9 सितंबर से शुरू हो रहे एशिया कप 2025 के शेड्यूल के साथ ही एक और बहस देशभर में तेज हो गई है। इस बार यह बहस क्रिकेट को लेकर नहीं, बल्कि देश की संवेदनाओं और शहीदों की कुर्बानियों को लेकर हो रही है। एशिया कप 2025 के आयोजन की तारीखों के ऐलान के बाद, 14 सितंबर को होने वाले भारत-पाकिस्तान मुकाबले को लेकर भारी विरोध सामने आ रहा है। इस विरोध की सबसे भावुक और तीखी आवाज बनी हैं शहीद शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशन्या द्विवेदी, जिन्होंने क्रिकेट और देश की शहादत को आमने-सामने रख दिया है।
- “क्या खेल के आगे शहीदों की कुर्बानी कुछ भी नहीं?”
- भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर जनभावनाएँ आहत
- एशिया कप 2025: यूएई में आयोजन, 14 सितंबर को भारत-पाकिस्तान भिड़ंत
- बीसीसीआई और एसीसी पर उठे सवाल
- क्रिकेट बनाम शहीदों की कुर्बानी – यह वाक्य अब हर बहस का केंद्र बन चुका है।
- सरकार और एसीसी की प्रतिक्रिया का इंतजार
- सोशल मीडिया में बंटा जनमत
- निष्कर्ष:
“क्या खेल के आगे शहीदों की कुर्बानी कुछ भी नहीं?”
ऐशन्या द्विवेदी बयान ने न केवल सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया है, बल्कि संसद तक इसकी गूंज सुनाई दी है। उनका सवाल बहुत स्पष्ट है – “क्या हम तीन महीने पहले पहलगाम में मारे गए निर्दोष नागरिकों की कुर्बानी को इतनी आसानी से भुला सकते हैं?”
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित पहलगाम की बैसरन घाटी में एक भीषण आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी और करीब 20 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इन मारे गए लोगों में कानपुर के शुभम द्विवेदी भी शामिल थे, जो अपनी पत्नी के साथ छुट्टियाँ मनाने वहां पहुँचे थे।
आज, शुभम की पत्नी ऐशन्या द्विवेदी उसी घटना का जवाव मांगकर देश से सवाल कर रही हैं – “क्या बीसीसीआई और देश इतनी जल्दी हमें और हमारे दर्द को भूल सकते हैं?”
भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर जनभावनाएँ आहत
एशिया कप 2025 विवाद तब और गहराया जब सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने भारत-पाकिस्तान मैच को रद्द करने की माँग करनी शुरू कर दी। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर “#CancelIndVsPak” जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कई नेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी, जिनमें कांग्रेस, शिवसेना और कुछ स्वतंत्र सांसद भी शामिल हैं।
ऐशन्या द्विवेदी ने कहा, “एक तरफ ऑपरेशन सिंदूर चल रहा है, जहां हमारे जवान आतंक के खिलाफ मोर्चा संभाल रहे हैं, और दूसरी ओर हम उन्हीं के देश के साथ क्रिकेट का जश्न मना रहे हैं। क्या यही हमारी संवेदनाएं हैं?” यह सवाल अब केवल एक शहीद की पत्नी का नहीं, बल्कि पूरे देश का बनता जा रहा है।
एशिया कप 2025: यूएई में आयोजन, 14 सितंबर को भारत-पाकिस्तान भिड़ंत
एशिया कप 2025 इस बार टी20 फॉर्मेट में खेला जाएगा और इसकी मेज़बानी यूएई कर रहा है, लेकिन यह भारत की मेज़बानी में आयोजित हो रहा है। एशिया कप 2025 की शुरुआत 9 सितंबर को होगी और फाइनल 28 सितंबर को खेला जाएगा। भारत और पाकिस्तान को एक ही ग्रुप में रखा गया है, और पहला मैच दोनों के बीच 14 सितंबर को प्रस्तावित है।
अगर दोनों टीमें आगे बढ़ती हैं, तो एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच दो और मुकाबले हो सकते हैं – एक सुपर फोर में और दूसरा फाइनल में। यही संभावना विरोध को और भड़का रही है।
बीसीसीआई और एसीसी पर उठे सवाल
सोशल मीडिया और जनप्रतिनिधियों की आलोचना के केंद्र में अब बीसीसीआई भारत पाकिस्तान मैच का मुद्दा है। सवाल उठ रहे हैं कि जब दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध सामान्य नहीं हैं और जब देश आतंक का दंश झेल रहा है, तो ऐसे में खेल को सर्वोपरि रखना क्या उचित है?
क्रिकेट बनाम शहीदों की कुर्बानी – यह वाक्य अब हर बहस का केंद्र बन चुका है।
ऐशन्या द्विवेदी का मानना है , “जब ज़मीन पर खून अभी सूखा भी नहीं है, हम क्रिकेट मैच खेलकर देश के शहीदों को क्या सन्देश देना चाहते है ? क्या हमारी त्रासदी इतनी मामूली है कि कुछ ओवर क्रिकेट खेलकर हम उसे नजरअंदाज कर दें?”
सरकार और एसीसी की प्रतिक्रिया का इंतजार
अब देश की निगाहें सरकार और एशियन क्रिकेट काउंसिल (एसीसी) पर टिकी हैं कि वे इस विरोध को कितना गंभीरता से लेते हैं। संसद में इस मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है और कुछ सूत्रों के अनुसार, एसीसी एक आपात बैठक बुलाने पर विचार कर रहा है।
एशिया कप 2025 को लेकर पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने की नीति को लेकर लंबे समय से बहस होती रही है। लेकिन इस बार मामला संवेदनाओं से जुड़ा है, और ऐसे में सरकार और बीसीसीआई के लिए यह फैसला आसान नहीं होगा।
सोशल मीडिया में बंटा जनमत
जहां एक वर्ग एशिया कप 2025 को खेल भावना और राजनीतिक अलगाव के रूप में देख रहा है, वहीं दूसरा वर्ग इसे पहलगाम आतंकी हमला और राष्ट्रीय अस्मिता से जोड़ रहा है।
एक यूज़र ने लिखा, “शहीदों की विधवाएं रोती हैं और हम पाकिस्तानी टीम के चौके-छक्कों पर तालियाँ बजाते हैं, क्या यही भारत है?”
दूसरे पक्ष में लोग कह रहे हैं कि “खेल को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए और यह कूटनीतिक संबंधों को बेहतर करने का मंच बन सकता है।” लेकिन इस बार भावनाओं की लहर कुछ और ही बयां कर रही है।
निष्कर्ष:
क्या आगे होगा भारत-पाकिस्तान मैच?
अब देखना यह है कि क्या बीसीसीआई और एसीसी एशिया कप 2025 में प्रस्तावित भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर अपनी रणनीति में बदलाव करते हैं या नहीं।
ऐशन्या द्विवेदी का बयान केवल व्यक्तिगत पीड़ा नहीं, बल्कि उन 26 परिवारों की आवाज है जिन्होंने पहलगाम आतंकी हमला में अपनों को खोया। और आज देश यह तय करने की कगार पर है कि क्या वह क्रिकेट बनाम शहीदों की कुर्बानी के बीच खेल को प्राथमिकता देगा या शहीदों की स्मृति को?
एक ओर एशिया कप का रोमांच है, दूसरी ओर शहीदों का लहू। सवाल देश से है – क्या हम इतनी जल्दी भूल सकते हैं पहलगाम?
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