रायबरेली में चोरों का आतंक बढ़ गया है, जिससे गांववासी रातभर जागते रहने और “जागो-सावधान” के नारे लगाने को मजबूर हैं। बढ़ती बेरोज़गारी और युवाओं की उपेक्षा ने इलाके में चोरी और लूट जैसी घटनाओं को बढ़ावा दिया है। चोर अब रात ही नहीं, दिन में भी राह चलते लोगों को निशाना बना रहे हैं।
अमेठी और रायबरेली के कई गांवों में चोरी की घटनाएं
अमेठी के मवई और घुटुरघोषी के पुरवा तथा रायबरेली के बिरनावा में चोरों ने दलित परिवारों के घरों को निशाना बनाया। बिरनावा में एक महिला अपने दो बेटियों के साथ सो रही थी, तभी तीन चोर घर में घुस गए। बेटियों ने मदद के लिए गांव वालों को बुलाया, लेकिन तब तक चोर महिला को उसके ही साड़ी से बांधकर रुपए और गहने लूटकर भाग गए। इसी तरह नसीराबाद और सलोन के कई गांवों में भी दिन-दहाड़े चोरी और हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं।
पुलिस की निष्क्रियता और ग्रामीणों की चिंता
स्थानीय पुलिस चोरी की घटनाओं के बाद केवल जांच का आश्वासन देती है, जबकि अपराधियों का आतंक बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि सिर्फ संपत्ति की चोरी ही नहीं, बल्कि जान से मारने और घायल करने जैसी घटनाओं में भी चोर पीछे नहीं हट रहे हैं।
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