सुशीला कार्की: नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस, अब अंतरिम प्रधानमंत्री पद की संभावित दावेदार

Aanchalik Khabre
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सुशीला कार्की

काठमांडू, 12 सितम्बर 2025

नेपाल इन दिनों राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। देश में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और पारदर्शिता की कमी के खिलाफ उठी युवाओं की आवाज़ अब एक बड़े आंदोलन में बदल चुकी है। इसी बीच, जनता के बीच सबसे चर्चित नाम उभरा है — सुशीला कार्की, जो नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकी हैं। युवा पीढ़ी (Gen Z) उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री के पद पर देखना चाहती है।

सुशीला कार्की का जीवन और शिक्षा

सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को नेपाल के बिराटनगर शहर में हुआ। उन्होंने शुरुआती पढ़ाई अपने गृहनगर से की और फिर महेंद्र मोरंग कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में परास्नातक किया और फिर त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल से कानून की पढ़ाई पूरी की।

उनकी शैक्षिक यात्रा ने उन्हें न केवल एक उत्कृष्ट वकील बनाया बल्कि आगे चलकर न्यायपालिका में शीर्ष पद तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त किया।

न्यायपालिका में सफर और पहली महिला चीफ जस्टिस

सुशीला कार्की ने वकालत से अपने करियर की शुरुआत की और धीरे-धीरे न्यायपालिका में प्रतिष्ठा अर्जित की। 2010 में उन्हें नेपाल सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उनकी ईमानदारी, कड़े फैसले और राजनीतिक दबाव से परे कार्यशैली ने उन्हें अलग पहचान दिलाई।

2016 में इतिहास रचते हुए वे नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए, जिनमें भ्रष्टाचार और राजनीतिक हस्तक्षेप के खिलाफ सख्त रुख शामिल था। उनके कामकाज ने उन्हें आम जनता और खासकर युवाओं के बीच सम्मान दिलाया।

इम्पीचमेंट मोशन और विवाद

2017 में सुशीला कार्की को संसद में एक महाभियोग प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। उन पर राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप लगाए गए थे, लेकिन इस कदम को व्यापक स्तर पर जनता और सिविल सोसायटी ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला बताया। अंततः प्रस्ताव वापस ले लिया गया और कार्की का कार्यकाल पूरा हुआ। यह घटना उनकी छवि को और मजबूत बनाकर निकली, क्योंकि उन्होंने किसी भी दबाव के आगे झुकने से इंकार किया।

नेपाल में मौजूदा संकट और युवाओं की भूमिका

हाल के दिनों में नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता गहराती जा रही है। सोशल मीडिया प्रतिबंध, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों ने युवाओं को सड़कों पर ला दिया। हजारों छात्रों और युवाओं के नेतृत्व वाले प्रदर्शनों में कई लोग घायल और कुछ मृत भी हुए।

प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद अब सवाल उठ रहा है कि अंतरिम सरकार की अगुवाई कौन करेगा। युवाओं का मानना है कि पारंपरिक राजनीतिक नेताओं ने जनता का भरोसा खो दिया है और अब किसी ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत है जिस पर देश विश्वास कर सके। इसी कारण सुशीला कार्की का नाम सबसे आगे रखा जा रहा है।

क्यों सुशीला कार्की हैं युवाओं की पसंद?

  1. राजनीतिक दलों से दूरी – वे किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ी नहीं हैं, जिससे उनके निष्पक्ष होने पर भरोसा किया जा रहा है।
  2. साफसुथरी छवि – अपने करियर में उन्होंने हमेशा ईमानदारी और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है।
  3. महिला नेतृत्व – नेपाल में महिला प्रतिनिधित्व की कमी रही है। उनकी नियुक्ति देश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में बड़ी पहल होगी।
  4. कानून और न्याय का अनुभव – सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस होने के नाते उन्हें संवैधानिक और कानूनी ढांचे की गहरी समझ है।

चुनौतियाँ और विवाद

हालांकि उनका नाम तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं:

  • संवैधानिक सीमाएँ: नेपाल का संविधान कहता है कि प्रधानमंत्री को संसद का सदस्य होना चाहिए, जबकि सुशीला कार्की कभी सांसद नहीं रही हैं।
  • राजनीतिक असहमति: कुछ राजनीतिक दल उनके नाम का विरोध कर सकते हैं क्योंकि इससे उनकी सत्ता कमज़ोर पड़ सकती है।
  • उम्र का पहलू: कुछ लोग तर्क दे रहे हैं कि इतनी वरिष्ठ उम्र में वे लंबे राजनीतिक संघर्ष को कैसे संभालेंगी।

अंतरिम सरकार से क्या अपेक्षाएँ?

नेपाल की जनता चाहती है कि नई अंतरिम सरकार:

  • भ्रष्टाचार पर काबू करे और जवाबदेही सुनिश्चित करे।
  • युवाओं को रोजगार और अवसर प्रदान करे।
  • लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करे और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखे।
  • नए चुनावों का मार्ग प्रशस्त करे और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाए।

अंतरराष्ट्रीय और सामाजिक प्रतिक्रिया

सुशीला कार्की का नाम सामने आने के बाद न केवल नेपाल, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी इस पर नजर बनाए हुए है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर वे अंतरिम प्रधानमंत्री बनती हैं तो यह नेपाल की राजनीति में ऐतिहासिक क्षण होगा।

सोशल मीडिया पर भी हजारों युवा उनके पक्ष में लिख रहे हैं। #JusticeForNepal और #SushilaKarkiPM जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।

 

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