डोनाल्ड ट्रंप की टेक वॉर: मस्क से लेकर ज़करबर्ग तक

Aanchalik Khabre
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डोनाल्ड ट्रंप की टेक वॉर: मस्क से लेकर ज़कुर्बर्ग तक
डोनाल्ड ट्रंप, जो अमेरिका के राष्ट्रपति हैं, फिर से बड़ी तकनीकी कंपनियों और उनके मालिकों पर कड़ा हमला कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कई बड़े नामों को लेकर कुछ ऐसी बातें कही हैं जो चर्चा का विषय बनी हुई हैं। आइए समझते हैं कि असल में क्या हुआ है और ट्रंप क्या कहना चाहते हैं।

इंटेल के CEO लिप-बुटैन को इस्तीफा देने की धमकी

ट्रंप ने इंटेल कंपनी के सीईओ लिप-बुटैन पर चीन से जुड़ी कुछ बातों को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि लिप-बुटैन का चीन के साथ रिश्ता अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। इसलिये ट्रंप चाहते हैं कि वे अपना पद छोड़ दें।
इंटेल एक बड़ी कंपनी है जो कंप्यूटर के लिए माइक्रोचिप बनाती है। लिप-बुटैन ने पहले भी चीन की कुछ कंपनियों के साथ काम किया है, जिसके कारण ट्रंप ने उन्हें “संयुक्त रूप से अमेरिका के हितों के खिलाफ” माना है। इस वजह से ट्रंप ने उनकी आलोचना की और इस्तीफा देने की बात कही।

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एलन मस्क पर ट्रंप का हमला

एलन मस्क, जो टेस्ला और स्पेसएक्स जैसे बड़े कारोबार के मालिक हैं, भी ट्रंप के निशाने पर हैं। ट्रंप ने उन्हें “पागल” कहा है। यह विवाद मस्क और ट्रंप के बीच पैसे और सरकार से मिलने वाले अनुदानों को लेकर है। ट्रंप ने कहा कि मस्क को सरकार के पैसों पर ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए।
यह बातचीत इसलिए खास है क्योंकि मस्क और ट्रंप दोनों की आमतौर पर राजनीति की अलग सोच रहती है, लेकिन कभी-कभी वे एक-दूसरे के करीब भी आते दिखते हैं।

टिम कुक और एप्पल की अमेरिका में उत्पादन की मांग

ट्रंप ने एप्पल के CEO टिम कुक को चेतावनी दी है कि अगर iPhone और अन्य एप्पल के प्रोडक्ट अमेरिका में नहीं बनाए गए, तो उन पर 25% टैक्स लगाया जाएगा। इसका मतलब यह है कि अगर एप्पल अपनी चीजें भारत या चीन जैसे देशों में बनवाता है और फिर अमेरिका में बेचता है, तो उसे भारी टैक्स देना होगा।
ट्रंप चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा कंपनियां अपने प्रोडक्ट अमेरिका में ही बनाएं ताकि वहां लोगों को नौकरी मिल सके। इस बात को लेकर वे हमेशा से बहुत सख्त रहे हैं।

सुंदर पिचाई और गूगल पर आरोप

गूगल के CEO सुंदर पिचाई पर ट्रंप ने आरोप लगाए हैं कि गूगल सर्च के परिणामों को राजनीतिक कारणों से बदलता है। यानी, गूगल जानबूझकर कुछ खबरों या विचारों को ऊपर दिखाता है और कुछ को नीचे, जिससे लोगों की सोच प्रभावित होती है।
सुंदर पिचाई ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि गूगल की सर्च परिणाम पूरी तरह निष्पक्ष और उपयोगी होते हैं, और वे किसी भी राजनीतिक पक्ष के लिए छेड़छाड़ नहीं करते।

मार्क ज़कुर्बर्ग और फेसबुक पर चुनाव में दखल का आरोप

ट्रंप ने फेसबुक और मेटा के CEO मार्क ज़कुर्बर्ग को चुनाव में हस्तक्षेप करने का दोषी बताया है। उन्होंने कहा कि ज़कुर्बर्ग ने 2020 के चुनाव में ट्रंप के खिलाफ काम किया और सोशल मीडिया पर उनकी बातों को दबाया।
ट्रंप ने तो यह भी धमकी दी है कि अगर वे फिर से राष्ट्रपति बने तो ज़कुर्बर्ग को जांच और जेल भी हो सकती है। यह आरोप कई सालों से ट्रंप और फेसबुक के बीच चल रहे विवाद का हिस्सा है।

वॉलमार्ट की कीमतों पर ट्रंप की नाराज़गी

अमेरिका की बड़ी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने हाल ही में अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ाई हैं। ट्रंप ने इसे लेकर कंपनी की आलोचना की है। उनका कहना है कि वॉलमार्ट महंगाई को बहाना बनाकर सिर्फ ज्यादा मुनाफा कमा रही है।
उन्होंने कहा कि कंपनी को कीमतें बढ़ाने के लिए कई बहाने नहीं बनाने चाहिए और ग्राहकों को ज्यादा बोझ नहीं देना चाहिए।

ट्रंप की इस पूरी बातों का मकसद क्या है?

ट्रंप का यह सब बोलना सिर्फ मौज-मस्ती या विवाद खड़ा करने के लिए नहीं है। इसके पीछे उनकी एक बड़ी रणनीति है। ट्रंप चाहते हैं कि वे खुद को “अमेरिका के हित में बोलने वाला नेता” दिखाएं।
उनका मानना है कि बड़ी टेक कंपनियां बहुत ताकतवर हो गई हैं और वह अमेरिका के लिए खतरा बन सकती हैं। इसलिए वे इन्हें नियंत्रित करना चाहते हैं। साथ ही वे अमेरिकी उद्योगों और कामगारों को बचाने के लिए कंपनियों पर दबाव बना रहे हैं कि वे अपने उत्पाद अमेरिका में बनाएं।

टेक कंपनियों पर इन बयानों का असर

ट्रंप के इन बयानों ने टेक इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है। कई कंपनियों को चिंता है कि कहीं यह बातें केवल चुनावी रैली के लिए तो नहीं हैं, और अगर ट्रंप सत्ता में आते हैं तो उनका काम और भी मुश्किल हो सकता है।
कई लोग कहते हैं कि ट्रंप के आरोपों में कुछ हद तक सच हो सकता है, लेकिन यह भी जरूरी है कि कंपनियां खुलकर अपनी बात रखें और सरकार से सहयोग करें।

डोनाल्ड ट्रंप का यह हमला टेक्नोलॉजी की दुनिया पर एक बड़ा संकेत है कि वे बड़े कारोबार और तकनीकी कंपनियों से निपटने के लिए तैयार हैं।
चाहे आप ट्रंप से सहमत हों या न हों, यह बात साफ है कि आने वाले समय में अमेरिका की टेक नीति में बड़ा बदलाव हो सकता है। और इस बदलाव से न केवल कंपनियां बल्कि आम लोगों की जिंदगी भी प्रभावित हो सकती है।
ट्रंप की यह जंग सिर्फ राजनीति का हिस्सा नहीं, बल्कि अमेरिका के आर्थिक और तकनीकी भविष्य को लेकर भी एक महत्वपूर्ण लड़ाई है।

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