दादर फूल मार्केट में आदिवासी पारधी समाज की चिंता
दादर फूल मार्केट पिछले चार दशकों से आदिवासी पारधी समाज का रोजगार का मुख्य स्रोत रहा है। यह समाज फूल बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। हाल ही में, मुंबई मनपा और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई के कारण इस समाज के लोगों के रोज़गार पर संकट उत्पन्न हो गया है।
आदिवासी पारधी महासंघ के मुंबई और नवी मुंबई अध्यक्ष संतोष एकनाथ पवार एवं मानखुर्द शाखा अध्यक्ष सोमनाथ रावसाहेब पवार ने दादर के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक से मुलाकात कर इस कार्रवाई को रोकने की मांग की। महासंघ ने बताया कि पिछले 30–40 वर्षों से यह समाज त्यौहारों के समय दिन-रात मेहनत कर फूलों की लटें और मालाएँ बनाकर जीविका कमाता रहा है।
शिक्षा और पहचान की कमी से बढ़ती मुश्किलें
आदिवासी पारधी समाज के अधिकांश लोग शिक्षा से वंचित हैं और उन्हें अन्य रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाते। कुछ के पास आधार कार्ड भी नहीं हैं। इस वजह से मनपा और पुलिस की कार्रवाई उनके लिए और मुश्किलें खड़ी कर रही है। महासंघ ने वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को ज्ञापन सौंपकर कहा कि मेहनत और मजदूरी से अपने परिवार का जीवन यापन करने वाले लोगों पर कार्यवाही बंद की जाए।
संतोष पवार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आजादी के बाद से यह समाज मुख्य विकास धारा से दूर रहा है। सरकार और राजनेताओं की ओर से इस समाज के उत्थान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
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