Gangaur Puja 2024 : गुरूवार को गणगौर पर्व पारंपरिक अंदाज में मनाया गया। सुबह से ही महिलाओं ने सज-धज कर गणगौर पूजन किया। गणगौर पर्व को लेकर महिलाओं में उत्साह देखते बन रहा था। महिलाओं ने पति की लंबी आयु के लिए ईसर-गणगौर (शिव और पार्वती) माता बनाकर पारंपरिक वेशभूषा में 16 श्रृंगार कर परिधानों से सुसज्जित होकर पूजन किया। इस तरह पूरे नगर और क्षेत्र भर में गणगौर पूजन सौभाग्यवती महिलाओं के द्वारा पूरे उत्साह और उल्लास के साथ किया गया।
अखंड सुहाग की कामना को लेकर महिलाये करती है गणगौर पूजन (Gangaur Puja)
नगर सहित अंचल में चैत्र शुक्ल तृतीया पर Gangaur Puja पर अखंड सुहाग और इच्छित वर की कामना को लेकर सौभाग्यवती महिलाओं और युवतियों ने गणगौर पूजन किया। गणगौर पूजन के लिए बुधवार को ही महिलाओं ने सारी तैयार कर ली थी। महिलाओं ने धन वैभव बढ़ाने के लिए बेसन, आटा व मैदा के मीठे गुणे बनाकर और मिट्टी से पार्वती की प्रतिमा बनाकर और रंगों से सजाकर एक दिन पहले ही तैयार कर लिया था। कई गली, मोहल्लों में मंदिरों पर गणगौर पूजन किया गया।
इस दौरान बनाए गए गहने गुड़ियों के आकार के गुडे के साथ बिंदी, रोली ,चूड़ी, काजल, महावर, दर्पण, कंगी, तेल, नाखूनी, लिपिस्टिक आदि 16 प्रकार की श्रृंगार सामग्री भीम माता को अर्पित कर पूरे श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना की गई। इस दौरान सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा घर परिवार की सुख समृद्धि के साथ ही पति की लंबी उम्र की कामना की गई तो वहीं कुछ कुंवारी युक्त के द्वारा सुयोग्य बर की कामना को लेकर गणगौर माता की पूजा की गई। इस दौरान जगह-जगह बारी-बारी से एक के बाद एक महिला Gangaur Puja करती नजर आई। शाम को महिलाओं ने गणगौर को पानी पिलाने की रस्म निभाई। पानी पिलाने के दौरान महिलाओं ने देर रात तक खूब नाच-गाना किया।
गणगौर पूजन (Gangaur Puja) पर घेवर गुड़ का लगाया भोग
पूजन करने वाली महिलाओं के घरों में गुणे, शक्कर पारे बनाए। तो कई स्थानों पर महिलाएं बाजार से हलवाई द्वारा तैयार किए गए घेवर को बनवा कार लाई जिसका गणगौर को भोग लगाया गया। सुहागिन महिलाएं 8 गुणे और कुंवारी कन्याओं ने 16 गुणे माता को अर्पित किए। महिलाओं ने घेवर का भोग लगाया। गणगौर पूजन के दिन गोर-गोर गोमती ईसर पूजे पार्वती जैसे लोकगीतों से गूंज उठा।
अंचल में भी रही गणगौर पर्व की धूम
नगर ,कस्बों और गांवों में महिलाओं द्वारा महिलाओं का प्रिय और पसंदीदा गणगौर पर्व मनाया गया। महिलाओं ने एक जगह पर सामूहिक रूप से गणगौर पूजन किया। शाम को महिलाओं ने गणगौरों को पानी पिलाया और बिंदोरा निकाली। गणगौरों के पूजा स्थल गणगौर का पीहर और विसर्जन स्थल ससुराल माना जाता है। इस दौरान महिलाओं ने गणगौर माता की कथा का श्रवण भी पूजा अर्चना के साथ किया
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