Caste Census 2025: मोदी सरकार ने जाति जनगणना की घोषणा की, राजनीतिक बहस छिड़ गई। बीजेपी और विपक्ष क्रेडिट लेने को आमने-सामने। आरक्षण, OBC, मंडल राजनीति, सामाजिक न्याय और चुनावी प्रभाव चर्चा में।”
Caste Census in India: इंडिया गठबंधन ने जाति जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार को लोकसभा चुनावों से लेकर विधानसभा चुनावों में घेरती नज़र आ चुकी है। विपक्ष लंबे समय से देश में जाति जनगणना कराने की मांग कर रहा था। जिसको लेकर मोदी सरकार पर दबाव भी था। इसी साल केंद्र सरकार ने देशभर में जातीय जनगणना को लेकर सहमति जताई थी। वहीं बुधवार को केंद्र सरकार ने एलान किया कि पूरे देश में 1 मार्च 2027 से जाति जनगणना कराई जाएगी। सरकार ने यह भी बताया कि देश के कुछ बर्फीले क्षेत्रों जैसे लद्दाख में जाति जनगणना के साथ जनगणना का काम भी पांच महीने पहले यानी 1 अक्टूबर 2026 से शुरू करा दी जाएगी।
जाति जनगणना की अधिसूचना कब होगी जारी, ,Census Dates Announced
इंडिया गठबंधन के बढ़ते दबाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल को जाति जनगणना कराने का एलान किया था। वैसे तो निर्धारित अंतराल के साथ जनगणना 2021 में होनी चाहिए थी। क्योंकि पिछली बार मनमोहन सिंह के सरकार में जनगणना 2011 में हुई थी। लेकिन मोदी सरकार ने कोविड महामारी की वजह से जनगणना को टाल दिया था। जिसके बाद से विपक्ष सरकार पर हमलावर था। सरकार ने बताया कि अब जाति जनगणना और जनगणना एक साथ होगी। एक मार्च 2027 से शुरू होगी।
पहाड़ी क्षेत्रों में यह जनगणना एक अक्टूबर से शुरू होगी। इसमें केंद्र शासित प्रदेश और राज्य दोनों शामिल है। जैसे लद्दाख, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड आदि। सरकार द्वारा जारी कि गई विज्ञाप्ति में कहा गया है कि जनगणना अधिनियम 1948 की धारा 3 के प्रावधान के अनुसार उपरोक्त संदर्भ तिथियों के साथ जनगणना कराने की आशय की अधिसूचना 16 जून 2025 को प्रकाशित की जा सकती है। बता दें कि भारत की जनगणना , जनगणना अधिनियम 1948 और जनगणना नियम 1990 के प्रावधानों के अंतर्गत की जाती है।
कब हुई थी आजाद भारत की पहली जनगणना, Last Caste Census in India
आपको बता दें कि जब भारत आजाद भी नहीं हुआ था। तब भारत में जनगणना के साथ जाति जनगणना के आंकड़े जारी हुए थे। यानी देश में जनगणना की शुरुआत साल 1881 में हुई थी। तब एक नियम तय किया गया था कि अगली जनगणना के बीच कम से कम 10 सालों का अंतराल रखा जाए। इसके बाद हर दस साल बाद जनगणना होती रही। साल 1931 तक की जनगणना में जाति जनगणना के आंकड़े भी जारी होते थे। फिर 1941 में भी जाति जनगणना के आंकड़े दिए थे। लेकिन इन्हें जारी नहीं किया गया।
साल 1931 में सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आंकड़े ही दिए गए थे। जबकि ओबीसी और जनरल जाति के आंकड़े नहीं दिए गए। 15 अगस्त 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद देश में जाति जनगणना की मांग हुई। जिसमें यह कहा गया था कि कितने लोग आजादी के बाद पाकिस्तान गए और कितने भारत में रह गए। इसके बाद साल 1951 में पहली बार देश की जनगणना हुई। तब पिछड़ा वर्ग को शामिल नहीं किया गया था। आजादी के बाद दूसरी जनगणना 1961 में हुई। वहीं 1961 से 2001 तक हुई जनगणना में जातियों को शामिल नहीं किया गया था। फिर साल 2011 में जातियों के सामाजिक और आर्थिक आंकड़ों को शामिल किया गया। लेकिन ये आंकड़े सार्वजनिक नहीं हुए।
देश के इन राज्यों में हो चुकी जाति जनगणना, first Caste-based Census in India in which state
भारत में जनगणना कराना एक आम बात है। लेकिन जातीय जनगणना कराने को हमेशा से राजनीति से जोड़कर देखा गया है। देश में अभी तक दो ऐसे राज्य हैं। जहां जातीय जनगणना हुई है। बिहार और कर्नाटक में जातीय जनगणना हुई है। नियम के अनुसार राज्य सरकारों को जनगणना कराने का अधिकार नहीं है। इसलिए राज्य सरकारें इसे सर्वे का नाम देती है। तेलांगना सरकार ने भी जातीय सर्वेक्षण कराया था। लेकिन आंकड़े जारी नहीं किए। जबकि यह बात सामने आई थी कि राज्य में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या सबसे अधिक है। वहीं साल 2011 में तब कर्नाटक में तत्कालीन सिद्धारमैया सरकार ने जातीय सर्वे किया तो उसका नाम सामाजिक और आर्थिक सर्वे रखा था। लेकिन रिपोर्ट को प्रस्तुत नहीं किया। लेकिन उस समय 192 से अधिक नई जातियां सामने आई थी।
