आपने सोने चांदी, संपत्ति या पैसों की लूट के बारे में तो जरुर सुना होगा, लेकिन हाल ही में प्रयागराज जिले की एक महिला दुकानदार ने स्थानीय पुलिस थाना में टमाटर की लूट होने की शिकायत दर्ज कराई. साथ ही महिला ने कहा कि आरोपियों ने उसके साथ मारपीट की और उसके 4 किलो टमाटर लूट कर ले गए. ये घटना सुनने में तो जरूर आम लगती है, लेकिन ये कोई आम घटना नहीं, बल्कि इस घटना से सरकार की महंगाई विरोधी नीतियों की पोल खुल गई है.
बताते चलें कि पूरे देश में टमाटर की कीमतें आसमान छू रही है. और सरकार इस पर अंकुश लगाने में पूर्णतः विफल साबित हो रही है. खुदरा टमाटर की कीमतों में अचानक वृद्धि हुई है। दिल्ली में टमाटर की कीमत 120 रुपये प्रति किलोग्राम है। वहीं उपभोक्ता मामले मंत्रालय द्वारा बनाए गए आंकड़ों के अनुसार, टमाटर की औसत अखिल भारतीय खुदरा कीमत 83.29 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि मॉडल कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मूल्य निगरानी सेल के अनुसार, जून में कई भारतीय शहरों में टमाटर की कीमतें लगभग दोगुनी हो गईं, अहमदाबाद और दिल्ली जैसे शहरों में क्रमशः 264 प्रतिशत और 186 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई।
टमाटर के बिना अधूरा है खाना
भारत के हर राज्य में टमाटर का उपयोग होता है. बिना टमाटर के सब्जी अधूरी मानी जाती है. शाकाहारी परिवार एक बार लहसुन और प्याज के बिना खाना खा सकता है लेकिन टमाटर के बिना खाने का स्वाद अधूरा है. स्वाद के अलावा टमाटर गरीब भारतीय परिवाओं के लिए फोलेट, विटामिन सी और पोटैशियम जैसे पोषक तत्वों का प्रमुख श्रोत भी है. लेकिन असफल सरकारी नीति ने गरीबों की थाली से टमाटर भी छीन लिया है. टमाटर सहित अन्य सब्जियों की बढ़ती कीमत से न केवल गरीब भारतीय परिवार बल्कि मक्डोनल्ड’स जैसे बहु देशीय ब्रांड भी परेशानी में आ गए हैं. लेकिन इस बढ़ती महंगाई पर भाजपा सरकार मौन हैं.
पीएम मोदी व समृति ईरानी सहित अन्य भाजपाई मौन
विदित हो कि कांग्रेस की सरकार के समय महंगाई बढ़ने पर बीजेपी के तमाम नेता सड़क पर आकर महंगाई का रोना रोते रहे हैं. लेकिन जब आज उनकी खुद की पार्टी सत्ता पर आसीन हैं तो ऐसे में पूरी बीजेपी मौन हैं. बताते चले कि स्मृति ईरानी ने यूपीए सरकार में बढ़ती महंगाई के बीच कहा था कि ‘कहा जाता है, हमारे प्रधानमंत्री जी बड़े विनम्र हैं। लेकिन आज इस मंच से मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहती हूं, कब तक चुप बैठेंगे आप? जब महंगाई की मार से बच्चे की भूख चीख – चीख कर पुकारती है तो आपके कान क्यों बंद रहते हैं। जब कर्ज में डूब कर किसान आत्महत्या करते हैं तो आपके कान क्यों बंद रहते हैं?
कांग्रेस सरकार में बढ़ती महंगाई को लेकर सरकार व तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोसने वाली बीजेपी नेता स्मृति ईरानी आज देश में बढ़ती हुई महंगाई को लेकर मौन हैं. तो क्या यूपीए सरकार में महंगाई विरोध स्मृति ईरानी सहित अन्य बीजेपी नेताओं का सियासी स्टंट था ? आखिर क्यों नहीं आज बीजेपी को गरीबों की पुकार सुनाई दे रही है? आखिर क्यों महंगाई के नाम पर यूपीए सरकार को कोसने वाली स्मृति ईरानी खुद की सरकार द्वारा महंगाई न रोक पाने पर मौन हैं ?
भूत-पूर्व @smritiirani जी महंगाई और कर्ज में डूबे किसानों के मुद्दे पर चीखती हुयीं! काश आज ये सत्ता में होती सोचिए मंहगाई कितनी कम होती? 🤔 pic.twitter.com/mZs4HgHCL9
— Rahul Singh (@RahulSingh_SP) July 27, 2022
महंगाई के विरोध पर कांग्रेसी महिला कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा बल प्रयोग
कांग्रेस ने अपने ऑफिसियल ट्विटर पर एक वीडियो जारी करते हुए लिखा कि “दिल्ली पुलिस के इस थप्पड़बाज इंस्पेक्टर को देखिए। बढ़ती महंगाई को लेकर महिलाएं प्रदर्शन कर रही थीं। ये इंस्पेक्टर उनके साथ मारपीट करने लगा।” मामला उस वक्त का है जब कांग्रेस की महिला कार्यकर्ता टमाटर सहित अन्य आवश्यक घरेलु चीजों की महंगाई का विरोध भाजपा मुख्यालय के बाहर कर रही थीं और सरकार से महंगाई पर अंकुश लगाने की अपील कर रही थीं, ठीक उसी समय दिल्ली पुलिस के पुरुष कांस्टेबल ने महिला कार्यकर्ता को न सिर्फ महंगाई का विरोध करने से रोका बल्कि महिला कार्यकर्त्ता के साथ बद सलूकी भी की.
