चुनाव आयोग ने आरोपों को खारिज किया

Aanchalik Khabre
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चुनाव आयोग

भारत के चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों और कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में धांधली के आरोपों को पूरी तरह निराधार और गलत करार दिया है। हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने दावा किया था कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और चुनाव आयोग मिलकर मतदाता सूचियों में गड़बड़ी कर रहे हैं।

चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा कि “बिना किसी ठोस प्रमाण के चुनाव आयोग पर आरोप लगाना लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाता है।” आयोग ने स्पष्ट किया कि किसी भी मतदाता का नाम बिना उचित प्रक्रिया और सुनवाई के मतदाता सूची से हटाया नहीं जा सकता।

आलंद में मतदाता सूची से नाम हटाने का प्रयास

हालांकि, आयोग ने यह स्वीकार किया कि कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में कुछ असफल प्रयास किए गए थे, जिनमें कुछ मतदाताओं के नाम हटाने की कोशिश की गई थी। इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की गई है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी रहे।

राहुल गांधी के आरोप और उनका दावा

राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि “हमारे पास इस बात के ठोस प्रमाण हैं कि कई राज्यों में, विशेषकर कर्नाटक के आलंद क्षेत्र में, लाखों वोटरों के नाम जानबूझकर मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।” उन्होंने BJP और चुनाव आयोग पर मिलकर चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया।

BJP और अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया

राहुल गांधी के इन आरोपों के बाद भारतीय जनता पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। BJP नेता अनुराग ठाकुर ने कहा कि “राहुल गांधी भारत में नेपाल और बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं।” उन्होंने राहुल गांधी पर लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि “राहुल गांधी चुनावों में अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और इसलिए ऐसे बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।”

राजनीतिक माहौल पर असर

राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच यह टकराव राजनीतिक माहौल को और गर्मा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के आरोप और प्रतिक्रियाएं मतदाताओं के बीच भ्रम और असंतोष पैदा कर सकती हैं। साथ ही, यह बहस भी तेज हो गई है कि क्या मतदाता सूची की पारदर्शिता को और मजबूत करने की जरूरत है।

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