आजम खां रिहाई: सियासी हलचल तेज
आजम खां रिहाई के बाद यूपी की सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां 23 महीने के जेल समय के बाद सीतापुर जेल से रिहा हुए हैं। उनकी रिहाई के तुरंत बाद उनके राजनीतिक भविष्य और नए सियासी ठिकाने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया।
आजम खां की पत्नी डॉ. तजीन फात्मा द्वारा बसपा प्रमुख मायावती से मुलाकात ने इन अटकलों को और हवा दी है। हालांकि सपा और बसपा के नेता फिलहाल इस पर कोई स्पष्ट बयान देने से बच रहे हैं।
नए सियासी समीकरण और तल्खी
लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर आजम खां और अखिलेश यादव के बीच तल्खी देखने को मिली थी। रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का आजम खां का सुझाव ठुकराए जाने के बाद, उन्होंने सपा नेताओं के चुनाव बहिष्कार का संकेत भी दिया था। इसके बावजूद, वरिष्ठ सपा नेताओं का मानना है कि आजम खां के लिए सपा ही सबसे उचित मंच है और अन्य दलों में उनका राजनीतिक प्रभाव सीमित रहेगा।
इसके अलावा, दिल्ली में तजीन फात्मा और मायावती की मुलाकात ने राजनीतिक अटकलों को बल दिया। इस मुलाकात के कारण सियासी गलियारों में आजम खां की संभावित रणनीति और गठबंधन पर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
केस और कानूनी स्थिति
आजम खां पर कुल 96 मामलों में मुकदमे दर्ज थे, जिनमें से 12 मामलों में फैसला हो चुका है। वर्तमान में 59 मामले सेशन कोर्ट और 19 मामले मजिस्ट्रेट कोर्ट में चल रहे हैं। उनका जेल में समय पूरी तरह सियासी और कानूनी चर्चा का केंद्र रहा।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि आजम खां का अगला कदम उनके स्वास्थ्य, पारिवारिक रणनीति और सपा के भीतर समीकरण पर निर्भर करेगा। फिलहाल उनके सपा में बने रहने की संभावना सबसे अधिक है।
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