आपदा का आना
अमरोहा जिला में पिछले 36 घंटों से लगातार झमाझम बारिश जारी है, जिससे 120 मिमी पानी गिरा। यह पानी इतना भारी था कि शहर की कई सड़कों ने तालाब सा रूप ले लिया, जिससे आवागमन ठप हो गया।
जीवन पटरी से उतरा
कोट, चौब, नल, आवास विकास, दानिशमंदान, अंबेडकर पार्क, लकड़ा चौराहा सहित दर्जनों मोहल्ले जलमग्न रहे।
सरकारी कार्यालय, स्कूल, बाजार और निजी घरों में जल भरने से लोग घरों में कैद हो गए।
बिजली करीब 10 घंटे तक ग़ैर-हाज़िर, जिससे टंकियों का पानी ख़त्म हुआ और हैंडपंप से पानी लेना पड़ा।
ग्रामीण तबाही—मकान ध्वस्त, जान गई
नौगांव, खेड़का, सिरसा जट: तहसील परिसर व गलियां जलमग्न; सिरसा जट में सुबह 7 बजे दो पक्के मकान गिर गए, सामान मलबे में दब गया लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ।
लठीरा माफी, हसनपुर: लाल सिंह के शेड गिर गया। ज़िंदा बच गए, लेकिन पूरा सामान ख़राब हुआ। प्रशासन से मुआवजे की मांग।
रजबपुर, कूबी गांव: सबसे बड़ा हादसा—दो मंजिला मकान गिरने से 47 वर्षीय किसान सुभाष की मौत हो गई; दो पशु भी मलबे में दबकर मारे गए। नींव कमजोर होने का कारण बताया गया।
किसानों के लिए बारिश बनी वरदान?
जिला कृषि अधिकारी मनोज कुमार के मुताबिक:
“पिछले 24 घंटे में 120 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई — यह बारिश धान और दूसरी खरीफ फसलों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगी।”
हालांकि सब्ज़ी की फसलें भारी बारिश से प्रभावित हुईं, लेकिन धान और गन्ना जैसे खरीफ फसलों को राहत मिली है।
सरकार की ओर से संभवतः मुआवजे का इंतज़ाम भी किया जा सकता है; जैसे पहले UP सरकार ने ₹5,350 करोड़ से ज़्यादा की क्षतिपूर्ति प्रभावित किसानों को दी थी।
प्रशासन की तैयारी: नाकाफ़ी साबित क्यों हुई?
पिछले बरसातों से सीख ने शायद नहीं लिया गया।
विस्थापित मकानों और बुनियादी ढांचे पर सवाल उठ रहे हैं।
प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की, लेकिन प्रशासनिक जवाबदेही और दीर्घकालीन योजनाओं की कमी उजागर हुई।
निष्कर्ष: व्यवधानों से उत्साह पनपता
कहानी का दोहरा सच—शहर-गांव जलमग्न रह गए, एक किसान की जान चली गई, लेकिन किसानों को मिली खेती में उम्मीद।
बुनियादी ढाँचा, बिजली, मकान निर्माण—हर स्तर पर स्पष्ट है कि हर साल की आपदाओं के लिए ठोस तैयारी क्यों नहीं की जाती।
पहलू विवरण
बारिश का औसत 120 मिमी
प्रभावित इलाके कोट, चौब, हसनपुर, सिरसा जट, रजबपुर, कूबी इत्यादि
मुख्य क्षति जलभराव, बिजली कटौती, मकान ध्वस्त, एक व्यक्ति की मृत्यु
कृषि परिणाम धान व खरीफ फसलों के लिए लाभदायक, सब्ज़ियों को नुकसान
प्रशासनीय कमी पूर्व तैयारी व दीर्घकालीन समाधान की कमी