भितरवार – लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी मध्य प्रदेश में अपने सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है Congress ने भी दो दर्जन सीट पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, लेकिन सिंधिया के गढ़ ग्वालियर और मुरैना में कांग्रेस अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है. यहां कांग्रेस को हुकुम के इक्के की तलाश है, जो सिंधिया के गढ़ में सेंध लगा सके।
आखिर क्यों ग्वालियर संसदीय क्षेत्र से Congress में प्रत्याशी के लिए इतना मंथन ?
बता दे कि संसदीय क्षेत्र ग्वालियर में लोकसभा का मतदान 7 मई को होना है, लेकिन जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी ने न केवल अपनी पार्टी के प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया और अपना प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने अभी तक प्रत्याशी का नाम भी घोषित नहीं किया है. Congress की सीईसी यानी केन्द्रीय निर्वाचन कमेटी की कई बार फिर दिल्ली में बैठक हो चुकी है। और माना जाता है कि आज नाम का ऐलान हो जाएगा. लेकिन ऐसा नही हो सका वहीं सूत्रों की मानें तो नाम अभी तक राज्य के नेता फायनल ही नहीं कर सके हैं। उनके बीच उठा पठक जारी है और प्रत्याशी पर पार्टी के नेता मंथन करने पर मजबूर है।
आखिर लगातार हार के बावजूद Congress में टिकट की इतनी मारामारी क्यों?
ग्वालियर संसदीय सीट पर बीते चार बार से Congress को पराजय का मुंह देखना पड़ रहा है। इसके बावजूद ग्वालियर सीट प्रदेश की उन चुनिंदा सीट मे से एक है, जिस पर कांग्रेस में टिकट को लेकर मारामारी है और बड़ी संख्या में नेता अपनी दावेदारी कर रहे हैं। इसकी दो खास वजह हैं. एक तो यह कि बीते चार चुनावों के परिणाम देखें तो नतीजे बताते हैं कि यह सीट कांग्रेस जीत भले ही नही पाई हो लेकिन उसने भाजपा को कड़ी टक्कर दी है।
बीते चार चुनावो में से तीन में भाजपा ने यहां से अपने दिग्गज नेताओं यानी यशोधरा राजे सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर को उतारा लेकिन उनके जीत का मार्जिन महज 26 हजार से 36 हजार के बीच रहा. 2019 में भी जब मोदी लहर के चलते प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर भाजपा उम्मीदवार तीन से छह लाख मतों के अन्तर से जीते. ऐसे में ग्वालियर सीट पर भाजपा की जीत डेढ़ लाख ही रही. अगर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे देखें तो एक तरफ़ प्रदेश में जहां कांग्रेस का पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया, वहीं ग्वालियर संसदीय क्षेत्र की आठ में से चार सीटें कांग्रेस जीतने में कामयाब रही. यही वजह है कि कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि इस बार वे इस सीट को जीत सकते है .
