झांसी में अवैध नर्सिंग होम के खिलाफ बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा का विरोध प्रदर्शन
बुंदेलखंड मोर्चा ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने अवैध नर्सिंग होम्स की जांच की मांग की
झांसी, बुंदेलखंड: झांसी में चल रहे अवैध नर्सिंग होम्स का मामला अब एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। नगर के अधिकांश नर्सिंग होम्स में मानकों के अनुसार न तो नक्शे की मंजूरी है, न ही अग्नि सुरक्षा यंत्रों की व्यवस्था है, और न ही प्रदूषण नियंत्रण के दिशा-निर्देशों का पालन हो रहा है। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई है, जब इन नर्सिंग होम्स में अधिकतर नियमों की अनदेखी की जा रही है, और इसकी जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग और संबंधित अधिकारियों पर डाली जा रही है। बावजूद इसके, झांसी के मुख्य चिकित्साधिकारी की निगरानी में ये नर्सिंग होम्स धड़ल्ले से चलते रहे हैं।
बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा का धारा-प्रदर्शन: झांसी के जिलाधिकारी कार्यालय के सामने संघर्ष
इस गंभीर मुद्दे पर आवाज उठाने के लिए बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा ने एक विशाल प्रदर्शन आयोजित किया। मोर्चा के अध्यक्ष, भानु सहाय के नेतृत्व में नर्सिंग होम्स के खिलाफ यह विरोध प्रदर्शन झांसी जिलाधिकारी कार्यालय के सामने हुआ। मोर्चा के योद्धा, जिनमें बुंदेलखंड क्षेत्र के कई नागरिक और समाजसेवी शामिल थे, यह साबित करने के लिए उतरे कि प्रशासन अवैध नर्सिंग होम्स की अनदेखी कर रहा है, जो जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बन रहे हैं।
मोर्चा का उद्देश्य और जनता की चिंता
भानु सहाय ने कहा, “यह केवल नर्सिंग होम्स का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह जनता की सुरक्षा और उनके स्वास्थ्य का भी मुद्दा है। अवैध नर्सिंग होम्स में इलाज का स्तर बेहद घटिया है, और प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह इन नर्सिंग होम्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।” इस प्रदर्शन के दौरान कई नर्सिंग होम्स के संबंध में जानकारी भी साझा की गई, जो बिना किसी मानक के चल रहे हैं और नागरिकों के लिए खतरा बने हुए हैं। मोर्चा के सभी सदस्य इस कुप्रथा के खिलाफ एकजुट हो गए हैं और प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
प्रशासन की ओर से आश्वासन और पुलिस अधिकारियों की भूमिका
प्रदर्शन के दौरान, नगर मजिस्ट्रेट, अपर नगर मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों ने मोर्चा के अध्यक्ष को आश्वासन दिया कि संबंधित विभागों के प्रमुखों की एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाएगी, जो इन नर्सिंग होम्स की विस्तृत जांच करेगी। पुलिस अधिकारियों और नगर मजिस्ट्रेट के आश्वासन से मोर्चा के सभी योद्धा संतुष्ट हुए और उन्होंने निर्णय लिया कि एक सप्ताह का समय प्रशासन को दिया जाएगा।
जनता की उम्मीदें और अधिकारियों के प्रति विश्वास
नगर मजिस्ट्रेट ने कहा, “हम यह समझते हैं कि यह मामला गंभीर है, और हम इसे प्राथमिकता के रूप में देखेंगे। हम अगले सात दिनों के भीतर आवश्यक कदम उठाएंगे।” इसी आश्वासन पर मोर्चा के योद्धाओं ने प्रदर्शन समाप्त कर दिया। अब उन्होंने प्रशासन से पूरी उम्मीद जताई है कि निर्धारित समय के भीतर अवैध नर्सिंग होम्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नर्सिंग होम्स की जांच और एक सप्ताह का समय: मोर्चा की अगली योजना
मोर्चा ने यह साफ किया कि यदि एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई नहीं होती है, तो वे 26 मार्च को फिर से जिलाधिकारी कार्यालय में एक बड़े प्रदर्शन के लिए पहुंचेगे। उनका कहना था कि वे इस मामले में कोई भी ढील या देरी स्वीकार नहीं करेंगे। भानु सहाय ने कहा, “हमारे पास अब और समय नहीं है। जनता की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है कि प्रशासन तुरंत कदम उठाए। अगर कार्रवाई नहीं होती, तो हम फिर से सड़कों पर उतरेंगे और प्रदर्शन करेंगे।”
बुंदेलखंड के नागरिकों के लिए बड़ी चुनौती
यह प्रदर्शन और उसके बाद की बातचीत बुंदेलखंड क्षेत्र के नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना बन गई है। इस मुद्दे ने यह सवाल खड़ा किया है कि आखिरकार कौन जिम्मेदार है जब अवैध नर्सिंग होम्स में इलाज का स्तर इतना घटिया है और स्वास्थ्य मानक की पूरी अनदेखी की जा रही है। बुंदेलखंड क्षेत्र में यह पहला मामला नहीं है, जहां इस प्रकार के नर्सिंग होम्स की शिकायतें सामने आई हैं, लेकिन अब यह मुद्दा अधिक गंभीर हो गया है, जब स्थानीय प्रशासन और अधिकारी इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
सामाजिक संगठनों का सहयोग और क्षेत्रीय जागरूकता
इस आंदोलन में बुंदेलखंड के कई सामाजिक संगठन भी शामिल हुए हैं। उन्होंने मोर्चा के साथ मिलकर अवैध नर्सिंग होम्स के खिलाफ जन जागरूकता फैलाने का कार्य किया है। इन संगठनों का मानना है कि यह मुद्दा केवल स्थानीय अधिकारियों तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की आवश्यकता है ताकि अवैध नर्सिंग होम्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सके।
नर्सिंग होम्स में सुधार की आवश्यकता और प्रशासन पर दबाव
प्रशासन पर दबाव बनाने के साथ-साथ बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा के सदस्य यह भी चाहते हैं कि नर्सिंग होम्स में इलाज के मानक को सुधारने के लिए एक ठोस योजना बनाई जाए। मोर्चा के अध्यक्ष भानु सहाय ने कहा, “हम केवल अवैध नर्सिंग होम्स को बंद करने की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम यह चाहते हैं कि जिन नर्सिंग होम्स को चालू किया जाए, वे सभी स्वास्थ्य मानकों को पूरा करें और जनता को उचित इलाज मिले।”
झांसी और बुंदेलखंड क्षेत्र में चल रहे अवैध नर्सिंग होम्स के खिलाफ बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा का यह आंदोलन एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुका है। जहां प्रशासन से एक सप्ताह का समय लिया गया है, वहीं मोर्चा के योद्धाओं ने भी अपने आंदोलन को और तेज करने की योजना बनाई है। यह संघर्ष केवल स्थानीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य के अधिकार और मानवीय सुरक्षा का मामला बन चुका है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर कितनी सख्ती से कार्रवाई करता है और क्या बुंदेलखंड के नागरिकों को उनकी अपेक्षित सुरक्षा और इलाज मिलेगा।