हसनपुर, अमरोहा: हसनपुर सर्किल क्षेत्र में पुलिस की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। ताजा मामला भाजपा नेता अनिल सैनी के भाई राजकुमार सैनी के साथ पुलिस द्वारा की गई कथित बर्बरता का है। आरोप है कि रहरा थाने में तैनात पुलिसकर्मियों ने राजकुमार को जबरन गाड़ी में डालकर गाली-गलौज की और मारपीट की। इस घटना को लेकर स्थानीय स्तर पर आक्रोश व्याप्त है और भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है।
यह घटना सोमवार की रात ग्राम गंगवार में हुई, जहां भाजपा सेक्टर संयोजक अनिल सैनी के भाई राजकुमार सैनी की टेलरिंग की दुकान और जन सेवा केंद्र स्थित है। होली और ईद के त्योहारों के मद्देनजर राजकुमार अपनी दुकान पर देर रात तक कपड़ों की सिलाई कर रहे थे। इसी दौरान रहरा थाना क्षेत्र में तैनात दरोगा इंद्रजीत सिंह, सिपाही प्रेम शंकर और विजेंद्र सिंह उनकी दुकान पर पहुंचे और उन्हें दुकान बंद करने का निर्देश दिया।
जब राजकुमार ने पुलिसकर्मियों से कुछ समय की मोहलत मांगी तो आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उनके साथ बदसलूकी करनी शुरू कर दी। राजकुमार का कहना है कि पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ उन्हें जबरन दुकान से नीचे उतार दिया, बल्कि गाली-गलौज भी शुरू कर दी। जब उन्होंने विरोध किया तो पुलिसकर्मी और उग्र हो गए।
गाड़ी में डालकर पिटाई का आरोप
राजकुमार के अनुसार, पुलिस ने उनके विरोध को दबाने के लिए उन्हें जबरन अपनी गाड़ी में बैठा लिया और वहां उनके गालों पर थप्पड़ बरसाने लगे। इसके बाद पुलिसकर्मी उन्हें ग्राम हाकमपुर में स्थित एक निर्माणाधीन पुलिस चौकी के पास ले गए। वहां पर भी उन्हें जबरदस्ती बैठाकर दोबारा पीटा गया।
इस दौरान राजकुमार ने अपने भाई और भाजपा नेता अनिल सैनी को फोन किया, जिन्होंने तुरंत पुलिस अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन, आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उनकी एक न सुनी और राजकुमार के साथ मारपीट जारी रखी।
भाजपा नेता का आक्रोश
भाजपा सेक्टर संयोजक अनिल सैनी ने कहा, “मेरे भाई के साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया, वह बर्दाश्त के काबिल नहीं है। पुलिस का यह रवैया दर्शाता है कि वे अब सत्ता से ऊपर खुद को समझने लगे हैं। मेरे भाई को बिना किसी गलती के पीटा गया और अपमानित किया गया। यह लोकतंत्र में अस्वीकार्य है।”
उन्होंने आगे बताया कि उन्होंने इस मामले की शिकायत उच्च अधिकारियों से कर दी है और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
इस पूरे मामले में पुलिस की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह एक गलतफहमी का मामला हो सकता है। पुलिसकर्मी बाजार में गश्त कर रहे थे और त्योहारों को देखते हुए दुकानों को समय से बंद करवाने का निर्देश दिया गया था। पुलिस का कहना है कि अगर किसी के साथ बदसलूकी हुई है, तो मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय लोगों में रोष
इस घटना के बाद से ग्राम गंगवार और आसपास के क्षेत्रों में नाराजगी का माहौल है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि पुलिस इस तरह से आम नागरिकों के साथ जबरदस्ती नहीं कर सकती। एक दुकानदार ने कहा, “अगर पुलिस इसी तरह बिना किसी कारण के दुकानदारों को परेशान करने लगेगी, तो हम लोग कहां जाएंगे? त्योहारों के समय व्यापार बढ़ता है, लेकिन अगर जबरन दुकान बंद कराई जाएगी और मारपीट होगी, तो हमें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।”
राजनीतिक विवाद की संभावना
इस घटना ने राजनीतिक रंग भी लेना शुरू कर दिया है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस घटना की निंदा की है और मांग की है कि दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाए।
भाजपा के जिला महासचिव ने कहा, “अगर हमारे कार्यकर्ताओं और नेताओं को पुलिस सुरक्षा देने के बजाय प्रताड़ित करेगी, तो हम चुप नहीं बैठेंगे। इस मामले को लेकर जल्द ही प्रशासन से बातचीत की जाएगी और जरूरत पड़ी तो प्रदर्शन भी किया जाएगा।”
अगर राजकुमार सैनी के आरोप सही साबित होते हैं, तो यह पुलिस ज्यादती और मानवाधिकार हनन का मामला बन सकता है। भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत –
धारा 323: जानबूझकर चोट पहुंचाने के लिए लागू हो सकती है।
धारा 341: जबरन रोकने या बंधक बनाने पर लागू होती है।
धारा 504: जानबूझकर अपमान करना और उकसाना।
धारा 506: आपराधिक धमकी देने पर लागू हो सकती है।
यदि जांच में पुलिसकर्मियों की गलती साबित होती है, तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी संभव है।
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, लेकिन भाजपा नेताओं का कहना है कि अगर प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं।
इस मामले को लेकर जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से भी मुलाकात की जा सकती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन जल्द से जल्द इस पर ध्यान नहीं देता, तो जनता का भरोसा पुलिस से उठ सकता है।
हसनपुर में हुई यह घटना पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। त्योहारों के दौरान पुलिस की सतर्कता जरूरी होती है, लेकिन अगर यह सतर्कता आम जनता के उत्पीड़न में बदल जाए, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले को कैसे संभालता है और दोषी पुलिसकर्मियों पर क्या कार्रवाई होती है। अगर जल्द ही न्याय नहीं मिला, तो यह मामला और तूल पकड़ सकता है और राजनीतिक विवाद में बदल सकता है।