यह हैं Congress के प्रमुख दावेदार
ग्वालियर सीट के लिए वैसे तो दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। पूर्व सांसद रामसेवक सिंह बाबूजी और पूर्व विधायक प्रवीण पाठक के अलावा, जिला कांग्रेस अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा, पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव, युवक कांग्रेस नेता मितेन्द्र सिंह, विधायक डॉ सतीश सिकरवार, विधायक साहब सिंह गुर्जर , नीटू सिकरवार और विधानसभा का चुनाव हार चुके सुनील शर्मा भी शामिल हैं ।हालांकि कॉंग्रेस के पूर्व विधायक लाखन सिंह यादव के वायरल एक बयान में उन्होंने खुद को टिकट की दौड से बहुत दूर बताया है।
इन दो नामों पर है Congress का मंथन जारी
माना जा रहा है कि सीईसी में जिन दो नामों पर गम्भीरता से विचार होना है, उनमें सबसे पहला नाम रामसेवक सिंह बाबूजी का है। वे 2003 में यहां से कांग्रेस सांसद बने थे लेकिन एक स्टिंग ऑपरेशन में फंसने के चलते उन्हें अपनी सांसदी गंवानी पड़ी थी. हालांकि बाद में कोर्ट ने उन समेत सभी सांसदों को बरी कर दिया। इसकी वजह है कि वे गुर्जर समाज से है और ग्रामीण क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है. यह सीट पिछड़े वर्ग के बाहुल्य वाली है और उस पर उनकी ठीक पैठ है। दूसरे बड़े दावेदार हाल ही में विधानसभा चुनाव हार गए विधायक प्रवीण पाठक हैं । इसकी वजह उनकी युवा वय और आक्रामक तेवर होने के साथ ही क्षेत्र में ब्राह्मणों के दो से ढाई लाख वोटों का होना है । वहीं प्रवीण पाठक एक युवा चेहरा है और ग्वालियर में कॉंग्रेस की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं जो हमेसा युवाओं के लोकप्रिय रहे हैं । इस वजह से उनके नाम पर भी काफी जोर है । वहीं कॉंग्रेस का मंथन मुरैना और ग्वालियर में सवर्ण और ओबीसी प्रत्याशी को चुनकर मतदाताओं को साधने के लिए जारी है ।
भाजपा ने बिगाड़ा Congress का गणित
ग्वालियर सीट को ओबीसी सीट माना जाता है। यही वजह है कि विगत पांच चुनावों से इस सीट पर कांग्रेस ओबीसी प्रत्याशी ही उतारती रही है और बीजेपी से सवर्ण। लेकिन इस बार सबको चौंकाते हुए भाजपा ने अपने प्रत्याशी के रूप में पूर्व मंत्री भारत सिंह कुशवाह को मैदान में उतार दिया जो काछी समाज से है और ग्वालियर ग्रामीण से दो बार विधायक और शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में शामिल रहे है, लेकिन 2023 के चुनाव में वे पराजित हो गए इसके बावजूद बीजेपी ने उन्हें लोकसभा का टिकट दे दिया। इससे कांग्रेस का ओबीसी गणित गड़बड़ा गया है।
विधानसभा चुनाव में कॉंग्रेस को मिले अधिक वोट
नवंबर में संपन्न हुए मप्र विधानसभा के चुनाव में ग्वालियर लोकसभा के अंतर्गत आने वाली 8 सीटों में से भाजपा-Congress
को 4-4 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन आठों सीटों के कुल मतों में कांग्रेस , भाजपा पर भारी पडी़ थी। भाजपा को ग्वालियर विस सीट पर 19,140, दक्षिण में 2536 , भितरवार में 22354 व करैरा में 3103 मतों से जीत हासिल की थी। चारों विधानसभा सीटों से कुल बढ़त 47,133 वोटों की थी।
वहीं कांग्रेस को ग्वालियर ग्रामीण में 3282, पूर्व में 15,353 , डबरा में 2267 व पोहरी में 49,481 मतों से जीत मिली थी। कांग्रेस इन चारों सीटों के कुल मतों मतों में 70, 383 मतों से आगे रही थी। इस प्रकार आठों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस , भाजपा से 23, 250 मतों से आगे रही है।इन्हीं मतों के आधार पर वह ग्वालियर लोकसभा सीट जीतने का दावा कर अपनी रणनीति बना रही है ।
बीएसपी की है दोनों सीट पर निगाह
मुरैना और गवालियर सीट पर बीएसपी भी नजर गढ़ाए बैठी है.। हालांकि यहां बीएसपी जीतने की स्थिति में नहीं है, लेकिन यह पार्टी किसी का भी गणित बिगाड़ने लायक वोट अपने पास रखती है. उसके नेता जातीय गणित पर निगाह रखे हुए हैं. मुरैना में यदि दोनों पार्टियों ने ठाकुर ब्राह्मण पर दांव लगाया तो बहुजन समाज पार्टी किसी ओबीसी प्रत्याशी को उतारकर मुकाबले को रोचक बना सकती है ।
के के शर्मा ब्यूरो ग्वालियर
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