारतीय IT कंपनियाँ सिर्फ अमेरिका पर निर्भर नहीं हैं। वे LATAM (Latin America), यूरोप और एशिया में भी अपने डिलीवरी सेंटर खोल रही हैं।
अमेरिकी टेक कंपनियाँ क्यों बढ़ा रही हैं वीज़ा आवेदन?
Amazon, Google, Meta और Microsoft जैसी कंपनियाँ अत्यधिक विशेषज्ञता वाले रोल्स (जैसे डेटा साइंटिस्ट, AI इंजीनियर) के लिए विदेशी टैलेंट को प्रायोजित कर रही हैं। इन कंपनियों की वैश्विक विस्तार योजनाओं में टॉप टैलेंट की भूमिका अहम होती है, और भारत, चीन जैसे देशों से ये प्रतिभाएं आती हैं।
FY2024 में, केवल शीर्ष 5 अमेरिकी टेक कंपनियों ने 28,000 से अधिक H-1B वीज़ा आवेदन मंजूर करवाए।
इसका इंडियन IT इंडस्ट्री पर क्या असर पड़ेगा?
- प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी – अब भारतीय कंपनियों को अमेरिकी कंपनियों से वीज़ा के लिए और भी प्रतिस्पर्धा करनी होगी।
- स्थानीय हायरिंग ज़रूरी – अमेरिकी क्लाइंट्स अब चाहते हैं कि उनके प्रोजेक्ट्स में स्थानीय संसाधन शामिल हों।
- स्किल डेवेलपमेंट पर ज़ोर – भारतीय कंपनियों को अब उन्नत टेक्नोलॉजी स्किल्स में इन-हाउस टैलेंट तैयार करना होगा।
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