परिचय
कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका में रहने वाले तेलंगाना के 30 वर्षीय टेक-स्टूडेंट मोहम्मद निज़ामुद्दीन की 3 सितंबर 2025 को पुलिस द्वारा गोली मारकर हत्या ने दोनों देशों में चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया। पुलिस का दावा है कि घटना के समय निज़ामुद्दीन अपने रूममेट पर हमला कर रहे थे, जबकि परिवार का कहना है कि यह नस्लीय भेदभाव और उत्पीड़न का परिणाम है।
घटना का विवरण
मोहम्मद निज़ामुद्दीन महबूबनगर, तेलंगाना के निवासी थे और अमेरिका में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। 3 सितंबर को 911 कॉल मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और बताया गया कि निज़ामुद्दीन कथित रूप से अपने रूममेट पर चाकू से हमला कर रहे थे। इसके बाद पुलिस ने गोलियां चलाईं और उन्हें मौके पर ही मृत घोषित कर दिया।
हालांकि परिवार का दावा है कि मोहम्मद पहले ही पुलिस से मदद मांग चुके थे। उनके अनुसार, उन्हें काम, सहकर्मियों और रूममेट्स द्वारा लगातार भेदभाव और उत्पीड़न झेलना पड़ा। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि उनके खाने में जहर मिला था, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ा।
परिवार के आरोप और प्रतिक्रिया
परिवार ने पुलिस की रिपोर्ट को असत्य बताया। उन्हें घटना के बारे में केवल दो सप्ताह बाद दोस्तों के जरिए पता चला। उनका कहना है कि अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के प्रति पुलिस और प्रशासन का रवैया लापरवाह और भेदभावपूर्ण है। परिवार ने न्याय और जवाबदेही की मांग की है।
सामुदायिक और छात्र संघ की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद भारतीय छात्र संघ और नागरिक अधिकार संगठनों ने प्रदर्शन कर निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि मोहम्मद निज़ामुद्दीन की मौत की पूरी जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। साथ ही, पुलिस प्रशिक्षण में सुधार और नस्लीय भेदभाव से निपटने के लिए नीतियों में बदलाव की आवश्यकता जताई गई।
भारतीय सरकार की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय ने मामले पर गंभीर चिंता व्यक्त की और अमेरिकी अधिकारियों से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की। मंत्रालय ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके। भारतीय प्रवासी समुदाय ने भी मामले पर सक्रिय प्रतिक्रिया दी और सरकार से कड़ी कार्रवाई और कूटनीतिक हस्तक्षेप की अपेक्षा जताई।
अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए चेतावनी
यह मामला अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की सुरक्षा और अधिकारों पर गंभीर चेतावनी बन गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि छात्रों को कानूनी सहायता, मानसिक स्वास्थ्य समर्थन और सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है।
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