जो न कभी देखा और न कभी सुना होगा , हां पर यह सत्य है गांव रामसाला, ज्ञान अश्रम में रामनवमी के पावन पर्व पर बाबा जय गुरुदेव जी महाराज के कार्यक्रम से वैचारिक क्रांति द्वारा विश्व परिवर्तन की उठी अवाज ।
जहां गुरु हैं, वहीं गुरु द्वारा।
सिंगरौली, सीता पुर जिला उत्तर प्रदेश में पांच दिवसीय अध्यात्मिक सत्संग नैमिषारण्य से चालिस किलोमीटर दूर गांव रामसाला जहां अट्ठासी हजार रिश्वमुनियों ने तपस्या किया था। परमपूज्य स्वामी बाबा जय गुरूदेव महाराज जी का कार्यक्रम एक आजीबो गारीब भूमि पूजन और श्रमदान करवा कर एक सूनसान विरान जंगल में एक छोटी-सी नदी के किनारे जहां लाखों से अधिक प्रेमियों ने पांच दिवसीय अध्यात्मिक सत्संग सुन कर अपने जीवन को धन्य किया। और वही पर भूमि सेवा का कार्य मिट्टी खोदकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते सत्यसंगी प्रेमी भाईयों एवं वहनों ने एक अनोखा इतिहास रच दिया। जो न कभी हुआ, और न कभी होगा, ऐसा आजीबो गारीब काम, उस मिट्टी से प्रेमियों को कुछ लेना देना नहीं है न कोई लोभ और न कोई लालच हैं किन्तु बाबा जीअपने गुरु के वचनों में एक इशारे पर विरान जंगल को मैदान बना दिए मैं यह नहीं कह रहातस्वीर वयां कर रही है। और अब यहां से ही सतयुग आगवन की तैयारी हो रही है। आगे आने वाला समय बहुत खराब है जिससे वचने और वचाने के लिए अध्यात्मिक सत्यसंग सुना कर भाव और विचारों को बदलना है बाबा जी कह रहे हैं कि लोगों का खान पान बदल गया जिससे भाव और विचार बदल गया अब कुदरत कुछ करने वाला है उसी की तैयारी चल रहा हैं जो मान गये अपने आप को सुधार लिए तो ठीक हैं अन्यथा कुदरत मनाने के लिए आपके पीछे तैयार खड़ी है।