दिल्ली पुलिस के इस थप्पड़बाज इंस्पेक्टर को देखिए।
बढ़ती महंगाई को लेकर महिलाएं प्रदर्शन कर रही थीं। ये इंस्पेक्टर उनके साथ मारपीट करने लगा। pic.twitter.com/ATabiaHQIF
— Congress (@INCIndia) July 4, 2023
क्या तानाशाही की ओर बढ़ रहा सत्ता का उन्माद ?
सरकार कोई भी हो भारत का संविधान हर नागरिक को विरोध करने और अपनी बात रखने का हक़ देता है. लेकिन हाल ही के दिनों में सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने पर बीजेपी ने जिस तरह से प्रदर्शनकारियों के साथ बर्ताव किया है वो निंदनीय एवं शर्मनाक है. चाहे बात हो पहलवानो के प्रदर्शन के दौरान पुलिस की बर्बरता की या फिर हालिया समय में महिला कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ हुई पुलिस द्वारा ज्यादती की. दोनों ही मामले में सरकारी निरंकुशता व तानाशाही की झलक दिखती है. महंगाई एक अहम मुद्दा हैं जिससे की हर एक भारतीय प्रभावित होता है, महंगाई के खिलाफ आवाज उठाई जाए या उसका विरोध किया जाए तो बीजेपी सरकार को इस सन्दर्भ में ध्यान देते हुए महंगाई कम करने के प्रयास करने चाहिए न कि निरंकुशता व तानशाही पूर्वक रवैया अपनाना चाहिए.
अन्य सब्जियों की भी बढ़ी कीमत
जहां टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी चर्चा का विषय बनी हुई है, वहीं पत्तागोभी, मिर्च, भिंडी, फूलगोभी और आलू सहित अन्य सब्जियों की कीमतों में भी वृद्धि देखी गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मई की शुरुआत से पटना में सब्जियों की कीमतों में काफी वृद्धि देखी गई है। फूलगोभी की कीमत ₹60 प्रति किलो तक पहुंच गई, जबकि मई की शुरुआत में यह ₹40 प्रति किलो थी। इसी तरह, पत्तागोभी की कीमत अब 60 रुपये प्रति किलोग्राम है, जो पहले 30-40 रुपये प्रति किलोग्राम थी। आलू और प्याज की कीमतें भी मई की शुरुआत में ₹20 प्रति किलोग्राम से बढ़कर जुलाई में ₹30 प्रति किलोग्राम हो गई हैं। प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अनुसार, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में सब्जियों की औसत कीमतों में 30 से 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
बताते चलें कि पिछले एक महीने में कई महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेज वृद्धि हुई है जिसमे टमाटर, प्याज और आलू सहित आवश्यक सब्जियों से लेकर चावल और गेहूं व अन्य बुनियादी अनाज जैसे अरहर दाल आदि शामिल है. भारतीय शाकाहारी परिवारों में प्रोटीन का आम श्रोत दाल व सब्जियां ही हैं, लेकिन इन सामग्रियों की कीमते बढ़ने से आम भारतीय परिवारों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मूल्य निगरानी प्रभाग के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि 10 प्रमुख खाद्य पदार्थों में से 9 की कीमतें बढ़ी हैं. जिनमे चावल, गेहूं, अरहर दाल, चीनी, दूध, चाय पत्ती , नमक (आयोडीनयुक्त) , आलू, प्याज और टमाटर पिछले महीने पहले की तुलना में बढ़ गए हैं.
जबकि दूध की कीमत में महीने-दर-महीने 0.5% की वृद्धि देखी गई. वहीं तीन आवश्यक सब्जियों की कीमतें बढ़ी हैं, जिसमे आलू की कीमत में 8.8%, प्याज में 11.1% और टमाटर मई के अंतिम सप्ताह की तुलना में लगभग दोगुना महंगा हुआ है। 27 जून को टमाटर का राष्ट्रीय औसत खुदरा मूल्य ₹46.1 प्रति किलोग्राम था, जो एक पिछले पहले के ₹23.6 से 95% अधिक है।
इस मामले में केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि टमाटर की कीमतों में उछाल मौसमी कारकों का परिणाम है। सिंह ने मीडिया को बताया कि, “देश भर में, टमाटर साल के विभिन्न समय में उगाया और काटा जाता है।” देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापारियों ने इस वर्ष सब्जियों की आपूर्ति को प्रभावित करने वाले कारकों के रूप में इस वर्ष गर्मी के उच्च तापमान के साथ-साथ हाल ही में विशेष रूप से उत्तरी राज्यों में असामान्य रूप से तेज बारिश को जिम्मेदार ठहराया है।
गरीबों के स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव
वहीं विपक्षी दल खाद्य मुद्रास्फीति को एक राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग कर रहे हैं। 2006 से ही लगातार खाद्य कीमतें बढ़ रही हैं। पिछले पांच वर्षों में खाद्य मुद्रास्फीति ने देश में कुल मुद्रास्फीति में 41 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया है। लगातार बढ़ रही महंगाई एक गंभीर चिंता का विषय है, खासकर भारत जैसे देश के लिए, जहां दुनिया में गरीबों की संख्या सबसे ज्यादा है। खाद्य पदार्थों की कीमत में वृद्धि का गरीबों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? हाल के अध्ययनों और वास्तविक क्षेत्रीय रिपोर्टों के अनुसार, खाद्य मुद्रास्फीति ने गरीबों के स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव डाला है। ये एक विडंबना है कि जहां वैश्विक स्तर पर कुपोषण के खिलाफ लड़ाई तेज हो रही है, वहीं देश के भीतर खाद्य मुद्रास्फीति इसमें बाधा बन सकती है।