Fertility Rate : भारतीय महिलाओं की प्रजनन दर में गिरावट आ रही है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने इसका खुलासा किया है। वर्तमान में भारत में प्रति महिला प्रजनन दर केवल दो है। इसके विपरीत, 1950 में यह संख्या प्रति महिला 6.2 बच्चों के बराबर थी। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो 2050 तक प्रजनन दर 1.3 से नीचे गिर सकती है। भारत वर्तमान में दुनिया भर में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। पड़ोसी देश चीन दूसरे नंबर पर आता है।
वैश्विक जनसंख्या पर विचार करें तो यह संख्या का आंकड़ा 800 करोड़ से अधिक हो गया है। जापान उन कई देशों में से एक है जो प्रजनन दर (Fertility Rate) में गिरावट से जूझ रहा हैं। अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की प्रजनन दर घटकर 1.8 रह जाएगी। इसके अलावा, 2100 में यह संख्या बढ़कर 1.6 हो सकती है। इसके अलावा, एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन महिलाओं के कम बच्चे होते हैं, वे अधिक समय तक जीवित रहती हैं।
India’s Fertility Rate Drop from 6.2 to 2
फिलहाल, भारत में दुनिया की सबसे युवा आबादी वाला देश है। हालांकि, घटती प्रजनन दर के परिणामस्वरूप देश की वरिष्ठ (बुजुर्ग) आबादी बढ़ सकती है। इसका असर श्रम बाजार पर पड़ेगा। 1991 में देश में 6.1 करोड़ वरिष्ठ व्यक्ति (60 वर्ष से अधिक उम्र के) थे। हालांकि, 2024 में यह बढ़कर लगभग 15 करोड़ हो गया है। बिज़नेस एक्सपर्ट्स की माने तो आने वाले कुछ ही समाये में कई उद्योग, विशेष रूप से बुजुर्गों की बढ़ती संख्या से प्रभावित होंगे।
क्यों हैं कुछ देश प्रजनन दर में आगे?
एक अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक यह पता चला है 2016 में दुनिया भर में 14.2 करोड़ बच्चे पैदा हुए थे। हालांकि, 2021 में यह संख्या घटकर 1.29 करोड़ रह गई है। अगर हम भारत सिर्फ भारत की बात करे तो 2021 में भारत में दो करोड़ बच्चे पैदा हुए। हालांकि 2050 तक यानी 26 साल बाद यह आंकड़ा घटकर 1.3 करोड़ रह सकता है। कम आय वाले देशों में प्रजनन दर बैलेंस बना रहने का अनुमान है। भारत में 0 से 14 साल की उम्र के बच्चों की संख्या में कमी आनी शुरू हो गई है। 2021 में ऐसे बच्चों की संख्या 36.4 करोड़ थी। हालांकि अब यानि 2024 में यह संख्या घटकर 34 करोड़ रह गई है इससे पता चलता है 2.6 करोड़ की गिरावट हुयी है। आने वाले कुछ सालो में यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है
इम्पोर्टेन्ट फैक्टर जो Fertility Rate को कम कर रहे
- परिवार नियोजन
- शिक्षा
- देर से विवाह
- करियर
भारत की घटती प्रजनन दर (Fertility Rate) के लिए कई सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। शहरी महिलाओं में कम बच्चे पैदा करने की संभावना अधिक होती है। परिवार नियोजन, शिक्षा, देर से विवाह और करियर के परिणामस्वरूप भी प्रजनन दर में कमी आई है। हालाँकि, भारत की जनसंख्या वर्तमान में धीरे-धीरे बढ़ रही है। कुछ अन्य लोग सोचते हैं कि घटती प्रजनन दर (Fertility Rate) लोगों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करेगी। जीवन स्तर ऊँचा होगा। संसाधनों का उचित प्रबंधन किया जाएगा। हालाँकि, घटती जन्म दर का प्राथमिक दोष यह है कि आर्थिक विकास को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा।
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