विद्यालयों तथा आंगनवाडी केन्द्रों में आधारभूत सुविधाओं की जिम्मेदारी पंचायतों की होगी : जाट-आंचलिक ख़बरें-संजय सोनी

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झुंझुनू।विद्यालयों में आधारभूत ढांचा विकसित करने के लिए गत 20 वर्षों के दौरान जिला प्रारंभिक शिक्षा परियोजना तथा रमसा, समसा जैसी महती परियोजनाओं के बावजूद भी जिले के कुल 900 प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों में से एक तिहाई विद्यालयों में दरी पट्टी,फर्नीचर,पेयजल,प्रकाश व्यवस्था तथा छात्राओं के लिए अलग शौचालय की आधारभूत जरूरतें पूरी नहीं हो पाई है।यह स्थिति शिक्षा विभाग की जिला निष्पादन समिति की बैठक में समीक्षा के दौरान सामने आई है।शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने विभागीय बजट उपलब्ध नहीं होने पर इन व्यवस्थाओं के लिए हाथ खड़े कर दिए।ऐसी स्थिति में पंचायती राज विभाग की ओर से जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट ने शिक्षा तथा महिला एवं बाल विकास विभाग को आश्वस्त किया है कि 1अप्रैल से शुरू होने वाले आगामी वित्तीय वर्ष की कार्य योजना में सभी विद्यालयों तथा आंगनवाड़ी केंद्रों की प्राथमिक आवश्यकताओं को शामिल करवाते हुए आगामी छह माह में पंचायती राज संस्थाओं को प्राप्त करने वाले अनुदान से पूर्ण करवाया जाएगा।ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों को निर्देश दिए गए हैं कि केंद्रीय एवं राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर प्राप्त अनुदान राशि के उपयोग की गाइडलाइन की सख्ती से पालन करते हुए उच्च प्राथमिक स्तर तक के सभी विद्यालयों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों में दरी पट्टी,फर्नीचर,पेयजल,शौचालय,भवन मरम्मत व प्रकाश व्यवस्था की जरूरत पूरी करने के बाद ही अन्य कार्य करवाए जावें।
उल्लेखनीय है कि साल में प्रत्येक ग्राम पंचायत को इस मद में 40 से 50 लाख पंचायत समिति को डेढ़ से दो करोड़ तथा जिला परिषद को तीन करोड़ तक जनसंख्या के अनुपात में प्राप्त होते हैं।स्थानीय जनप्रतिनिधियों का रुझान अपने-अपने प्रभाव क्षेत्र में सी.सी.रोड बनाने,नलकूप खुदवाने,पेयजल टंकी व पाइप लाइन बिछाने तथा सोख्ती कुंई आदि कार्य करवाने में रहता है।अब जिला परिषद ने तीनों स्तर की पंचायती राज संस्थाओं को पाबंद किया है कि उपलब्ध एवं आगामी 1 वर्ष के दौरान प्राप्त अनुदान राशि से अपने-अपने क्षेत्र के विद्यालयों से आंगनबाड़ी केंद्रों की आधारभूत जरूरतों को पूरा करने के बाद ही अन्य कार्यों के प्रस्ताव अनुमोदन हेतु भिजवाए।

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