दूसरी तरफ जब बिहार में साल 2023 में जातीय सर्वे हुआ तो बिहार में पिछड़ा वर्ग की आबादी सबसे ज्यादा थी। राज्य में 63% आबादी सिर्फ ओबीसी थी। जिसमें 27% पिछड़ा वर्ग और 36% अति पिछड़ा वर्ग की आबादी थी। जबकि अनुसूचित जाति सिर्फ 20% थी। 2011 की जनगणना में तो 15.9 % थी। वहीं सामान्य वर्ग की आबादी 153 है। इसके अलावा तेलंगाना में फरवरी 2025 में जातिगत सर्वेक्षण की रिपोर्ट सामने आई। जिसमें पाया गया कि तेलंगाना राज्य की कुल आबादी 3.70 करोड़ है। इसमें मुस्लिम समुदाय को छोड़कर पिछड़े वर्ग की हिस्सेदारी 46.25% है। अनुसूचित जाति 17.43% , अनुसूचित जनजाति 10.45% , मुस्लिम पिछड़ा वर्ग 10.07% जबकि अन्य जातियां 13.313 है।
क्यों जरूरी है देश में जाति जनगणना, Why Caste Census is Important in India for Politicians
कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष चुनावी रैलियों से लेकर मीडिया बयानबाजी में यह मांग करती रही है कि केंद्र सरकार देश में जाति जनगणना कराए। अगर सरकार जनगणना कराने में विफल है तो जाति जनगणना ही करा ले। जिसके बाद मोदी सरकार ने जनगणना और जाति जनगणना कराने का फैसला किया। अब आम जनता के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर देश में जाति जनगणना क्यों जरूरी है। दरअसल इसके पीछे विपक्ष तर्क दे रहा है कि जाति जनगणना से पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग की जानकारी मिल सकेगी। उनकी शैक्षणिक स्थिति के बारे में जानकारी होगी।
साथ ही सामाजिक और आर्थिक स्थिति का भी पता चलेगा। जाति जनगणना कराने के बाद जो आंकड़े सामने आयेंगे। उसके बाद सरकार अलग – अलग जाति के आधार पर उनके बेहतरी के लिए पॉलिसी तैयार करेगी। सामाजिक और आर्थिक स्थिति से उबर सकेंगे। समाज में उन्हें नई पहचान दी जा सकेगी। अभी भी देश के कई राज्यों में जाति भेदभाव होता है। जनरल और पिछड़ा वर्ग में कई ऐसे परिवार हैं जो आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर हैं। आंकड़े आने के बाद देश की जातीय स्थिति ठीक होगी।
विरोध में भी उठ रहे सवाल
जाति जनगणना के पक्ष में जिस तरह से कई लोग फ़ायदे गिना रहे है। उसी तरह जाति जनगणना का विरोध भी हो रहा है। जो लोग विरोध कर रहे हैं , उनका मानना है कि अगर सर्वे में ओबीसी आबादी अधिक निकलती है तो सुप्रीम कोर्ट की तरफ से की गई आरक्षण की सीमा समाप्त हो जायेगी। इसे फायदा यह होगा कि ओबीसी वर्ग को और आरक्षण मिलेगा। जाति जनगणना होने से जातियों का बटवारा हो जाएगा। यह जनगणना जातिगत व्यवस्था को एक बड़ी मजबूती देगी। मोदी सरकार जातिगत जनगणना को व्यक्तिगत आधार और समान अवसर देने के बारे में सोचना चाहिए।
जनगणना में जनता से पूछे जायेंगे ये सवाल
साल 2027 में होनी वाली जनगणना और जाति जनगणना इस बार कागज और पेन से नहीं बल्कि डिजिटल तरीके से की जाएगी। जनगणना की प्रक्रिया को पूरी करने के लिए 33 लाख से अधिक कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी। इसमें पुरुष और महिला दोनों शामिल होंगे। इन गणनाकर्ताओं को एक महीने पहले प्रशिक्षण दिया जायेगा। देशभर में होने वाली जनगणना में करीब 13 हजार करोड़ का खर्च आएगा। इस दौरान गणनाकर्ता आपके घर आकर कुछ सवाल पूछेगा। जैसे आप कौन सा अनाज खाते हैं। पानी का स्त्रोत क्या है। बिजली है कि नहीं, शौचालय व्यवस्था , रसोई गैस, एलपीजी कनेक्शन,मोटर कार, प्रॉपर्टी, टीवी रेडियो की जानकारी देनी होगी। इसके अतिरिक्त जेंडर, नाम, जन्म वैवाहिक स्थिति, पैतृक संपत्ति, अस्थाई पता, आपका प्रोफेशन , क्या काम करते हैं। इसी से जुड़े कई सवाल पूछे जायेंगे |
Follow Us
YouTube: @Aanchalikkhabre
Facebook: @Aanchalikkhabre
Instagram: @aanchalik.khabre
Twitter “X” : aanchalikkhabr
LinkedIn: aanchalikkhabre
यह भी पढ़े : CDS Anil Chauhan: CDS अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर पर किया बड़ा खुलासा, पाकिस्तान पर बोली ये बात