इस्लामिक नाटो सीक्रेट मीटिंग: नया समीकरण
मुस्लिम देशों द्वारा ‘इस्लामिक नाटो’ गठबंधन की पहल के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस्लामिक नाटो सीक्रेट मीटिंग बुलाई है। न्यूयॉर्क में होने वाली इस बंद कमरे की बैठक में सऊदी अरब, यूएई, कतर, मिस्र, जॉर्डन, तुर्की और पाकिस्तान के नेता शामिल होंगे। माना जा रहा है कि यह चर्चा सिर्फ गाजा युद्ध तक सीमित नहीं है, बल्कि नए सैन्य गठबंधन के खाके पर भी केंद्रित हो सकती है।
पर्दे के पीछे ‘इस्लामिक नाटो’ की चाल
हाल ही में दोहा में मुस्लिम देशों ने ‘इस्लामिक नाटो’ का प्रस्ताव पेश किया, जिसके बाद व्हाइट हाउस में हलचल बढ़ गई।
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ट्रंप ने छह दिन पहले यह बैठक तय की है, ठीक उसी हफ्ते जब इज़राइल के प्रधानमंत्री वॉशिंगटन पहुंचने वाले हैं।
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विश्लेषकों के मुताबिक ट्रंप खुद को मुस्लिम देशों और इज़राइल के बीच एक मध्यस्थ के रूप में पेश करना चाहते हैं।
शामिल देश और संभावित एजेंडा
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सऊदी अरब, यूएई, कतर, मिस्र, जॉर्डन, तुर्की और पाकिस्तान इस बैठक में शामिल होंगे।
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मौजूदगी की पुष्टि हो चुकी है।
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आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह बैठक क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के मुद्दों पर होगी, पर असल चर्चा ‘इस्लामिक नाटो’ पर होने की अटकलें हैं।
भविष्य की कूटनीति पर असर
यह गुप्त बैठक मुस्लिम देशों और अमेरिका के बीच शक्ति संतुलन की दिशा तय कर सकती है।
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अगर ‘इस्लामिक नाटो’ गठबंधन मजबूत होता है तो यह मध्य-पूर्व की राजनीति को नया मोड़ देगा।
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ट्रंप का यह कदम उन्हें वैश्विक स्तर पर शांति मध्यस्थ के रूप में स्थापित करने का प्रयास भी माना जा रहा है।
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