झाबुआ , झाबुआ जिले के विकासखंड थांदला के छोटे से गांव की रहने वाली श्रीमती सीता मुणीयाजी की शुरुआत से आर्थिक परिस्थिति अच्छी नहीं थी, आर्थिक ही नहीं सामाजिक स्तर पर भी उनकी ज्यादा पहचान ना होने के कारण उनको अपने जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पढ़ता था। आजीविका मिशन से जुड़ने से पहले सीता की आर्थिक परिस्थिति सही नहीं थी। उनका जीवन यापन खेती की मदद से होता था। जहां उनको ज्यादा फायदा नहीं होता था एवं उनको जानकारियों के अभाव के कारण बहुत सारी योजनाओं से भी वंचित रह जाते थे।
परवालिया गांव में पहले से ही आजीविका मिशन के माध्यम से स्वयं सहायता समूह का गठन हो चुका था सीता ने स्वयं सहायता समूह के बारे में जानकारी ली और वर्ष 2015 में समूह का हिस्सा बन गए। क्योंकि वो समूह में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे थे तो उनको समूह की दीदियों की सहमति से अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया। अध्यक्ष होने के कारण स्वयं सहायता समूह की बैठक में उनको अपनी बात रखने का ज्यादा मोका मिला और धीरे-धीरे उनको अपने ऊपर विश्वास बढ़ते गया साथ ही समूह की महिलाओं को भी सीता जी पर विश्वास बड़ा। सीता ने समय समय पर आजीविका मिशन के माध्यम से अनेक प्रकार की बैठक, प्रशिक्षण में भागीदारी की जहां उनको बहुत सारी जानकारी प्राप्त हुईं, वो सारी जानकारी उनके व्यक्तिगत तौर पर तो बहुमूल्य साबित हुई साथ ही समूह और गांव का नाम रोशन करने में भी अहम भूमिका निभाई। सीता ने अपनी समूह की महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रकार के जैसे VO]CLF एवं CCL से लोन दिलवाए और गतिविधि करने के लिए प्रेरित किया।
सीता के नेतृत्व की क्षमता गांव के अन्य बने समूह की महिलाओं को भी बहुत प्रेरित किया और उनको गांव संगठन का अध्यक्ष बनाया गया।
सीता ने अपने गांव की बैठकें आदर्श बैठक के तौर पर पेश की उन्होंने अपनी गांव की महिलाओं को समूह में गतिविधि करना सिखाया उनके गांव के समूह कि महिलाओं ने अनेक प्रकार के साथ में काम किए जैसे उन्होंने साबुन बनाने का काम अपने नेतृव में करवाया जो बहुत ही प्रचलित रहा।