All India Lawyers Union ने एसोसिएशनों से आंदोलन का आह्वान किया है
एक दुखद और चौंकाने वाली घटना मे महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के राहुरी कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील पति-पत्नी राजाराम आढ़ाव और उनकी पत्नी मनीषा आढ़ाव की हत्या उनके ही मुवक्किल ने कर दी। जबरन चोरी, चोरी, जबरन वसूली, आर्म्स एक्ट जैसे 12 गंभीर अपराधों वाले उनके मुवक्किल किरण दुशिंग ने अपने 4 अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर दोनों को उन्हे उनके ही घर में बंद कर पांच लाख रुपये की फिरौती मांगी।
पैसे देने से इनकार करने पर आढ़ाव दंपति को पांच-छह घंटे तक प्रताड़ित किया गया, सिर पर प्लास्टिक की थैलियां बांधकर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। आढ़ाव दंपत्ति के शवों को पत्थरों से बांधकर उम्बेरे गांव में स्मशान के पास एक कुएं में फेंक दिया गया था। इस घटना के सामने आने के बाद से प्रदेश भर के वकील वर्ग में आक्रोश का माहौल है।

वकीलों के राष्ट्रीय संगठन All India Lawyers Union ने सभी आरोपियों की गिरफ्तारी, मामले में विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति और फास्ट-ट्रैक अदालतों के माध्यम से त्वरित सजा की मांग की है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद All India Lawyers Union फिर से महाराष्ट्र में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट (अधिवक्ता संरक्षण कानून) लागू करने की मांग कर रहा है। All India Lawyers Union आढ़ाव परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है और राज्य की विभिन्न अदालतों के बार एसोसिएशनों से इस घटना का हर संभव तरीकों से कड़ा विरोध करने की अपील की है।
पिछले वर्ष 2023 में उत्तर प्रदेश में एड. उमेश पाल की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। अप्रैल में दिल्ली के द्वारका इलाके में दो हमलावरों ने वकील वीरेंद्र कुमार नरवाल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। वकील के पास आरोपी के परिवार के विवादित कृषि भूखंड के दस्तावेज मौजूद थे। हत्या के विरोध में दिल्ली के वकीलों ने सभी जिला अदालतें बंद कर दीं और सभी जिला बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति ने जमानत और सुनवाई का बहिष्कार करने और अदालतों में फोटोकॉपी मशीनें बंद करने का फैसला किया था।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2020 में भारत में वकीलों पर हमले के 143 मामले सामने आए हैं। वकीलों को अक्सर अपने ग्राहकों, विरोधियों और यहां तक कि न्यायाधीशों तक से उत्पीड़न और धमकी का सामना करना पड़ता है। हमलों में मौखिक दुर्व्यवहार, धमकी, शारीरिक हमला, पिटाई, चोट, हत्या शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 2010 और 2020 के बीच दुनिया भर में 2,500 से अधिक वकील मारे गए, हिरासत में लिए गए या अपहरण कर लिए गए। यही कारण है कि वकीलों की सुरक्षा के खतरे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 2010 से हर साल दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय संकट वकील दिवस मनाया जाता है।
महाराष्ट्र समेत देशभर के सभी राज्यों में वकील संरक्षण अधिनियम को जल्द से जल्द लागू करना जरूरी है

हमारे देश में 21 मार्च 2023 को राजस्थान राज्य विधानसभा ने वकीलों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए संशोधित रूप में राजस्थान अधिवक्ता संरक्षण विधेयक, 2023 पारित किया। वहां के वकीलों के कल्याण के लिए राज्य सरकार की ओर से बार काउंसिल को सालाना 5 करोड़ रुपये दिये जाते हैं. साथ ही, यदि कोई अपराधी किसी वकील की संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, तो अदालत द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि वसूल कर पीड़ित वकील को देने का प्रावधान उस कानून में किया गया है। महाराष्ट्र समेत देशभर के सभी राज्यों में वकील संरक्षण अधिनियम को जल्द से जल्द लागू करना जरूरी है।
पंजाब और हरियाणा राज्य बार काउंसिल ने पंजाब अधिवक्ता (संरक्षण) बिल 2023 और हरियाणा अधिवक्ता (संरक्षण) बिल 2023 के दो ड्राफ्ट पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों को भेजे हैं और इन्हें जल्द लागू करने की मांग की है। दोनों राज्यों की बार काउंसिल ने चेतावनी दी है कि यदि उचित कदम नहीं उठाए गए तो वे राज्यव्यापी आंदोलन में भाग लेंगे और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे।
अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम के माध्यम से सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि वकील इस तरह के उत्पीड़न और धमकी के डर के बिना अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें। यदि अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागू होता है, तो वकीलों को हमले, गंभीर चोट, आपराधिक बल और धमकी से कुछ सुरक्षा मिलेगी। उनकी संपत्ति के नुकसान की भरपाई की जा सकती है. महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल के सदस्य, जो राज्य भर के वकीलों द्वारा से चुने गए हैं, इस संबंध में बेहद निष्क्रिय और उदासीन हैं। All India Lawyers Union ने मांग की है कि वे इस संबंध में तत्काल कदम उठाए जाएँ।
– आपके –
एड.बाबासाहेब वावलकर एड.चंद्रकांत बोजगर
(अध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य) (सचिव, महाराष्ट्र राज्य)
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