बवाना में निर्माण मजदूर अधिकार अभियान की कार्यशाला: लेबर कोड और सामाजिक सुरक्षा पर चर्चा

Aanchalik Khabre
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दिल्ली  बवाना

भागीरथ सिन्हा / आँचलिक खबरें

दिल्ली। दिल्ली के बवाना में निर्माण श्रमिकों के हित में काम करने वाले पंजीकृत संगठनों के संयुक्त मंच निर्माण मजदूर अधिकार अभियान (नमा) द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा संहिता 2025 के मसौदा नियमों और निर्माण मजदूरों से जुड़े लेबर कोड के संभावित प्रभावों व खतरों पर गहन चर्चा करना था।

कार्यशाला में उपस्थित नेताओं और प्रतिनिधियों ने इस बात पर जोर दिया कि नई संहिता और नियमों का निर्माण मजदूरों के सामाजिक और आर्थिक अधिकारों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इस चर्चा के आधार पर निर्णय लिया गया कि सामूहिक रूप से श्रम विभाग और दिल्ली सरकार को ज्ञापन सौंपकर मजदूरों के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

कार्यक्रम का संचालन थानेश्वर दयाल आदिगौड़ ने किया। उन्होंने सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के क्रियान्वयन हेतु श्रम विभाग द्वारा तैयार मसौदा नियमों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया और सुझाव देने के लिए प्रस्तावित प्रारूप साझा किया। उन्होंने कहा कि नियमों में सुधार और मजदूरों के हितों को सुरक्षित करने के लिए सामूहिक आवाज़ उठाना अनिवार्य है।

कार्यशाला की अध्यक्षता जय प्रकाश सोलंकी ने की। उन्होंने कहा कि निर्माण क्षेत्र में कार्यरत श्रमिक अक्सर असुरक्षित परिस्थितियों में काम करते हैं और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी जागरूकता और सशक्त मंचों की आवश्यकता है।

कार्यक्रम में अनेक श्रमिक नेताओं ने अपने अनुभव और सुझाव साझा किए। इनमें अमिता उप्पल, हरीश चंद, अरविंद वर्मा, सीमा सिंह, पंकज कुमार सिंह, आर. के. मौर्या, भारत भूषण, हेमलता, संदीप सिरोहा, अनिल कुमार और देव शर्मा शामिल थे। उन्होंने बताया कि यदि नियमों में मजदूर विरोधी प्रावधान शामिल होते हैं तो यह उनकी सुरक्षा और रोजगार पर नकारात्मक असर डाल सकता है।

विशेष रूप से यह चर्चा इस बात पर केंद्रित रही कि कैसे सामाजिक सुरक्षा और रोजगार सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है। कार्यशाला में सुझाव दिया गया कि निर्माण मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए सरकारी योजनाओं और नियमों की स्पष्ट व्याख्या होनी चाहिए और उन्हें वास्तविक लाभ मिलना चाहिए।

कार्यशाला का समापन सार्वजनिक हित में सक्रियता और सहयोग बढ़ाने के संकल्प के साथ हुआ। आयोजकों ने यह सुनिश्चित किया कि यह पहल केवल जानकारी तक सीमित न रहे, बल्कि मजदूरों की समस्याओं को नीति निर्माण स्तर तक पहुँचाने का माध्यम बने।

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